क्या जम्मू-कश्मीर को मिल सकता है पहला हिंदू मुख्यमंत्री? इस जादुई फॉर्मूले से समीकरण साधने में जुटी BJP
Jammu and Kashmir: जम्मू-कश्मीर में 8 अक्टूबर को विधानसभा चुनावों के परिणाम घोषित होने जा रहे हैं, और भारतीय जनता पार्टी (BJP) पहली बार प्रदेश में मुख्यमंत्री बनाने की तैयारी कर रही है. इस बार बीजेपी ने सियासत के इस महत्वपूर्ण मोड़ पर कमल खिलाने की पूरी कोशिश की है, जिसमें कद्दावर नेता राम माधव का नेतृत्व अहम भूमिका निभा रहा है.
जादुई आंकड़े तक पहुंचने की उम्मीद में बीजेपी
बीजेपी के अंदरखाने की चर्चा यह है कि हाल के चुनाव परिणामों से पार्टी को विश्वास है कि वह जादुई आंकड़े 48 सीटें हासिल कर सकती है. ऐसे में उप राज्यपाल की शक्तियों का भी इस्तेमाल हो सकता है, जिससे सरकार के गठन की प्रक्रिया में मदद मिल सकती है. अगर बीजेपी समीकरणों को सही तरीके से साधने में सफल होती है, तो यह जम्मू-कश्मीर का पहला हिंदू मुख्यमंत्री देखने का मौका बन सकता है.
उप राज्यपाल करेंगे 5 सदस्यों को मनोनित
हालांकि, इस बार विधानसभा में 90 सदस्यों का चुनाव होगा, जिसमें 5 सदस्य उप राज्यपाल द्वारा मनोनीत किए जाएंगे. कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल इस प्रक्रिया का विरोध कर रहे हैं. कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष रमन भल्ला ने स्पष्ट किया है कि यह मनोनयन सरकार के गठन को प्रभावित करेगा. बीजेपी के प्रवक्ता सुनील सेठी ने कहा कि विधानसभा के गठन के साथ ही एलजी इन 5 सदस्यों को मनोनीत करेंगे. यह नियम पहले से निर्धारित है और मनोनीत सदस्यों के पास चुने हुए विधायकों के समान अधिकार होंगे, जिससे वे सरकार गठन में योगदान दे सकेंगे.
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क्या है बीजेपी का फॉर्मूला?
विशेषज्ञों के अनुसार, यदि बीजेपी 43 सीटें जीतने में सफल होती है, तो इन 5 मनोनीत सदस्यों का सहारा लेकर वह 48 का जादुई आंकड़ा छू सकती है. वरिष्ठ पत्रकार वाहिद भट्ट का कहना है कि इस बार किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत मिलना मुश्किल है, जिससे बीजेपी को इन 5 सदस्यों का लाभ मिलेगा.
जम्मू क्षेत्र में बीजेपी की मजबूत स्थिति को देखते हुए पार्टी ने निर्दलीय विधायकों से संपर्क साधना शुरू कर दिया है. विशेषज्ञों का मानना है कि इस बार घाटी में कई निर्दलीय विधायकों के जीतने की संभावना है, जो संभावित रूप से सरकार के किंगमेकर बन सकते हैं. 8 अक्टूबर के नतीजों के बाद सरकार बनाने की प्रक्रिया में तेजी आएगी. यदि बीजेपी 30-35 सीटें भी जीत लेती है, तो वह इस राजनीतिक दौड़ में फ्रंटरनर बन जाएगी. जम्मू-कश्मीर की सियासत में होने वाले इस बदलाव का हर किसी को बेसब्री से इंतजार है.