शेर का नाम ‘अकबर’ और शेरनी का नाम ‘सीता’ रखने पर विवाद…हाई कोर्ट पहुंचा मामला, ममता सरकार को HC ने दिया ये आदेश

विश्व हिंदू परिषद ने राज्य सरकार के खिलाफ जलपाईगुड़ी सर्किट बेंच का रुख किया और शेरनी सीता का नाम बदलने की मांग की. अब अदालत ने ममता सरकार को आदेश दिया है कि शेर और शेरनी के नाम बदले जाएं.
शेर और शेरनी ( फोटो- सोशल मीडिया)

शेर और शेरनी ( फोटो- सोशल मीडिया)

Bengal News: बंगाल में शेर और शेरनी के नाम को लेकर खूब बवाल हो रहा है. मामला हाई कोर्ट तक पहुंच गया है. दरअसल, 12 फरवरी को त्रिपुरा के सिपाहीजला जूलॉजिकल पार्क से दो शेरों को सिलीगुड़ी के बंगाल सफारी पार्क में लाया गया था. शेर का नाम ‘अकबर’ और शेरनी का नाम ‘सीता’ रखा गया. अकबर सात साल का है और सीता छह साल की. सीता के साथी शेर का नाम अकबर रखे जाने को लेकर विश्व हिंदू परिषद ने कोलकाता उच्च न्यायालय की सर्किट बेंच का रुख किया. हालांकि, अब अदालत ने ममता सरकार को शेर और शेरनी का नाम बदलने का आदेश दिया है.

गहरी पीड़ा हुई: VHP

VHP ने आरोप लगाया था कि विश्व हिंदू परिषद को इस बात की गहरी पीड़ा हुई है कि बिल्ली प्रजाति का नाम भगवान राम की पत्नी सीता के नाम पर रखा गया है. इस शेर-शेरनी के जोड़े को हाल ही में त्रिपुरा के सेपाहिजला जूलॉजिकल पार्क से लाया गया था. वन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने शेरों का नाम नहीं बदला है. 13 फरवरी को यहां आने से पहले ही उनका नाम रखा जा चुका था.

VHP ने हाई कोर्ट में तर्क दिया कि अकबर एक मुगल सम्राट का नाम है, वहीं सीता महाकाव्य रामायण में एक चरित्र और हिंदू देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं. इसके बाद विश्व हिंदू परिषद ने राज्य सरकार के खिलाफ जलपाईगुड़ी सर्किट बेंच का रुख किया और शेरनी सीता का नाम बदलने की मांग की. अब अदालत ने ममता सरकार को आदेश दिया है कि शेर और शेरनी के नाम बदले जाएं.

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हिंदू धर्म को पहुंची ठेस: दुलाल चंद्र रे

विहिप के जिला प्रमुख दुलाल चंद्र रे ने कहा, “बंगाल सफारी पार्क में लाई गई शेरनी का नाम सीता रखा गया है. इससे हिंदू धर्म को ठेस पहुंची है. हम इस तरह के नाम का कड़ा विरोध करते हैं. विहिप के वकील शुभंकर दत्ता ने कहा कि सरकारी दस्तावेजों में दोनों शेरों की पहचान ‘नर और मादा पैंथेरा शेर’ के रूप में की गई है. यहां पहुंचने के बाद, उनका नाम अकबर और सीता रखा गया. इसलिए हमने अदालत से मांग की है कि बाद वाले नाम को बदला जाए. हमने राज्य चिड़ियाघर के अधिकारियों और बंगाल सफारी पार्क के निदेशक को मामले में पक्ष बनाया है.”

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