CJI DY Chandrachud: मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने CBI को दी बड़ी नसीहत, बोले- राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों पर फोकस करे केंद्रीय एजेंसियां
CJI DY Chandrachud On CBI: केंद्रीय जांच एजेंसी यानी CBI का आज 62वां स्थापना मनाया गया. स्थापना दिवस के अवसर पर भारत मंडपम में 20वें डीपी कोहली मेमोरियल में व्याख्यान का आयोजन किया गया. इस दौरान भारत के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ ने ‘आपराधिक न्याय को आगे बढ़ाने के लिए प्रौद्योगिकी को अपनाने’ विषय पर अपना संबोधन दिया. इस बीच उन्होंने केंद्रीय जांच एजेंसियों को बड़ी नसीहत दी है.
‘हर मामला CBI को हैंडओवर कर देना अनुचित’
सोमवार को केंद्रीय जांच एजेंसी यानी CBI के स्थापना दिवस के मौके पर मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़( CJI Dy Chandrachud) को आज एक बड़ी नसीहत देते हुए कहा केंद्रीय एजेंसियां कम फैली हुई है, इसलिए उन्हें देश विरोध में हो रहे आर्थिक अपराधों और राष्ट्रीय सुरक्षा की जांच पर ही फोकस करना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘CBI को भ्रष्टाचार विरोधी जांच एजेंसी के रूप में अपनी भूमिका से परे विभिन्न प्रकार के आपराधिक मामलों की जांच करने के लिए कहा जा रहा है. यह CBI को अपने आदर्श वाक्य पर खरा उतरने की एक बड़ी जिम्मेदारी बनाता है, लेकिन CBI का विस्तार काफी कम होने की वजह से प्रमुख जांच एजेंसियों को सिर्फ ऐसे मामलों पर फोकस करने की जरूरत है, जो राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा हो. हर मामला CBI को हैंडओवर कर देना अनुचित है.’
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CHIEF JUSTICE OF INDIA DELIVERS THE 20TH D. P. KOHLI MEMORIAL LECTURE ON THE THEME “ADOPTING TECHNOLOGY TO ADVANCE CRIMINAL JUSTICE”
ALSO PRESENTS MEDALS TO 35 CBI OFFICERS & OFFICIALS FOR DISTINGUISHED & MERITORIOUS SERVICE pic.twitter.com/pW7k7WoKgB— Central Bureau of Investigation (India) (@CBIHeadquarters) April 1, 2024
‘सिस्टम में बदलाव करने के लिए टेक्नोलॉजी की जरूरत’
टेक्नोलॉजी पर बात करते हुए चीफ जस्टिस ने कहा कि हमें अपराध रोकने के लिए टेक्नोलॉजी पर और फोकस करने की जरूरत है. एक संस्थागत प्रतिबद्धता, विभिन्न विभागों के बीच वित्त, तालमेल और रणनीति की आवश्यकता है. CBI को मामलों के धीमे निपटान से बचने लिए भी एक स्ट्रैटजी बनानी होगी. वहीं CJI ने कहा, ‘जजों की शिकायत रहती है कि उनमें जो बेस्ट होता है, उसे CBI कोर्ट्स में नियुक्त किया जाता है. क्योंकि वह संवेदनशील होते हैं. लेकिन धीमी गति से सुनवाई के चलते मामलों के निपटान की दर भी धीमी हो जाती है. बहुत सी विशेष सीबीआई अदालतें मौजूदा अदालतें हैं. सिस्टम में कुछ बदलाव करने के लिए हमें नए टेक्नोलॉजी की जरूरत है.’