‘फर्स्ट डे, फर्स्ट शो’ से ही सियासी संदेश देने के लिए तैयार BJP, समझिए शपथ ग्रहण में किसानों और संतों को बुलाने की रणनीति!
बीजेपी के बड़े नेता
BJP Swearing-In Ceremony: दिल्ली में बीजेपी ने सत्ता में वापसी की है, और यह मौका पार्टी के लिए बेहद ऐतिहासिक है. 27 सालों के लंबे वनवास के बाद दिल्ली में बीजेपी के सत्ता में लौटने को लेकर जो हलचल मची हुई है, वह किसी फिल्मी हिट से कम नहीं है. इस अवसर पर बीजेपी ने शपथ ग्रहण समारोह को खास बनाने के लिए पूरी तैयारी की है. रामलीला मैदान में होने वाला शपथ ग्रहण समारोह, पार्टी के लिए सिर्फ एक औपचारिकता नहीं, बल्कि एक सियासी सर्कस है. चलिए, आपको बताते हैं कि इस शपथ ग्रहण के पीछे छिपी असल राजनीति क्या है.
बीजेपी का शक्ति प्रदर्शन
बीजेपी ने शपथ ग्रहण समारोह को सिर्फ एक राजनीतिक इवेंट के रूप में नहीं, बल्कि एक शक्ति प्रदर्शन के रूप में तैयार किया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, एनडीए के घटक दलों के मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, सबको बुलाकर बीजेपी ने इस समारोह को एक ‘पॉलिटिकल इवेंट’ की जगह ‘शक्ति प्रदर्शन’ में बदल दिया है. तीन अलग-अलग मंच तैयार किए जा रहे हैं, और अगर आप इसे एक फिल्म के कैमरा एंगल से देखें तो, यह पूरी तरह से ‘सीन’ को हाईलाइट करने की तैयारी है.
केंद्र में बीजेपी की ताकत तो है ही, लेकिन दिल्ली की सत्ता में वापसी के बाद, बीजेपी ने एनडीए की एकजुटता को भी दर्शाने का फैसला लिया है. यह संदेश देने का मौका है कि बीजेपी केवल दिल्ली तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे भारत में अपनी पकड़ मजबूत कर चुकी है.
साधू-संतों के जरिए बीजेपी का मैसेज
अब बात करते हैं बीजेपी के उस ‘साइलेंट’ रणनीतिक मास्टरस्ट्रोक की, जो शपथ ग्रहण समारोह में साधू-संतों को बुलाने के रूप में किया गया है. यह कोई मामूली बात नहीं है! पीएम मोदी साधू-संतों को मंच पर बैठाकर यह दिखाना चाहते हैं कि उनकी सरकार न केवल हिंदू समर्थकों की, बल्कि धार्मिक आस्था रखने वाले हर वर्ग की आवाज़ भी बन सकती है.
धीरेंद्र शास्त्री, बाबा रामदेव, स्वामी चिदानंद जैसे नामी साधू-संत इस समारोह में आमंत्रित हैं. बीजेपी का मकसद साधू-संतों को मंच पर बुलाकर हिंदू वोटबैंक को अपनी तरफ आकर्षित करना है. यही नहीं, आम आदमी पार्टी ने चुनावी मौसम में ‘सॉफ्ट हिंदुत्व’ के जरिए कुछ नया कार्ड खेला था, तो बीजेपी ने उन्हें चतुराई से ‘काउंटर’ कर दिया है.
किसानों और लाभार्थियों को क्यों बुलाया
चलिए, अब बात करते हैं एक और ‘स्ट्रैटेजिक’ कदम की. बीजेपी ने इस बार शपथ ग्रहण में किसानों और केंद्र सरकार की योजनाओं के लाभार्थियों को बुलाकर यह सियासी संदेश देने की योजना बनाई है कि वे ‘गरीब-कल्याण’ की सरकार हैं. महिलाओं के लिए लाडली बहना योजना का ऐलान पहले ही हो चुका है, और अब बीजेपी ने उन महिलाओं को आमंत्रित किया है जिन्होंने इसका लाभ उठाया. बीजेपी का मानना है कि इस तरीके से वे न केवल अपनी योजनाओं का प्रचार करेंगे, बल्कि चुनावी नतीजों में महिलाओं की अहम भूमिका को भी सेलेब्रेट करेंगे.
इसके अलावा, दिल्ली के किसान और उन नागरिकों को भी शपथ ग्रहण समारोह में बुलाया गया है, जो केंद्र सरकार की योजनाओं से लाभान्वित हुए हैं. इससे बीजेपी यह संदेश देना चाहती है कि वह हर वर्ग के हितों के लिए काम कर रही है.
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‘शपथ ग्रहण’ अब ‘फिल्मी इवेंट‘
अब अगर हम इस शपथ ग्रहण समारोह को एक एंटरटेनमेंट एंगल से देखें, तो यह किसी बॉलीवुड इवेंट से कम नहीं. रामलीला मैदान को रेड कारपेट से सजाया जा रहा है, कैलाश खेर का लाइव कंसर्ट होगा, और 50 से ज्यादा फिल्मी सितारे इस समारोह का हिस्सा बनेंगे. बीजेपी ने इस अवसर को एक ‘सुपरहिट’ इवेंट बनाने की पूरी कोशिश की है. और, सिर्फ फिल्मी सितारे ही नहीं, मुकेश अंबानी, गौतम अडानी जैसे प्रमुख उद्योगपतियों को भी समारोह में बुलाया गया है. यह दिखाता है कि बीजेपी न केवल अपनी राजनीतिक ताकत को प्रचारित करना चाहती है, बल्कि ग्लैमर, बिजनेस और मीडिया के मिक्स से इसे एक अलग रणनीति बना रही है.
यह रणनीति बीजेपी की ‘रिफ्रेश्ड पॉलिटिक्स’ को दिखाने का तरीका है, जहां हर चुनावी जश्न को एक ग्लैमर और प्रोफेशनल इवेंट में तब्दील कर दिया जाता है.
सियासी फिल्म का क्लाइमेक्स है शपथ ग्रहण समारोह!
दिल्ली में बीजेपी की वापसी को एक फिल्म के प्लॉट की तरह देखें, तो इस शपथ ग्रहण समारोह को एक शानदार क्लाइमेक्स के रूप में पेश किया जा सकता है. हिंदुत्व का एजेंडा, किसानों को साधने की बात, महिलाओं की सशक्तिकरण की योजना—यह सब मिलकर बीजेपी के इस आयोजन को न केवल ऐतिहासिक बल्कि एक सियासी सुपरहिट बनाने का काम कर रहे हैं.
इसलिए, अगर आप इसे एक राजनीतिक टेलीविजन शो समझें, तो बीजेपी ने हर ‘सीन’ को बखूबी तैयार किया है. यह केवल सत्ता की वापसी नहीं, बल्कि एक ‘लॉन्च’ है, जहां हर एक्ट, हर शॉट और हर इंटरएक्शन को सियासी संवाद के रूप में पेश किया गया है.