जाट बनाम जाट, गुर्जर बनाम गुर्जर और मुस्लिम बनाम मुस्लिम…दिल्ली में ‘सेम टू सेम कास्ट’ की जंग!

दिल्ली में कुल 12 अनुसूचित जाति (SC) रिजर्व सीटें हैं, और इन पर दलित उम्मीदवार के बीच भिड़ंत हो रही है. दिल्ली के दलित इलाकों में ऐसा चुनावी मौसम बन चुका है, जहां बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने दलित प्रत्याशी उतारे हैं. यह इसलिए खास है क्योंकि इन सीटों पर जातीय रणनीतियों के तहत दलित वोटबैंक को साधने की जंग चल रही है.
मल्लिकार्जुन खड़गे, जेपी नड्डा और केजरीवाल

मल्लिकार्जुन खड़गे, जेपी नड्डा और केजरीवाल

Delhi Election 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 का माहौल अब कुछ ऐसा बन गया है कि जैसे एक बड़ा सियासी महाकुंभ हो. जहां हर पार्टी अपने-अपने खिलाड़ियों के साथ मैदान में उतरी है, और हर खिलाड़ी एक जाति, एक समुदाय, एक विशेष समीकरण को लेकर चुनावी जंग में कूद पड़ा है. तो, इस बार दिल्ली के चुनावी रण में ‘जातीय समीकरणों’ का बड़ा रोल है, और यही वजह है कि मुकाबला पहले से कहीं ज्यादा दिलचस्प हो गया है. आइए, इस ‘सेम टू सेम कास्ट’ की जंग को विस्तार से समझते हैं.

जाट बनाम जाट

दिल्ली के बाहरी इलाके जैसे मुंडका, नांगलोई, मटियाला, पालम – ये वो सीटें हैं जहां जाट समुदाय का दबदबा है. अब जरा सोचिए, ये इलाके आम आदमी पार्टी, बीजेपी और कांग्रेस तीनों के लिए कितने अहम हैं, और इन तीनों पार्टियों ने इस बार जाट प्रत्याशियों को ही टिकट दिया है. ये एक ऐसा मुकाबला बन गया है, जहां ‘सेम टू सेम कास्ट’ का जो भूत पहले पिट चुका है, वह फिर से उठ खड़ा हुआ है.

बात करें नांगलोई की, तो यहां पर आम आदमी पार्टी ने रघुविंद्र शौकीन, बीजेपी ने मनोज शौकीन और कांग्रेस ने रोहित चौधरी को टिकट दिया है. अब तीनों एक ही जाति के हैं, लेकिन चुनावी मुकाबला इस हद तक दिलचस्प हो गया है कि यह सीधे ‘जाट बनाम जाट’ की जंग बन चुका है.

गुर्जर बनाम गुर्जर-दिल्ली के गांव से लेकर शहर तक!

दिल्ली में गुर्जर समुदाय भी एक बड़ी ताकत है, खासकर छतरपुर और तुगलकाबाद जैसी सीटों पर. अब इस बार इन सीटों पर भी सियासी जंग में रंग बदलने वाली है. बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने गुर्जर उम्मीदवार उतारकर ये साबित कर दिया है कि दिल्ली का सियासी खेल अब जातीय आधार पर चलेगा.

तुगलकाबाद में तो मामला कुछ और ही दिलचस्प हो गया है. बीजेपी ने रोहताश बिधूड़ी, कांग्रेस ने वीरेंद्र बिधूड़ी और आम आदमी पार्टी ने सहीराम पहलवान को मैदान में उतार दिया है. अब देखिए, यहां तो ‘गुर्जर बनाम गुर्जर’ की लड़ाई का पूरा रंग सामने आ चुका है. हर पार्टी अपने-अपने उम्मीदवार के साथ खड़ी है, और इस मुकाबले में हार-जीत का फैसला जातीय समीकरणों पर टिका हुआ है.

मुस्लिम बनाम मुस्लिम

दिल्ली में कुछ खास मुस्लिम बहुल इलाके हैं, जैसे ओखला और मुस्तफाबाद. इन सीटों पर अब चुनावी संघर्ष एक नए मोड़ पर आ चुका है. कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और AIMIM – तीनों दल मुस्लिम उम्मीदवार उतार चुके हैं, जिससे मुस्लिम बनाम मुस्लिम की एक दिलचस्प लड़ाई देखने को मिल रही है.

ओखला में तो आपस में इतनी तगड़ी टक्कर हो रही है कि ये चुनाव अब किसी बॉलीवुड फिल्म के क्लाइमैक्स जैसा महसूस हो रहा है. कांग्रेस ने अरीबा खान, आम आदमी पार्टी ने अमानतउल्ला खान, और AIMIM ने सफाउर रहमान को उतारा है. अब इनमें से कौन ‘टॉप पर’ होगा, ये जातीय समीकरणों के हिसाब से तय होगा, और दिल्ली की राजनीति का खेल बड़ा दिलचस्प हो जाएगा.

यह भी पढ़ें: ओखला में मुस्लिम वोटों का बिखराव! AIMIM की एंट्री से BJP को मिल सकता है फायदा, समझिए कैसे

दलित बनाम दलित

दिल्ली में कुल 12 अनुसूचित जाति (SC) रिजर्व सीटें हैं, और इन पर दलित उम्मीदवार के बीच भिड़ंत हो रही है. दिल्ली के दलित इलाकों में ऐसा चुनावी मौसम बन चुका है, जहां बीजेपी, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने दलित प्रत्याशी उतारे हैं. यह इसलिए खास है क्योंकि इन सीटों पर जातीय रणनीतियों के तहत दलित वोटबैंक को साधने की जंग चल रही है.

पटेल नगर सीट पर तो तीन दलों के दलित उम्मीदवारों के बीच सीधी टक्कर देखने को मिल रही है. यह मुकाबला जातीय समीकरणों के आधार पर पूरी तरह से छानबीन कर तय होगा कि इस सीट पर कौन बाजी मारेगा.

चुनाव की सियासी तासीर!

अब बात करें इस चुनाव की तासीर की, तो इस बार दिल्ली विधानसभा चुनाव सिर्फ राजनीतिक जंग नहीं, बल्कि जातीय समीकरणों की जंग भी बन चुका है. हर पार्टी ने जाति के आधार पर अपनी रणनीतियां बनाई हैं, और इसमें सियासी युद्ध का हर रूप देखने को मिलेगा.

इस चुनाव में सियासी दलों के उम्मीदवार ‘जाति बनाम जाति’ की जंग लड़ रहे हैं, और इसके परिणाम आने वाले वक्त में दिल्ली की राजनीति के लिहाज से अहम मोड़ तय करेंगे. कोई नहीं जानता कि ये जातीय समीकरण किसके पक्ष में जाएंगे, लेकिन इतना तय है कि दिल्ली का यह चुनाव बेहद रोमांचक होने वाला है!

तो, तैयार हो जाइए दिल्ली के चुनावी रण को देखने के लिए, जहां जातीय समीकरण, सियासी समीकरण, और राजनीतिक चालें, सबकुछ उलट-पुलट हो सकता है!


ज़रूर पढ़ें