परिवार में किच-किच से परेशान वकील ने दे दी जान, लाइसेंसी पिस्टल से खुद को मार ली गोली, कब तक मरते रहेंगे पत्नी से पीड़ित ‘अतुल सुभाष’?
Delhi Lawyer Suicide: दिल्ली के मुखर्जी नगर इलाके में 45 वर्षीय वकील समीर मेहंदीरता ने आत्महत्या कर ली. पुलिस के अनुसार, समीर ने अपनी लाइसेंसी पिस्टल से गोली मारकर जान दी. उन्हें गंभीर हालत में अस्पताल ले जाया गया, जहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई.
पुलिस का कहना है कि समीर और उनकी पत्नी के बीच तलाक को लेकर विवाद चल रहा था, और यह मामला कोर्ट में था. पत्नी अलग रह रही थी, और समीर इस पारिवारिक विवाद को लेकर मानसिक तनाव में थे. परिवार के सदस्य भी इस बात का समर्थन करते हैं कि समीर तलाक के कारण काफी परेशान थे.
पुलिस की जांच जारी
पुलिस मामले की जांच कर रही है, और सभी पहलुओं पर गौर किया जा रहा है. शुरुआती जानकारी के मुताबिक यह आत्महत्या का मामला लग रहा है, लेकिन पुलिस आगे की जांच में यह भी देख रही है कि इस मामले में और क्या कारण हो सकते हैं. हालांकि, पिछले कुछ महीनों में इस तरह के कई मामले सामने आ चुके हैं.
इससे पहले उत्तर प्रदेश के हमीरपुर में एक शख्स ने अपनी जान दे दी थी. यह बिल्कुल अतुल सुभाष सुसाइड (Atul Subhash Suicide) जैसा मामला था, जिसमें एक युवक ने अपनी पत्नी और सास से परेशान होकर आत्महत्या की. आत्महत्या से पहले युवक ने एक वीडियो भी बनाया और उसमें पत्नी और सास को कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग की.
उसने अपने वीडियो में कहा था, “भाई साहब, जहां तक हमारा प्रेम था, वहां तक चला, प्रेम इस एंड में आ चुका है कि आपकी झोली खाली होने जा रही है. लेकिन बशर्ते प्रेम से मैं आप से कुछ नहीं मांग रहा, ये उम्मीद लगा कर मांग रहा हूं कि मेरा बच्चा और मेरी बेटी मेरी बहन को दे दी जाए या मेरे घर पहुंचा दी जाए. मेरी घरवाली, मेरी सास को जितनी कड़ी से कड़ी सजा हो सकती है, मिल जाए. साला मेरा निर्दोष है. बस यही मांग रहा हूं, हर जगह से, स्टाफ से, इससे आगे आजतक मैंने कुछ मांगा नहीं. बस, इसके आगे मैं कुछ और नहीं कह सकता हूं. मेरी सास और मेरी घरवाली को दंड मिले, मेरे साले को नहीं वो निर्दोष है, मेरे भाइयों जय हिंद.”
अतुल सुभाष का मामला क्या है?
वैसे तो इन दिनों महिलाओं के खिलाफ बनाए गए कानूनों के दुरुपयोग और कोर्ट में लंबित मामलों को लेकर बड़ी बहस हो रही है. जहां एक तरफ इन कानूनों को सही तरीके से लागू करने की आवश्यकता है, वहीं दूसरी तरफ इनका गलत इस्तेमाल भी बढ़ रहा है. लंबे समय तक चलने वाले मामलों में बार-बार तारीखें मिलती हैं, लेकिन न्याय का कभी कोई परिणाम नहीं निकलता.
