RBI का ऐलान, लगातार सातवीं बार रेपो रेट में नहीं हुआ कोई बदलाव, 6.5 फीसदी पर स्थिर
RBI Repo Rate: केंद्रीय बैंक ने अपनी फरवरी की मौद्रिक नीति में लगातार छठी बार रेपो रेट को 6.50 फीसदी पर स्थिर रखा था. आज वित्त वर्ष 2024-25 की पहली भारतीय रिजर्व बैंक मॉनिटरी पॉलिसी की बैठक में कई बड़े फैसले लिए गए हैं. उम्मीद की जा रही थी कि चुनाव से ठीक पहले आरबीआई अपने फैसले से चौंका सकता है, लेकिन RBI ने लगातार सातवीं बार मॉनिटरी पॉलिसी की बैठक में रेपो रेट को स्थिर रखने का फैसला लिया गया है. इसका मतलब है कि आपको ईएमआई में राहत अभी नहीं मिलेगी.
गौरतलब है कि मई 2022 और फरवरी 2023 के बीच आरबीआई मौद्रिक नीति बैठक में रेपो दर (RBI Repo Rate) को 250 बीपीएस बढ़ाया गया था, लेकिन इसके बाद से रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं हुआ है.
क्या होती है रेपो रेट?
रेपो रेट वह होती है जिसपर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया बैंकों को कर्ज देता है. एक वित्त वर्ष में केंद्रीय बैंक छह बार मॉनेटरी पॉलिसी को पेश करता है. इसमें वह अपनी जरूरत के हिसाब से बदलाव करता रहता है. सेंट्रल बैंक कई बातों को ध्यान में रखकर फैसला लेता है. रेपो रेट के जरिए केंद्रीय बैंक महंगाई को नियंत्रण में रखने की कोशिश करता है. महंगाई के अचानक बढ़ने से इकोनॉमी के लिए खतरा पैदा हो जाता है. ऐसे में अर्थव्यवस्था की अच्छी ग्रोथ के लिए महंगाई पर नियंत्रण जरूरी है.
रेपो रेट के घटने या बढ़ने का सीधा असर बैंकों के लोन के इंटरेस्ट रेट पर पड़ता है. आरबीआई के रेपो रेट बढ़ाने पर बैंक अपने होम, पर्सनल, ऑटो आदि सभी तरह के लोन पर इंट्रस्ट रेट बढ़ा देते हैं. ऐसे ही रेपो रेट कम होने पर बैंक कर्ज पर ब्याज दरों को घटा देते हैं.
“2024-25 में 7 फीसदी के रफ्तार से बढ़ेगी अर्थव्यवस्था”
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 में भारत की अर्थव्यस्था 7 फीसदी के रफ्तार से बढ़ेगी. वित्त वर्ष 2025 के पहली तिमाही में GDP की रियल ग्रोथ 7.1 फीसदी, दूसरी तिमाही में 6.9 फीसदी और तीसरे-चौथे तिमाही में जीडीपी की ग्रोथ 7 फीसदी रहने का अनुमान है.