Ebrahim Raisi: ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मौत के पीछे इजरायल-अमेरिका? क्यों एक बार से चर्चा में आया Mossad

Iran President: ईरान समर्थित हिजबुल्लाह लीडर हसन नसरल्लाह के बेटे हादी नसरल्लाह ने इजरायल को लेकर बड़ी चेतावनी दी है. इस हमले में इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद को भी संदेह की नजर से देखा जा रहा है.
Ebrahim Raisi

ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मौत के पीछे इजरायल-अमेरिका!

Iran President Ebrahim Raisi: ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी का हेलिकॉप्टर(Helicopter Crashed) लैंडिंग के समय दुर्घटनाग्रस्त हो गया. इस हादस में राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी समेत 8 लोगों की मौत हो गई है. हेलिकॉप्टर में ईरान के विदेश मंत्री होसैन अमीराब्दुल्लाहियन, पूर्वी अजरबैजान प्रांत के गवर्नर मालेक रहमती, तबरीज नेता होज्जातोलेस्लाम अल हशेम और कई अन्य लोग भी सवार थे. वहीं अब इस हादसे पर सवाल भी उठ रहे हैं. ईरान के पूर्व विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद ज़रीफ़ ने इस हादसे के लिए अमेरिका की ओर से लगाए गए प्रतिबंधों को जिम्मेदार बताया है, तो वहीं ईरान समर्थित हिजबुल्लाह लीडर हसन नसरल्लाह के बेटे हादी नसरल्लाह ने इजरायल को लेकर बड़ी चेतावनी दी है. इस हमले में इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद को भी संदेह की नजर से देखा जा रहा है.

इजरायल बेवजह विश्व युद्ध को भड़का रहा- हादी

हिजबुल्लाह लीडर हसन नसरल्लाह के बेटे हादी नसरल्लाह ने कहा है कि यदि ईरान को एक भी सबूत मिल जाता है कि इस घटना के पीछे इजरायल था, तो हम एक नाटकीय भू-राजनीतिक बदलाव देखने वाले हैं जो पूरे क्षेत्र को जला देगा. इजरायल बेवजह पश्चिमी फंडिंग और समर्थन से विश्व युद्ध को भड़का रहा है. ईरान के पूर्व विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद जरीफ ने कहा कि ईरानी राष्ट्र ने इन 45 वर्षों में बड़ी घटनाओं का सामना किया है. इराकी तानाशाह सद्दाम हुसैन का ईरान के खिलाफ आक्रामक युद्ध, इमाम खुमैनी के 72 साथियों की शहादत, लोकप्रिय राष्ट्रपति मोहम्मद अली राजाई की शहादत और ईरान के खिलाफ क्रूर प्रतिबंध उन कठिन परिस्थितियों का हिस्सा थे, जिन पर इस्लामी गणराज्य ने सफलतापूर्वक काबू पाया है. इस हृदय विदारक घटना का एक कारण अमेरिका है, जिसने ईरान को विमानन उद्योग की बिक्री पर प्रतिबंध लगाकर राष्ट्रपति और उनके साथियों की शहादत का कारण बना और अमेरिका का यह अपराध ईरानी लोगों और इतिहास के मन में दर्ज रहेगा.

हाल में ईरान और इजरायल के बीच भीषण तनाव

कुछ दिनों पहले ईरान और इजरायल के बीच भीषण तनाव देखने को मिला था. जब रईसी और सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के नेतृत्व में ईरान ने सीरिया में ईरानी वाणिज्य दूतावास पर हवाई हमले के जवाब में इजरायल पर सैकड़ों ड्रोन और बैलिस्टिक मिसाइलें दागी थी. इस हमले को इजरायल की हार की तरह देखा गया था. ईरान ने पिछले कई सालों से फिलिस्तीनी उग्रवादी समूह हमास को वित्तीय और अन्य सहायता प्रदान की है, जिसने 7 अक्टूबर को इजरायल पर हमला किया था. इसी से गाजा युद्ध शुरू हो गया था , लेकिन इस बात का कोई सबूत नहीं है कि ईरान सीधे तौर पर हमले में शामिल था. वहीं रईसी का हेलिकॉप्टर अजरबैजान की सीमा के पास पहाड़ी जंगल में गिरा था. अजरबैजान और ईरान के बीच सबसे कम दोस्ताना है. इसका कारण है कि अजरबैजान के इजरायल के साथ संबंध अच्छे हैं और मोसाद के साथ सहयोग करने का उसका पुराना इतिहास रहा है. हालांकि रविवार को हुई हेलिकॉप्टर दुर्घटना में इजरायल का हाथ होने का कोई सबूत नहीं है तथा इजरायली अधिकारियों ने भी इस घटना पर कोई टिप्पणी नहीं की है.

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परमाणु हथियार बनाने की कोशिश कर रहा ईरान

बता दें कि, इजरायल और पश्चिमी देशों को लंबे समय से संदेह है कि ईरान शांतिपूर्ण परमाणु कार्यक्रम की आड़ में परमाणु हथियार बनाने का प्रयास कर रहा है, जिसे वह खतरा मानते हैं. इन दिनों ईरान 60% शुद्धता तक यूरेनियम को समृद्ध कर रहा है, जो 90% के हथियार-ग्रेड लेवल के करीब है. साथ ही ईरान ने संयुक्त राष्ट्र परमाणु एजेंसी की ओर से लगाए गए निगरानी कैमरों को बाधित कर दिया है, और एजेंसी के कुछ सबसे अनुभवी निरीक्षकों को भी प्रतिबंधित कर दिया है. ईरान ने हमेशा जोर दिया है कि उसका परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह से शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है, लेकिन अमेरिका और अन्य देशों का मानना ​​है कि 2003 तक उसका परमाणु हथियार कार्यक्रम सक्रिय था. माना जाता यह भी जाता है कि इजराइल मध्य पूर्व में एकमात्र परमाणु-सशस्त्र देश भी है. दूसरी ओर फारस की खाड़ी के अरब देश भी लंबे समय से ईरान को संदेह की दृष्टि से देखते रहे हैं. इसका एक कारण है कि साल 2020 में इजरायल के साथ संबंधों को सामान्य बनाने के लिए संयुक्त अरब अमीरात और बहरीन के निर्णय और सऊदी अरब की ओर से इस तरह के कदम पर विचार करने के लिए प्रेरित किया था.

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