NRC पर चर्चा, BJP के नए अध्यक्ष पर मंथन और 100 सालों का रिपोर्ट कार्ड…बेंगलुरु में क्या-क्या रणनीति तैयार कर रहा है RSS?
आरएसएस की बैठक की तस्वीर
Bengaluru RSS Meeting: 2025 का साल संघ के लिए एक ऐतिहासिक मोड़ पर खड़ा है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने बेंगलुरु में अपनी अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा (ABPS) की बैठक शुरू कर दी है. यह अहम बैठक तीन दिन चलेगी. संघ की ये बैठक 100 साल पूरे होने की तैयारियों का हिस्सा है. संघ के लिए यह एक ऐसा पल है जब वह न केवल अपने पिछले कार्यों का आकलन करेगा, बल्कि आने वाले वर्षों के लिए अपनी रणनीतियों और अभियानों का रोडमैप भी तैयार करेगा. पहले दिन की गतिविधियों में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई, और साथ ही एनआरसी, संस्कारों की भूमिका, भविष्य की योजनाओं पर भी खुलकर विचार किया गया. आइए, जानते हैं इस बैठक के पहले दिन का पूरा ब्योरा और इसके बाद क्या हो सकता है:
पहले दिन प्रयागराज महाकुंभ पर चर्चा
बैठक की शुरुआत में संघ ने एक बहुत ही खास विषय पर चर्चा की, जो भारतीय संस्कृति और धार्मिक एकता से जुड़ा था — प्रयागराज महाकुंभ. संघ प्रमुख मोहन भागवत और सरकार्यवाह मुकंद सीआर ने महाकुंभ के सफल आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश सरकार और भारत सरकार की सराहना की. मोहन भागवत ने कहा कि यह महाकुंभ न सिर्फ हिंदू समाज के लिए, बल्कि पूरी दुनिया के लिए अध्यात्म और संस्कृति का संदेश था.
संघ के कार्यों का ब्योरा
पहले दिन की बैठक में संघ ने पिछले एक साल के अपने कार्यों का ब्योरा भी साझा किया. संघ ने उन मूल्यों और सिद्धांतों पर प्रकाश डाला जिनके माध्यम से उसने समाज के हर वर्ग को जोड़ने की कोशिश की है. इसके अलावा, संघ ने समाज सुधार, शैक्षिक गतिविधियां, स्वच्छता अभियानों और मूलभूत सुविधाओं के मुद्दे पर काम करने के लिए 100 सालों में अपने प्रयासों को भी साझा किया. लेकिन, केवल पुराने कार्यों का ब्योरा देने से काम नहीं चलता. संघ ने भविष्य की दिशा पर भी विचार किया और उसमें कई अहम फैसले लिए.
एनआरसी पर फिर से चर्चा
यहां सबसे बड़ा और सबसे चर्चित मुद्दा था एनआरसी (National Register of Citizens). सालों से यह मुद्दा राजनीतिक और सामाजिक हलकों में चर्चा में है, लेकिन संघ का इस पर स्पष्ट दृष्टिकोण रहा है. मोहन भागवत और अन्य संघ नेताओं ने बैठक में फिर से एनआरसी के पक्ष में अपनी आवाज उठाई. आने वाले दिनों में इस पर विस्तार से चर्चा संभव है.
संघ का कहना है कि देश में अवैध प्रवासियों की संख्या बढ़ रही है, खासकर पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले लोगों की. संघ का मानना है कि एनआरसी देश में सुरक्षा और संस्कृति की रक्षा के लिए जरूरी है. हालांकि, संघ ने यह भी स्पष्ट किया कि एनआरसी को इस तरीके से लागू किया जाएगा कि किसी भारतीय नागरिक को डर नहीं हो.
संघ के अंदर एक मजबूत विचार है कि एनआरसी केवल एक सांप्रदायिक मुद्दा नहीं है, जैसा कि कुछ राजनीतिक दलों ने इसे प्रस्तुत किया है. मोहन भागवत ने इस पर साफ कहा कि यह हिंदू-मुस्लिम का मुद्दा नहीं है, बल्कि यह भारत में रहने वाले असली नागरिकों को पहचानने का तरीका है.
संघ ने यह भी कहा कि एनआरसी को पूरे देश में लागू करने के लिए एक स्पष्ट रोडमैप तैयार किया जाएगा, जिसमें यह सुनिश्चित किया जाएगा कि इस प्रक्रिया में किसी भी भारतीय नागरिक को कोई दिक्कत न हो. दूसरे और तीसरे दिन की बैठक में भी इस पर चर्चा संभव है.
