केजरीवाल का राजनीतिक ‘रंग’ और पानी पर ‘जंग’… जानिए अब तक क्यों नहीं हो पाई है यमुना की सफाई
यमुना की सफाई
Yamuna River Cleaning: क्या आपने कभी सोचा है कि दिल्ली की यमुना नदी को साफ करना एक राजनीतिक ड्रामा बन सकता है? जी हां, आपने सही सुना. दिल्ली के दिल में बसी यमुना को साफ करने की मुहिम एक हिट फिल्म की तरह हो गई है, जिसमें राजनीति, प्रशासन और कुछ सस्पेंस का तड़का लगा है. चलिए, इस सियासत की पूरी कहानी आपको विस्तार से बताते हैं!
यमुना की सफाई मिशन
यमुना की सफाई कोई आम सफाई अभियान नहीं है! ये वो मिशन है, जो 16 फरवरी 2025 को दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना के निर्देशन में शुरू हुआ. क्या हुआ फिर? खैर, सफाई के नाम पर यमुना में ट्रैश स्कीमर्स, वीड हार्वेस्टर और ड्रेज यूटिलिटी क्राफ्ट नामक हाई-टेक मशीनें उतारी गईं! इन मशीनों का काम है पानी में तैरते कचरे और जलकुम्भी को बाहर निकालना.
“केजरीवाल की राजनीति”
लेकिन मजे की बात यह है कि जब पहले अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी सरकार थी, तो यही सफाई काम अचानक रुक गया था. कारण था—केजरीवाल सरकार का यह मानना कि उन्हें इस सफाई अभियान का श्रेय नहीं मिलना चाहिए, और इसके चलते ही सुप्रीम कोर्ट में जाकर इस काम को रोकवा दिया गया!
यह बात खुद दिल्ली के एलजी विनय सक्सेना ने बताई है. उन्होंने कहा है कि यमुना से कचरा निकालने के लिए वे खुद नजफगढ़ नाले की सफाई में जुटे थे. उन्होंने कहा कि इस नाले से 74% गंदगी यमुना में पहुंचती है, और वे इसे साफ करने की योजना बना चुके थे. लेकिन, कुछ दिनों बाद एक चौंकाने वाली घटना घटी. नजफगढ़ नाले के बारे में केजरीवाल को खुद ही जानकारी नहीं थी! और फिर, सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सफाई के काम को रोक दिया.
क्यों रोका? जवाब खुद उपराज्यपाल ने दिया, “जब हमने नाले की सफाई दिखाने के लिए केजरीवाल को बुलाया, तो उन्हें नहीं पता था कि यह नाला 57 किलोमीटर लंबा है! इसके बाद ही केजरीवाल सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी.
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हाई-ऑक्टेन सफाई ‘प्लान’
कहानी में अब असली एक्शन आ रहा है. उपराज्यपाल ने यह भी बताया है कि कैसे चार चरणों में यमुना को साफ किया जाएगा.
चरण 1: कचरा उठाना – ये मशीनें पानी से कचरा और जलकुम्भी उठाएंगी.
चरण 2: नालों की सफाई – क्या आप सोच सकते हैं अगर नाले ही गंदे हों तो सफाई कैसे हो? बस, यही दूसरा कदम है.
चरण 3: सीवर सिस्टम को सही करना – पानी की सफाई तभी मुमकिन है जब सीवर सही से काम करे.
चरण 4: नए प्लांट्स बनाना – नए और आधुनिक सीवर ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण किया जाएगा.
अब क्या होगा?
क्या आपको लगता है कि इस सफाई के अभियान में अब कोई और ड्रामा नहीं होगा? यमुना नदी की सफाई का मामला एक दिलचस्प और थोड़ी सी राजनीति से भरा हुआ है! पहले की बात करें तो यमुना में गंदगी इतनी बढ़ चुकी है कि सफाई करना किसी पहाड़ चढ़ने जैसा काम है. लेकिन, इसके बावजूद सफाई का काम काफी देर से क्यों शुरू हुआ? इसका कारण था—राजनीति का तड़का!
लेकिन अब, राजनीति की दीवारों को तोड़ते हुए, उपराज्यपाल सक्सेना ने फिर से सफाई अभियान शुरू किया है, और यमुना को साफ करने का काम जोर-शोर से चल रहा है. बड़ी मशीनों से जलकुम्भी हटाई जा रही हैं, नाले साफ हो रहे हैं और नालियों का जाल मजबूत किया जा रहा है. लगता है, यमुना के सफाई मिशन को अब कोई रोकने वाला नहीं है!