Electoral Bond: क्या है सबसे ज्यादा चंदा देने वाला कंपनी फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज का 33 साल पुराना इतिहास? हो चुका है ED का एक्शन

Electoral Bond: फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की स्थापना 1991 में हुई थी यानी कंपनी 33 साल पुरानी है.
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फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज

Electoral Bond: सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) बीते 12 मार्च को इलेक्टोरल बॉन्ड चुनावी बांड से संबंधित डेटा भारत निर्वाचन आयोग को दिया था. अब गुरुवार को निर्वाचन आयोग ने अदालत के आदेश के अनुसार इसकी जानकारी साझा कर दी है. आयोग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार केवल तीन कंपनियों ने 2,744 करोड़ रुपए का चंदा पार्टियों को दिया है.

भारत निर्वाचन आयोग द्वारा साझा की गई जानकारी के अनुसार फ्यूचर गेमिंग एंड होटल सर्विसेज प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी ने सबसे ज्यादा इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे हैं. इस कंपनी ने अक्टूबर 2020 से जनवरी 2024 के दौरान 1,368 करोड़ रुपए के इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदे हैं. हालांकि इस कंपनी की चर्चा इस वजह से भी हो रही है क्योंकि इस समय अवधी के दौरान कंपनी पर ईडी की कार्रवाई भी हुई है.

33 साल पुरानी है कंपनी

इस कंपनी की स्थापना 1991 में हुई थी यानी कंपनी 33 साल पुरानी है. कंपनी के रजिस्ट्रेशन का पता तमिलनाड़ु के कोयंबटूर में है. जबकि कंपनी के लेने देन यानी खाते से जुड़ी जानकारी कोलकाता में रखी जाती है. यह कंपनी स्टॉक एक्सचेंज में लिस्टेड नहीं है. इस कंपनी को पहले मार्टिन लॉटरी एजेंसीज लिमिटेड नाम से जाना जाता था. जानकारों की मानें तो यह कंपनी दो अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक के कारोबार के साथ भारत में लॉटरी के कारोबार में शीर्ष कंपनी है.

फ्यूचर गेमिंग ही भारत की पहली लॉटरी कंपनी थी, जिसने टीवी पर लाइव प्रसारण की सुविधा दी थी. फ्यूचर गेमिंग एशिया पैसिफिक लॉटरी एसोसिएशन (एपीएलए) का सदस्य है. यहा जानकारी कंपनी के आधिकारिक वेबसाइट पर दी गई है. इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए फ्यूचर गेमिंग कंपनी के इतना चंदा देने पर सवाल उठ रहे हैं. इसकी एक और वजह बताई जा रही है.

ईडी ने की थी कार्रवाई

दरअसल, द हिंदू की रिपोर्ट के अनुसार जब चंदा दिया गया, उस दौरान ईडी ने मार्च 2022 में फर्म और अन्य कंपनियों के बैंक खातों में ₹411 करोड़ जब्त किए थे. इसके बाद ईडी द्वारा पिछले साल 2023 में कोलकाता के PMLA कोर्ट में मनि लॉडिंग का मामला दर्ज किया गया था.

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बता दें कि राजनीतिक पार्टियों को 12,155 करोड़ का चंदा इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए मिला है. इसकी जानकारी साझा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने भारत निर्वाचन आयोग को 15 मार्च तक का समय दिया था. आयोग को यह डाला एसबीआई ने दो सेटों में उपलब्ध कराया है. डाटा पहले सेट में चुनावी बॉन्ड की खरीद की तारीख, बॉन्ड खरीदने वाले का नाम और खरीदे गए बॉन्ड की कीमत का उल्लेख है.

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