कहीं लोकसभा जैसी हालत विधानसभा चुनाव में न हो जाए! कांग्रेस को क्यों सता रहा है लालू यादव का डर? जल्द ही बिहार जा रहे हैं राहुल गांधी

लालू यादव, राहुल गांधी और तेजस्वी यादव
Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव अभी सात महीने दूर है, लेकिन सियासी बवाल अभी से शुरू हो चुका है. बड़े-बड़े नेता बिहार का दौरा कर रहे हैं. अमित शाह आकर गए, पीएम मोदी आने वाले हैं और राहुल गांधी भी 7 मार्च को बिहार पहुंचने वाले हैं. लेकिन इस सबके बीच कांग्रेस के दिल में एक डर बैठा है. वो है लालू प्रसाद यादव का डर! जी हां, वही लालू जो राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के बॉस हैं और बिहार की सियासत में बिना बोले भी अपनी धाक जमाते हैं. तो आखिर कांग्रेस को लालू से डर क्यों लग रहा है? चलिए, बिहार पॉलिटिक्स के इस अध्याय को विस्तार से समझते हैं.
हर बार जलवा-जलाल करते हैं लालू
बिहार में कांग्रेस और RJD एक साथ महागठबंधन में हैं, यानी दोनों दोस्त हैं. लेकिन ये दोस्ती थोड़ी अजीब है. मान लीजिए, ये दो दोस्त एक रेस में हिस्सा ले रहे हैं, पर लालू जी हर बार गाड़ी की चाबी अपने पास रख लेते हैं और कांग्रेस को पीछे बैठने को कहते हैं. ऐसा ही कुछ 2024 के लोकसभा चुनाव में हुआ था. उस वक्त कांग्रेस चाहती थी कि सीटों का बंटवारा ठीक से हो, लेकिन लालू ने अपनी मर्जी से RJD के उम्मीदवारों को टिकट बांट दिए. कांग्रेस बस देखती रह गई, जैसे कोई बच्चा अपनी आइसक्रीम छिन जाने पर मुंह फुलाए बैठा हो. अब कांग्रेस को डर है कि कहीं विधानसभा चुनाव में भी ऐसा न हो जाए.
लालू यादव से तेजस्वी भी कम नहीं!
लालू के बेटे तेजस्वी यादव भी कांग्रेस के लिए आसान नहीं हैं, लेकिन लालू तो बिल्कुल ‘टेढ़ी खीर’ हैं. मतलब, उनके सामने कांग्रेस की एक नहीं चलती. 2024 में जब विपक्षी दलों का गठबंधन बन रहा था, तब कांग्रेस ने सोचा कि नीतीश कुमार और तेजस्वी से बात करके कुछ ज्यादा फायदा ले लेंगे. लेकिन नीतीश ने कहा, “तेजस्वी से डील करो.” इसके बाद नीतीश कुमार ने पलटीमार पॉलिटिक्स किया और बीजेपी के साथ आ गए.
वहीं, तेजस्वी ने कांग्रेस को कुछ खास नहीं दिया. ऊपर से लालू ने सीटों पर अपना फैसला सुना दिया. नतीजा? कांग्रेस के हाथ कुछ नहीं लगा. कांग्रेस महज 9 सीटों पर चुनाव लड़ पाई. अब कांग्रेस सोच रही है कि अगर लालू फिर से रौ में आ गए, तो उनकी सारी मेहनत बेकार हो जाएगी.
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बीमार लालू भी हैं एक्टिव
लालू इन दिनों बीमार हैं. कंधे में चोट, शुगर, बीपी की दिक्कत के चलते वो दिल्ली के AIIMS में भर्ती हैं. लेकिन बीमारी भी उनके जोश को कम नहीं कर पाई. सोशल मीडिया पर उनकी पोस्ट आ रही हैं, वक्फ बिल पर तीखी बातें कह रहे हैं. ये देखकर कांग्रेस के नेता घबरा गए हैं. उन्हें 2024 का वो मंजर याद आ रहा है, जब लालू ने दिल्ली में मीटिंग चलते हुए भी बिहार में अपने उम्मीदवारों को टिकट बांट दिए थे. कांग्रेस के बड़े नेता राहुल गांधी के सामने भी ये डर छिपा नहीं पा रहे हैं.
पहले भी लालू ने दिखाई थी अपनी ताकत
लालू का जलवा पुराना है. जब वो बिहार के CM थे, या उनकी पत्नी राबड़ी देवी सत्ता में थीं, तब भी कांग्रेस को लालू ने कंट्रोल में रखा. अब तो कांग्रेस बरसों से लालू के इशारे पर चल रही है. 2024 में तो हद हो गई. दिल्ली में सीटों की बात चल रही थी, और लालू ने घर बुलाकर अपने उम्मीदवारों को टिकट थमा दिए. पप्पू यादव जैसे नेता कांग्रेस के साथ थे, लेकिन लालू ने पूर्णिया सीट से उम्मीदवार उतार दिए. कांग्रेस कुछ नहीं कर पाई. अब नए प्रदेश अध्यक्ष राजेश कुमार आए हैं, पर सवाल ये है कि क्या वो लालू के सामने टिक पाएंगे?
कांग्रेस को डर है कि अगर लालू फिर से अपनी चाल चले, तो वो बिहार में फिर से खाली हाथ रह जाएगी. राहुल गांधी के दौरे से भीड़ तो जुट जाएगी, लेकिन सीटें न मिलीं तो क्या फायदा? दूसरी तरफ, BJP और JDU की लड़ाई का मजा लेते हुए महागठबंधन में ये अंदरूनी खींचतान कांग्रेस को कमजोर कर सकती है. कुल मिलाकर, कांग्रेस की टेंशन ये है कि लालू यादव कहीं फिर से “सब मेरा” वाला गाना न गा दें.