Citizenship Amendment Act: कौन है पश्चिम बंगाल में मतुआ समुदाय जो CAA लागू होने के बाद मना रहा जश्न? पाकिस्तान से है पुराना कनेक्शन

Citizenship Amendment Act: मतुआ समुदाय हिंदू नामशूद्र का एक हिस्सा है. ये समुदाय बांग्लादेश (पहले पूर्व पाकिस्तान) से भारत आया है.
Citizenship Amendment Act

महुआ समुदाय में जश्न

Citizenship Amendment Act: नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 को लागू करने का नोटिफिकेशन सोमवार की देर शाम को जारी कर दिया गया. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने सोशल मीडिया के जरिए पोस्ट कर इसे लागू किए जाने की जानकारी दी है. इसके लागू होने के बाद कई राज्यों में इसका जोरदार विरोध हो रहा है तो कई राज्यों में लोग इसका समर्थन कर रहे हैं. समर्थन करने वालों में पश्चिम बंगाल का मतुआ समुदाय है.

सीएए लागू होने के बाद बीजेपी के विरोधी दल इसका जोरदार विरोध कर रहे हैं. केरल, तमिलनाडु और पश्चिम बंगाल की सरकार ने इसे नहीं लागू करने के संकेत दिए हैं. लेकिन इसके बाद भी पश्चिम बंगाल का मतुआ समुदाय सीएए लागू होने के बाद जश्न मना रहा है. 30 लाख आबादी वाली इस समुदाय का दावा है कि यह लागू होने के बाद उनके लिए देश में दूसरा स्वतंत्रता दिवस है.

यहां रहते हैं मतुआ समुदाय के लोग

पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले के ठाकुर नगर में मतुआ समुदाय के लोग जश्न मना रहे हैं. अखिल भारतीय मतुआ महासंघ उत्तर 24 परगना के मुख्यालय ठाकुरबाड़ी में जश्न मना रहा है. इसके अलावा हुगली के चिनसुराह और उत्तर बंगाल के सिलीगुड़ी सहित राज्य के अन्य हिस्सों में यह समुदाय जश्न मना रहा है. उत्तर 24 परगना जिले के अलावा हुगली का चिनसुराह और उत्तरी बंगाल का सिलीगुड़ी में भी इस समुदाय के लोग रहते हैं.

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गौरतलब है कि मतुआ समुदाय हिंदू नामशूद्र का एक हिस्सा है. ये समुदाय बांग्लादेश (पहले पूर्व पाकिस्तान) से भारत आया है. वह सीएए संसद से पास होने के बाद ही मांग कर रहे थे कि जल्द से जल्द इसे लागू किया जाए. लेकिन अब इसके लागू होने के बाद CAA-2019 के तहत पात्र हर व्यक्ति अब भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकतेगा. हर पात्र व्यक्ति ऑनलाइन पोर्टल के माध्यम से धारा 6बी के तहत आवेदन दाखिल कर सकते हैं.

बता दें कि बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान से 31 दिसंबर 2014 के पहले भारत आने वाले हर गैर-मुस्लिम प्रवासियों को नागरिकता देने के लिए यह प्रावधान लाया गया है. इसके तहत हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई प्रवासियों को भारत की नागरिकता दी जाएगी.

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