1.5 लाख लोग, 100 करोड़ का खर्च…40 साल बाद हिमाचल प्रदेश में हो रहा भुंडा महायज्ञ

भुंडा महायज्ञ की शुरुआत भगवान परशुराम ने की थी, और इसे नरमेघ यज्ञ के नाम से भी जाना जाता है. यज्ञ के दौरान, परशुराम ने नरमुंडों की बलि दी थी, जिससे इसे नरमेघ यज्ञ कहा जाता है.
Bhunda Maha Yagya 2025

भुंडा महायज्ञ की शुरुआत

Bhunda Maha Yagya 2025: हिमाचल प्रदेश के शिमला जिले के रोहड़ू स्थित स्पैल घाटी में एक ऐतिहासिक आयोजन होने जा रहा है, जिसे भुंडा महायज्ञ कहा जाता है. यह महायज्ञ 2 से 6 जनवरी, 2025 तक चलेगा और इस बार इसे 40 साल बाद आयोजित किया जा रहा है. पिछली बार 1985 में इस यज्ञ का आयोजन हुआ था. इस भुंडा महायज्ञ में करीब 1.5 लाख लोग शामिल होने की उम्मीद जताई जा रही है, जिसमें हजारों श्रद्धालु और मेहमान शामिल होंगे.

इस आयोजन को लेकर गांव के 1500 परिवार श्रद्धालुओं के लिए आवास, खाने-पीने और अन्य सुविधाओं का ध्यान रखेंगे. इस भव्य आयोजन पर लगभग 100 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है. पुलिस और प्रशासन का अनुमान है कि इसमें एक से डेढ़ लाख लोग शिरकत करेंगे.

महायज्ञ के आयोजन स्थल पर श्रद्धालुओं के रहने के लिए टेंट लगाए गए हैं और आसपास के गांवों में अतिरिक्त कमरे भी बनवाए गए हैं. इसके साथ ही स्पेशल बसों का इंतजाम भी किया गया है ताकि श्रद्धालु आसानी से आयोजन स्थल तक पहुंच सकें.

भुंडा महायज्ञ का ऐतिहासिक महत्व

भुंडा महायज्ञ की शुरुआत भगवान परशुराम ने की थी, और इसे नरमेघ यज्ञ के नाम से भी जाना जाता है. यज्ञ के दौरान, परशुराम ने नरमुंडों की बलि दी थी, जिससे इसे नरमेघ यज्ञ कहा जाता है. यह अनुष्ठान बुशैहर रियासत के राजाओं की सांस्कृतिक विरासत का हिस्सा है, और हिमाचल प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में सदियों से इसका आयोजन किया जाता रहा है.

इस यज्ञ के दौरान सबसे रोचक घटना ‘मौत की घाटी’ पर रस्सी से गुजरने का प्रदर्शन होगा, जिसे सूरत राम द्वारा किया जाएगा. वह 9वीं बार इस रस्सी पर यह साहसिक कदम उठाएंगे, जो विशेष प्रकार की घास से बनी होती है और इसे नाग का प्रतीक माना जाता है.

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प्रशासन और सुरक्षा व्यवस्थाएं

यज्ञ के आयोजन को लेकर प्रशासन ने पूरी तैयारी की है. डीसी अनुपम कश्यप और एसपी संजीव गांधी ने पिछले सप्ताह यज्ञ स्थल का दौरा किया और सुरक्षा, ट्रैफिक व्यवस्था तथा स्वास्थ्य सुविधाओं के बारे में समीक्षा की. पुलिस और प्रशासन ने सुनिश्चित किया है कि यज्ञ के दौरान कोई असुविधा न हो. इसके लिए विशेष ट्रैफिक व्यवस्था बनाई गई है और हेल्थ तथा फायर ब्रिगेड की सेवाएं भी सुनिश्चित की गई हैं.

इस आयोजन में क्षेत्र के तीन प्रमुख देवताओं, बौद्रा महाराज, महेश्वर और मोहरि के साथ हजारों अनुयायी भी शिरकत करेंगे. इसके अलावा, परशुराम के चार स्वरूप भी इस महायज्ञ का हिस्सा होंगे.

इस भुंडा महायज्ञ को लेकर हर किसी में एक विशेष उत्साह और आस्था देखने को मिल रही है. यह न केवल एक धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजन है, बल्कि हिमाचल प्रदेश की धरोहर और परंपराओं को भी संरक्षित करने का एक महत्वपूर्ण अवसर है.

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