कौन हैं चंडीगढ़ की नई मेयर हरप्रीत कौर बबला, जिन्होंने बजाया AAP-कांग्रेस का तबला?

बीजेपी ने इस चुनाव में पूरी ताकत झोंकी और हरप्रीत कौर बबला को मेयर के पद का उम्मीदवार बनाया. वहीं, AAP ने भी अपने उम्मीदवार प्रेम लता को मैदान में उतारा और उन्हें हर संभव समर्थन देने की कोशिश की, लेकिन अंत में बीजेपी की रणनीति और हरप्रीत की नेतृत्व क्षमता ने काम कर दिया.
हरप्रीत कौर बबला

हरप्रीत कौर बबला

Chandigarh Mayor Election: चंडीगढ़ नगर निगम के चुनाव में बीजेपी की उम्मीदवार हरप्रीत कौर बबला ने ऐतिहासिक जीत दर्ज की है. बबला ने आम आदमी पार्टी की प्रत्याशी प्रेम लता को महज दो वोटों के मामूली अंतर से हराकर चंडीगढ़ की नई मेयर बनने का गौरव प्राप्त किया है. बबला को 19 वोट मिले, जबकि प्रेम लता को 17 वोट मिले. यह चुनाव न केवल बीजेपी के लिए बल्कि पूरे चंडीगढ़ की राजनीति के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ, जहां बीजेपी और AAP-कांग्रेस गठबंधन के बीच जमकर मुकाबला हुआ.

कौन हैं हरप्रीत कौर बबला?

हरप्रीत कौर बबला का जीवन राजनीतिक और सामाजिक गतिविधियों से भरा रहा है. वह एक सैन्य परिवार से आती हैं, और उनके पिता भारतीय सेना में कर्नल रह चुके हैं. इस पृष्ठभूमि ने उन्हें नेतृत्व और संघर्ष की क्षमता दी है. उनके पति देवेंद्र सिंह बबला बीजेपी के चंडीगढ़ यूनिट के उपाध्यक्ष हैं, और खुद हरप्रीत की राजनीति में रुचि भी लंबे समय से रही है. दिलचस्प यह है कि देवेंद्र और हरप्रीत दोनों पहले कांग्रेस पार्टी के सदस्य थे, लेकिन 2022 में उन्होंने बीजेपी जॉइन की और तब से उनकी राजनीति की दिशा पूरी तरह बदल गई.

हरप्रीत ने 2001 में कांग्रेस के टिकट पर पहली बार नगर निगम चुनाव में जीत हासिल की थी, लेकिन 2022 में बीजेपी जॉइन करने के बाद से वह पार्टी की तरफ से लगातार सक्रिय रहीं.

चंडीगढ़ नगर निगम का राजनीतिक समीकरण

चंडीगढ़ नगर निगम में कुल 35 सदस्य होते हैं, जिनमें से बीजेपी के पास 16, AAP के पास 13 और कांग्रेस के पास 6 सदस्य हैं. इसके अलावा, चंडीगढ़ के सांसद को भी महापौर के चुनाव में वोट देने का अधिकार है. यही कारण है कि इस चुनाव के नतीजे से न केवल इन पार्टियों के बीच तनाव था, बल्कि यह भी देखा जा रहा था कि किस पार्टी के उम्मीदवार को बहुमत मिलेगा.

सुप्रीम कोर्ट ने इस चुनाव की पूरी प्रक्रिया की निगरानी के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीश जयश्री ठाकुर को पर्यवेक्षक नियुक्त किया था, ताकि चुनाव निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से हो सके. कोर्ट की इस भूमिका ने चुनाव के प्रति लोगों का विश्वास और बढ़ाया और चुनाव में पारदर्शिता बनी रही.

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बीजेपी की रणनीति और AAP की हार

बीजेपी ने इस चुनाव में पूरी ताकत झोंकी और हरप्रीत कौर बबला को मेयर के पद का उम्मीदवार बनाया. वहीं, AAP ने भी अपने उम्मीदवार प्रेम लता को मैदान में उतारा और उन्हें हर संभव समर्थन देने की कोशिश की, लेकिन अंत में बीजेपी की रणनीति और हरप्रीत की नेतृत्व क्षमता ने काम कर दिया. महज दो वोटों के अंतर ने यह साबित कर दिया कि राजनीति में हर एक वोट का महत्व होता है. इस परिणाम ने AAP और कांग्रेस गठबंधन के लिए एक बड़ा झटका दिया है, जिनकी उम्मीदें इस चुनाव में काफी ज्यादा थीं.

उपमहापौर और वरिष्ठ उपमहापौर पदों की लड़ाई

अब जब महापौर के चुनाव में बीजेपी की जीत हो चुकी है, तो अगले दौर की लड़ाई वरिष्ठ उपमहापौर और उपमहापौर पदों के लिए शुरू होगी. बीजेपी ने इन पदों के लिए अपने उम्मीदवार भी घोषित कर दिए हैं, जबकि AAP और कांग्रेस गठबंधन अपने-अपने उम्मीदवारों को इस मुहिम में उतारने की तैयारी कर रहे हैं. यह चुनाव निश्चित रूप से चंडीगढ़ की राजनीति में नए समीकरण और बदलाव की दिशा तय करेगा.

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