ऐसा ही कुछ हुआ था बेंगलुरू के 34 वर्षीय इंजीनियर अतुल सुभाष के साथ. अतुल का मामला एक उदाहरण बन गया है. उनकी दुखद कहानी यह साबित करती है कि कैसे कानून की प्रक्रिया में अनावश्यक देरी और गलत आरोपों का सामना करने वाले व्यक्ति के जीवन को पूरी तरह से तबाह कर सकता है. अपनी पत्नी से परेशान होकर इंजीनियर अतुल ने आत्महत्या कर ली थी. इतना ही नहीं, अपने पीछे शख्स ने 24 पन्ने का सुसाइड नोट भी छोड़ा था, जिसमें लिखी गई बातें कई सवाल उठा रहे हैं. लोग अब यही पूछ रहे हैं कि कब तक मरते रहेंगे पत्नी से पीड़ित ‘अतुल सुभाष’?
बता दें कि देश में ऐसे मामलों में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. पारिवारिक दबाव, आर्थिक समस्याएं और मानसिक तनाव ऐसे कई कारण हैं, जो लोगों को इस हद तक पहुंचा रहे हैं. आइए, समझते हैं कि इसके पीछे की असल वजहें क्या हैं और इसे कैसे रोका जा सकता है.
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पारिवारिक विवाद से मानसिक दबाव
पारिवारिक झगड़े, रिश्तों में तनाव, और घर की समस्याएं व्यक्ति के मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर डालती हैं. इन दबावों के कारण लोग अकेलापन और अवसाद का शिकार हो जाते हैं. बहुत से लोग इन समस्याओं का सामना अकेले करते हैं और मदद लेने में हिचकते हैं. जब यह तनाव अत्यधिक बढ़ जाता है, तो आत्महत्या को एक आखिरी रास्ता मान लिया जाता है.
आर्थिक दबाव
दिल्ली जैसे बड़े शहरों में आर्थिक तनाव भी एक बड़ी समस्या बन चुका है. नौकरी की असुरक्षा, परिवार की जिम्मेदारियां और बढ़ते खर्चे कई बार मानसिक शांति को तोड़ देते हैं. जब लोग अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करने में असमर्थ महसूस करते हैं, तो यह तनाव और बढ़ता है, और कई बार आत्महत्या तक पहुंचता है.
क्यों बढ़ रहे हैं ऐसे मामले?
समाज में मानसिक स्वास्थ्य को लेकर खामोशी और असंवेदनशीलता बढ़ रही है. लोग अपनी समस्याओं के बारे में खुलकर बात नहीं कर पाते, जिससे तनाव और गहरा हो जाता है.
परिवारों पर जो अपेक्षाएं होती हैं, खासकर आर्थिक स्थिति और रिश्तों में संतुलन बनाए रखने की, वह व्यक्ति पर अत्यधिक दबाव डालती हैं.
क्या किया जा सकता है?
अगर आप या आपके परिवार में कोई मानसिक रूप से परेशान है, तो उसे प्रोफेशनल हेल्प लेने के लिए प्रोत्साहित करें.
काउंसलिंग और मानसिक स्वास्थ्य सेवाएं आत्महत्या जैसी घटनाओं को रोकने में मदद कर सकती हैं.
घर में खुला संवाद और एक दूसरे का समर्थन, पारिवारिक विवादों को सुलझाने में मदद करता है. यह मानसिक तनाव को कम करता है.
सरकार और कई सामाजिक संस्थाएं मानसिक स्वास्थ्य को लेकर जागरूकता फैलाने के प्रयास कर रही हैं. हेल्पलाइन सेवाएं और काउंसलिंग सत्र ऐसे मामलों में मददगार साबित हो सकते हैं.
पारिवारिक विवादों के कारण बढ़ रही आत्महत्या की घटनाएं मानसिक स्वास्थ्य और परिवारों के भीतर के रिश्तों पर एक गंभीर सवाल उठाती हैं. अगर हम एक सहायक और संवेदनशील समाज बनाएं, तो हम इन संकटपूर्ण परिस्थितियों से बाहर निकल सकते हैं. समाज को यह समझने की जरूरत है कि मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना उतना ही जरूरी है जितना शारीरिक स्वास्थ्य पर.