Explained: यौन उत्पीड़न के आरोप, हिंसाग्रस्त इलाका, सियासत और आरोपी शेख शाहजहां…क्यों सुलग रहा है संदेशखाली?

हाल ही में महिलाओं ने बांस की लाठियों और झाड़ू के साथ विरोध प्रदर्शन करते हुए शाहजहां शेख, शिबाप्रसाद हाजरा की तत्काल गिरफ्तारी की मांग की थी.
संदेशखाली

संदेशखाली

Explained: पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले का एक गांव संदेशखाली लगभग एक महीने से राजनीतिक तूफान के केंद्र में है. पिछले दिनों स्थानीय टीएमसी नेतृत्व के खिलाफ कई महिलाओं द्वारा यौन शोषण के आरोपों पर अभूतपूर्व विरोध प्रदर्शन देखा गया है. यह सब 5 जनवरी की एक ठंडी, ठंडी सुबह में शुरू हुआ. दरअसल, करोड़ों रुपये के राशन वितरण घोटाले में संदेशखाली में अब फरार टीएमसी नेता शाहजहां शेख के आवास पर ED ने छापा मारा.

इलाके में शाहजहां के लोगों ने न केवल ईडी अधिकारियों को उसके घर में प्रवेश करने से रोका बल्कि उनके साथ मारपीट भी की. ईडी के साथ मारपीट के बाद से टीएमसी नेता शाहजहां शेख फरार है. उसके खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी किया गया है.

पश्चिम बंगाल का संदेशखाली अशांत क्यों?

ईडी के अधिकारियों के साथ मारपीट की घटना के बाद बड़ी संख्या में स्थानीय महिलाएं खुलकर सामने आईं और आरोप लगाया कि शाहजहां और उसके लोगों ने झींगा पालन के लिए उनकी जमीन जबरन हड़प ली है. इतना ही नहीं कई सालों से उन्हें प्रताड़ित कर रहा है. कई महिलाओं ने यौन उत्पीड़न का भी आरोप लगाया है.

महिलाओं ने टीएमसी लीडर पर क्या आरोप लगाए?

आरोप लगाया गया है कि टीएमसी पार्टी के कार्यकर्ता संदेशखाली के हर घर का सर्वे करते हैं. इस दौरान खूबसूरत महिला, नई नवेली दुल्हन या कुंवारी लड़कियों को अपने साथ पार्टी कार्यालय ले जाते हैं. वे उस महिला को रात-रात भर वहां रखते हैं जब तक कि वे संतुष्ट न हो जाएं.

समाचार एजेंसी ANI की 14 फरवरी की रिपोर्ट के मुताबिक, शाहजहां शेख के खिलाफ प्रदर्शन कर रही महिलाओं में से एक ने कहा, “वो रात के 12 बजे हम दोनों पुरुषों और महिलाओं से जबरदस्ती काम कराते थे. वो हमें हमारे घरों से उठा लेते थे और हमसे जबरदस्ती काम कराते थे, भले ही किसी की तबीयत ही क्यों न खराब हो.”

एएनआई ने महिलाओं के हवाले से कहा, “कोई पति हो सकता है, लेकिन उसका उस पर अधिकार नहीं होगा. किसी को अपनी पत्नी को छोड़ना होगा. हम यहां रहने में असमर्थ हैं. हमेशा प्रताड़ित होने या यौन उत्पीड़न का डर रहता है. हम सुरक्षा चाहते हैं. सबसे हमारे कई लोगों ने गांव छोड़ दिया है और दूसरे राज्यों में काम कर रहे हैं.”

हाल ही में महिलाओं ने बांस की लाठियों और झाड़ू के साथ विरोध प्रदर्शन किया और शाहजहां शेख, शिबाप्रसाद हाजरा की तत्काल गिरफ्तारी की मांग करते हुए स्थानीय पुलिस स्टेशनों का घेराव किया था.

विरोध प्रदर्शन और राजनीतिक ब्लेम-गेम

पिछले शुक्रवार को तनाव तब बढ़ गया जब प्रदर्शनकारी महिलाओं ने हाजरा के स्वामित्व वाले तीन पोल्ट्री फार्मों को जला दिया. इस जमीन के बारे में कहा गया है कि ये ग्रामीणों से जबरन छीनी गई थी. बीजेपी और कांग्रेस ने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ टीएमसी प्रशासन “शाहजहां और उसके लोगों को संरक्षण दे रहा है, जबकि कुछ टीएमसी नेताओं ने दावा किया कि शाहजहां को विपक्षी दलों ने गलत तरीके से फंसाने की कोशिश की है.

