BJP के लिए चुनौती, विपक्ष की तलवारें तेज…बजट सत्र में बवाल के आसार!

कांग्रेस के साथ-साथ अन्य विपक्षी दल भी इस सरकार की नीतियों पर सवाल उठाने का कोई मौका नहीं छोड़ने वाले हैं. खासकर, अर्थव्यवस्था के धीमे विकास, बेरोजगारी और कृषि संकट जैसे मुद्दों पर विपक्ष एकजुट होकर सरकार को घेरने की तैयारी में है.
Nirmala Sitharaman

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण

Budget Session: 2025 का बजट सत्र कल से शुरू हो रहा है और इस बार की सत्र की राजनीति काफी दिलचस्प होगी. बीजेपी और विपक्ष दोनों के लिए यह सत्र महत्वपूर्ण साबित होने वाला है. भाजपा के नेताओं के अनुसार, पिछले साल जुलाई में प्रस्तुत बजट जल्दबाजी में तैयार किया गया था, और इस बार की परिस्थितियां पहले से कहीं ज्यादा चुनौतीपूर्ण हैं. देश में आर्थिक मंदी, रुपये की दर में गिरावट और अंतरराष्ट्रीय अस्थिरता के बीच यह बजट पेश किया जाएगा.

बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, “यह बजट उस उम्मीद पर खड़ा नहीं है, जो 2014 और 2019 के चुनावों में थी. अब परिस्थितियां पूरी तरह बदल चुकी हैं. हमें अर्थव्यवस्था की धीमी गति और रुपये की गिरावट से निपटना होगा, ताकि मोदी जी की छवि फिर से एक ऐसे नेता के रूप में बन सके, जो विकास को साकार करता है.”

विपक्षी दलों का आक्रमक रवैया

विपक्षी दलों, खासकर कांग्रेस ने पहले ही इस बजट सत्र को लेकर अपनी रणनीतियां तैयार कर ली हैं. कांग्रेस नेता मणिकम टैगोर ने कहा, “हम कुम्भ मेला में हुए हादसे को लेकर सरकार से सवाल करेंगे, जो उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार की नाकामी को उजागर करता है.” इसके अलावा, राहुल गांधी गौतम अडानी के प्रति भाजपा के पक्षपाती रवैये और बी आर अंबेडकर के प्रति सरकार की उदासीनता पर भी सवाल उठाएंगे.”

कांग्रेस के साथ-साथ अन्य विपक्षी दल भी इस सरकार की नीतियों पर सवाल उठाने का कोई मौका नहीं छोड़ने वाले हैं. खासकर, अर्थव्यवस्था के धीमे विकास, बेरोजगारी और कृषि संकट जैसे मुद्दों पर विपक्ष एकजुट होकर सरकार को घेरने की तैयारी में है.

CPI(एम) के नेता जॉन ब्रिटास ने भी इस मुद्दे को उठाया है कि चीन की आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) में हालिया सफलता भारत सरकार के लिए चुनौती बनेगी. उन्होंने कहा, “चीन के इस क्षेत्र में बड़ी सफलता के बाद भारत सरकार को भी इस दिशा में कदम उठाने होंगे. हमें इस क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा देना होगा.”

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अर्थव्यवस्था पर दबाव

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने भी सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए कहा, “2019 में सरकार ने कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती की थी, लेकिन इसका असर नहीं दिखा. निजी निवेश और खपत में कमी आई है, जिससे यह साफ है कि सरकार की रणनीति असफल रही है. अब जरूरत है कि सरकार बजट में ऐसे कदम उठाए, जो अर्थव्यवस्था को गति दे सकें. अगर ऐसा नहीं हुआ तो ये मंदी और गहरी हो सकती है.”

विपक्ष की ओर से यह भी दावा किया जा रहा है कि सरकार सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों के लिए आवंटित धन में लगातार कटौती कर रही है, जिससे गरीब और मध्यम वर्ग के लोगों पर असर पड़ रहा है. कांग्रेस नेता टैगोर ने कहा, “स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगार योजनाओं के लिए बजट आवंटन में कमी आई है. यह सरकार की नाकामी को दर्शाता है.”

उद्योग और कृषि के लिए उम्मीदें

बीजेपी के नेताओं ने भी कहा है कि इस बजट में उद्योग और कृषि क्षेत्र को नई ऊर्जा देने की आवश्यकता है, ताकि आगामी चुनावों में पार्टी को कोई नुकसान न हो. हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में भाजपा की बड़ी जीत ने इस उम्मीद को और मजबूत किया है.

बीजेपी के मुख्य सचेतक संजय जायसवाल ने कहा, “भारत केवल तभी उठ सकता है जब यह औद्योगिक राष्ट्र बने. हमें छोटे और मंझले उद्योगों के लिए विशेष कदम उठाने होंगे, खासकर उन उद्योगों के लिए जो श्रमिक-गहन हैं.”

बजट सत्र की शुरुआत शुक्रवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के संबोधन से होगी, और अगले दिन बजट पेश किया जाएगा. पहले हिस्से का सत्र 13 फरवरी को समाप्त होगा. इस सत्र में भाजपा और विपक्ष दोनों की नजरें इस बात पर होंगी कि वित्त मंत्री इस संकटपूर्ण समय में किस तरह से देश की अर्थव्यवस्था को सुधारने के लिए कदम उठाते हैं.

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