Stray Dogs Case: ‘चिकन खाने वाले खुद को बता रहे पशु प्रेमी’, दिल्ली सरकार की कोर्ट में दलील, SC ने फैसला रखा सुरक्षित

Stray Dogs Case: सुप्रीम कोर्ट ने आवारा कुत्तों को शेल्टर होम में भेजने के मुद्दे पर 14 अगस्त को सुनवाई पूरी की और अपना फैसला सुरक्षित रख लिया.
Supreme Court

सुप्रीम कोर्ट

Stray Dogs Case: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली-NCR में आवारा कुत्तों की समस्या से जुड़े एक महत्वपूर्ण मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. दिल्ली सरकार ने कोर्ट में तीखी दलील देते हुए कहा कि जो लोग खुद चिकन खाते हैं, वे पशु प्रेमी होने का दावा करते हैं. यह बयान उस याचिका के जवाब में आया, जिसमें आवारा कुत्तों को हटाने के सुप्रीम कोर्ट के पहले के आदेश पर रोक लगाने की मांग की गई थी. कोर्ट ने दिल्ली सरकार, MCD, NDMC और आसपास के शहरों की सिविक बॉडीज को आवारा कुत्तों को तुरंत हटाकर शेल्टर में रखने और स्टेरलाइजेशन-वैक्सीनेशन प्रोग्राम शुरू करने का निर्देश दिया था.

इस मामले ने पशु प्रेमियों और पब्लिक सेफ्टी के बीच बहस को और तेज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने 11 अगस्त को दिल्ली-NCR में आवारा कुत्तों की समस्या को ‘बेहद गंभीर’ बताते हुए दिल्ली सरकार, म्युनिसिपल कॉरपोरेशन ऑफ दिल्ली (MCD), न्यू दिल्ली म्युनिसिपल काउंसिल (NDMC) और नोएडा, गुरुग्राम, गाजियाबाद की सिविक बॉडीज को तुरंत कार्रवाई करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने कहा कि अगले दो महीनों में सभी आवारा कुत्तों को हटाकर शेल्टर में रखा जाए और 5,000 कुत्तों के लिए शेल्टर बनाए जाएं. साथ ही, स्टेरलाइजेशन और वैक्सीनेशन प्रोग्राम को लागू करने के आदेश दिए गए.

‘मांसाहारी भोजन, पशु प्रेम का दावा’- दिल्ली सरकार

दिल्ली सरकार ने कोर्ट में दलील दी कि कुछ लोग, जो खुद मांसाहारी भोजन जैसे चिकन खाते हैं, आवारा कुत्तों के लिए पशु प्रेम का दावा करते हैं. यह बयान उन याचिकाकर्ताओं के खिलाफ था, जो कोर्ट के इस आदेश पर रोक लगाने की मांग कर रहे थे. दिल्ली सरकार का कहना था कि आवारा कुत्तों की वजह से पब्लिक सेफ्टी को खतरा है, खासकर कुत्तों के काटने की बढ़ती घटनाओं के कारण.

पशु प्रेमियों का विरोध

सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद पशु प्रेमी संगठनों और डॉग पैरेंट्स में रोष देखा गया. कई संगठनों ने इसे ‘दशकों की मानवीय और वैज्ञानिक नीतियों से पीछे हटने’ वाला कदम बताया. राहुल नाम के एक व्यक्ति ने इस निर्देश को ‘अमानवीय’ और ‘अव्यवहारिक’ करार दिया, जिसे एक्टर जॉन अब्राहम ने भी समर्थन दिया. उनका कहना है कि यह आदेश एनिमल बर्थ कंट्रोल (ABC) रूल्स 2023 को नजरअंदाज करता है और समस्या के मूल कारणों, जैसे अपर्याप्त ABC प्रोग्राम और लापरवाह अधिकारियों, पर ध्यान नहीं देता.

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सुप्रीम कोर्ट ने क्यों लिया यह कदम?

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में दिल्ली-NCR में कुत्तों के काटने की बढ़ती घटनाओं और पब्लिक सेफ्टी को लेकर चिंता जताई. कोर्ट ने कहा कि यह स्थिति ‘अत्यंत गंभीर’ है और तुरंत कार्रवाई की जरूरत है. इससे पहले, कोर्ट ने मई 2025 में इस मामले में सुनवाई के दौरान एक याचिकाकर्ता की दलील पर प्रारंभिक संतुष्टि जताई थी, लेकिन अब उसने सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रखा है.

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