महिलाओं के विरोध प्रदर्शन ने इस सप्ताह की शुरुआत में बंगाल के राज्यपाल सीवी आनंद बोस का ध्यान अपनी ओर खींचा. उन्होंने संदेशखाली की महिलाओं से बात करने के बाद इसे “भयानक और चौंकाने वाला घटना बताया है.

बोस ने कहा, “मैंने जो देखा वह भयानक, चौंकाने वाला और मेरे होश उड़ा देने वाला था. मैंने कुछ ऐसा देखा जो मुझे कभी नहीं देखना चाहिए था, मैंने बहुत सी चीजें सुनीं जो मुझे कभी नहीं सुननी चाहिए थी. यह एक नागरिक समाज के लिए शर्म की बात है.” इसके बाद बोस ने गृह मंत्रालय को एक रिपोर्ट भी सौंपी है.

अपनी रिपोर्ट में बोस ने कहा है कि स्थानीय लोग अपने आरोपों की जांच के लिए एक विशेष कार्य बल या विशेष जांच दल का गठन चाहते हैं.इन घटनाक्रमों पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि जो लोग जिम्मेदार थे उन्हें जेल में डाल दिया गया है. उन्होंने कहा कि स्थिति पर बारीकी से नजर रखी जा रही है और आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं.

गांव में राजनीतिक हलचल

पुलिस ने आरोपों पर संदेशखाली के पूर्व सीपीआईएम विधायक निरापद सरदार और एक स्थानीय भाजपा नेता विकास सिंह को गिरफ्तार कर लिया. बरिशात पुलिस ने कहा कि उन्हें हिंसा प्रभावित संदेशखाली के लोगों से केवल चार शिकायतें मिली हैं लेकिन उनमें से किसी ने भी बलात्कार या यौन उत्पीड़न की किसी घटना का उल्लेख नहीं किया है.

पुलिस ने संदेशखाली में धारा 144 लागू कर दी थी और विपक्षी नेता सुवेंदु अधिकारी और अन्य भाजपा नेताओं को शहर के साइंस सिटी में रोक दिया गया. इसके बाद भाजपा के पश्चिम बंगाल अध्यक्ष सुकांत मजूमदार घायल हो गए. उनकी पुलिस के साथ झड़प हो गई थी. सुवेंदु अधिकारी ने आरोप लगाया है कि बंगाल पुलिस ने उन्हें जूते से मारा है. पेट पर लात मारी है.

राज्य महिला आयोग की एक टीम ने सोमवार को संदेशखाली का दौरा किया, स्थानीय महिलाओं से बात की और मुख्यमंत्री कार्यालय (CMO) को एक रिपोर्ट सौंपी.वहीं सीएम ममता बनर्जी ने वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों के नेतृत्व में 10 सदस्यीय टीम का गठन किया है. संदेशखाली जाने की कोशिश कर रहे राष्ट्रीय महिला आयोग और राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के प्रतिनिधियों को भी पुलिस ने रोक दिया.

राजनीतिक हस्तियों का आना-जाना

दरअसल, संदेशखाली में महिलाओं के साथ हुए यौन उत्पीड़न और हिंसा की घटना की जांच के लिए बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने 15 फरवरी को छह सदस्य एक उच्च स्तरीय कमेटी का गठन किया था. यही कमेटी  मौके पर पहुंच रही थी. कमेटी घटना की जांच कर इसकी पूरी रिपोर्ट बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा को सौंपेगी. कमेटी का का संजोयक केंद्रीय मंत्री अन्नपूर्णा देवी को बनाया गया है, जबकि प्रतिभा भौमिक सुनीता दुग्गल, कविता पाटीदार, संगीता यादव और बृजलाल कमेटी के सदस्य हैं. हालांकि, कमेटी को गांव पहुंचने से रोक दिया गया है.

हाई कोर्ट ने क्या कहा?

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने संदेशखाली में धारा 144 लागू करने के फैसले को रद्द कर दिया. अदालत ने कहा कि राज्य को अधिक सुरक्षा बल तैनात करना चाहिए और ड्रोन और सीसीटीवी कैमरों के माध्यम से कड़ी निगरानी होनी चाहिए. कलकत्ता उच्च न्यायालय की न्यायाधीश न्यायमूर्ति अपूर्वा सिन्हा रे ने मंगलवार को स्थानीय महिलाओं के यौन उत्पीड़न और आदिवासियों की जमीन जबरन छीनने के आरोपों पर स्वत: संज्ञान लिया और राज्य को एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया है.

ज़रूर पढ़ें