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बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा की भूमिका
बैठक में एक और बड़ा सवाल था कि क्या बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा भी संघ की इस बैठक में शामिल होंगे. यह बात पहले ही स्पष्ट हो चुकी थी कि नड्डा बैठक का हिस्सा होंगे. नड्डा का नाम संघ द्वारा जारी किए गए लिस्ट में था.
संघ की इस बैठक में बीजेपी के अगले रणनीतिक कदम पर भी चर्चा हो सकती है, खासकर बिहार और पश्चिम बंगाल के आगामी चुनावों को लेकर. संघ और बीजेपी के बीच यह तालमेल आने वाले चुनावों के लिए अहम हो सकता है.
भविष्य के लिए संघ के रोडमैप पर चर्चा
संघ ने भविष्य के लिए भी अपनी योजनाओं का खाका तैयार किया है. यह खाका केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि सामाजिक, सांस्कृतिक और धार्मिक पहलुओं से भी जुड़ा हुआ है. संघ के सूत्रों के मुताबिक, आने वाले 100 वर्षों के लिए संघ कई नए अभियान शुरू करेगा. इनमें प्रमुख राष्ट्र निर्माण और सामाजिक एकता पर जोर दिया जाएगा. इसके अलावा, संघ ने भारत में संस्कारों और धार्मिक शिक्षा पर जोर दिया, ताकि आने वाली पीढ़ियों को एक मजबूत और सक्षम नागरिक बनने की दिशा मिल सके.
संघ और सरकार का रिश्ते पर नजर
संघ की बैठक के दौरान यह भी देखा जाएगा कि संघ और सरकार के बीच रिश्ते किस दिशा में जाते हैं. क्योंकि RSS और BJP के बीच संबंध बहुत गहरे हैं, इस बैठक में लिए गए फैसले न केवल संघ को दिशा देंगे, बल्कि बीजेपी की नीतियों पर भी असर डाल सकते हैं.
संघ की बैठक में चर्चा होने वाले सामाजिक मुद्दों और संस्कृतियों के संरक्षण के मुद्दे बीजेपी के अगले चुनावी घोषणापत्र में भी शामिल हो सकते हैं. ऐसे में यह बैठक सिर्फ RSS के लिए नहीं, बल्कि भारत की राजनीति के लिए भी अहम है.
संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा (ABPS) की बैठक का पहला दिन काफी अहम मुद्दों पर केंद्रित था, जिनमें संस्कारों की रक्षा, एनआरसी, और सामाजिक एकता पर चर्चा की गई. संघ ने भविष्य के लिए अपने अभियानों की रूपरेखा तैयार की है, और आगे के दो दिनों में आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक मोर्चों पर रणनीतियों पर भी चर्चा हो सकती है.
संघ की यह बैठक सिर्फ RSS के कार्यकर्ताओं के लिए नहीं, बल्कि भारत की सामाजिक और राजनीतिक दिशा तय करने में भी अहम हो सकती है.
बीजेपी के नए अध्यक्ष पर मंथन
वहीं अब, भले ही जेपी नड्डा वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के अध्यक्ष हैं, लेकिन अब उनकी अध्यक्षता का कार्यकाल समाप्ति की ओर है. पार्टी में नए अध्यक्ष की नियुक्ति को लेकर चर्चाएं तेज हो गई हैं. अनुमान है कि बीजेपी का नया अध्यक्ष आगामी 6 अप्रैल, 2025 तक घोषित किया जा सकता है, जो पार्टी के स्थापना दिवस के आसपास होगा. पार्टी के भीतर यह सवाल उठ रहा है कि नया चेहरा कौन होगा, खासकर ऐसे समय में जब बिहार में चुनाव होने हैं और पार्टी को एक मजबूत नेतृत्व की आवश्यकता महसूस हो रही है.
बीजेपी में नया अध्यक्ष पार्टी की रणनीति और संगठनात्मक ढांचे को अगले चुनावों के लिए तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. नड्डा के कार्यकाल में पार्टी ने कई महत्वपूर्ण चुनावों में सफलता पाई है, लेकिन अब पार्टी को एक ऐसे नेता की जरूरत है जो आगामी चुनौतियों का सामना करने के लिए पार्टी को बेहतर दिशा दे सके. भाजपा के भीतर कुछ नामों पर चर्चा हो रही है. हालांकि, राजनीति को करीब से जानने वालों की मानें तो इस पर भी फैसला बेंगलुरू के बैठक में ही लिया जा सकता है. इस बैठक में इस पर भी विस्तार से चर्चा हो सकती है.