Explainer: शनि ग्रह का गोचर, ज्योतिषियों का हौव्वा या जीवन का सत्य? भविष्यवाणी की सच्चाई विस्तार से समझिए
प्रतीकात्मक तस्वीर
Explainer: टीवी न्यूज़ चैनल्स हों या फिर सोशल मीडिया, शनि (Saturn) के मीन (Pisces) राशि में गोचर करने की चर्चा चारों तरफ है. ज्योतिष के हिसाब से 29 मार्च, 2025 को शनि ग्रह ने कुंभ राशि से मीन राशि में गोचर करना शुरू कर दिया. अब ज्योतिष के जानकार (Astrologer) इस खगोलीय घटना पर अपनी-अपनी भविष्यवाणी कर रहे हैं. ऐसे में सवाल ये है कि क्या यह गोचर वास्तव में इतना बड़ा है, जितना इसे बताया जा रहा है? क्या मीडिया इसे सनसनी बनाकर लोगों में भय पैदा कर रहा है या ज्योतिषीय तथ्यों के आधार पर यह चर्चा जायज़ है? तो चलिए शुक्रवार से शनि की बदली हुई परिस्थिति और मीडिया डिबेट के सच को खंगालते हैं.
ज्योतिष के हिसाब क्या है असल स्थिति
अपने भीतर की उत्सुकता, डर या मीडिया में चल रही बहस को समझने से पहले आप वर्तमान स्थिति को ख़ुद से समझने की कोशिश कीजिए. दरअसल, वैदिक ज्योतिष (Vedic Astrology) में शनि को ‘कर्मफलदाता’ और ‘न्याय का प्रतीक’ माना जाता है. सबसे अहम बात ये है कि शनि ग्रह को इसकी धीमी चाल के लिए जाना जाता है और यह एक राशि में ढाई साल तक रहता है. 29 मार्च 2025 से शनि मीन राशि में प्रवेश कर चुका है और 3 जून 2027 तक वहीं रहेगा. मीन राशि को गुरु (बृहस्पति) की राशि माना जाता है. यह विशेष रूप से जल तत्व से जुड़ी है और आध्यात्मिकता तथा भावनात्मक गहराई का प्रतीक है. इस गोचर को खास बनाता है 30 साल बाद शनि और सूर्य की युति, जो एक दुर्लभ संयोग है.
इसके साथ ही, साढ़ेसाती और ढैय्या का प्रभाव कई राशियों पर पड़ेगा— जिसमें मेष पर साढ़ेसाती का पहला चरण, मीन पर दूसरा, कुंभ पर तीसरा, और सिंह तथा धनु पर ढैय्या शुरू होगी. लेकिन शनि ग्रह जिस राशि में अपना प्रभाव छोड़ेगा, क्या वहां सिर्फ़ दुख-दर्ज और तबाही मचेगी? इस सवाल यर हिमाचल प्रदेश के ज्योतिषी पंडित नागेंद्र शास्त्री कहते हैं, “शनि को लेकर अधिकांश लोग डर और भ्रम की स्थिति पैदा करते हैं. शनि का जो कि एक भारी ग्रह है, इसकी चाल धीमी है. ऐसे में भाग्य संबंधी मामलों में अक्सर जातक के जीवन में लेटलतीफी और परिश्रम का योग दिखाई पड़ता है. शनि ग्रह को ‘न्याय के देवता’ की संज्ञा दी गई है. यानी, यदि सही मंशा से व्यक्ति काम करता है और बिना शॉर्ट-कट परिश्रम करता है तो यही शनि ग्रह जातक को विशेष मान-सम्मान भी दिलाता है.”
मीडिया में बहस: सनसनी या तथ्य
मीडिया में शनि के इस गोचर को लेकर शुक्रवार (28 मार्च) से काफी बहस छिड़ी हुई है, और यह दो ध्रुवों में बंटी नज़र आती है. कई न्यूज़ चैनल्स और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म इसे ‘महाविनाशकारी’ या ‘जीवन बदलने वाला’ गोचर बता रहे हैं. टीवी डिबेट्स में ज्योतिषी दावा कर रहे हैं कि यह आर्थिक संकट, स्वास्थ्य समस्याओं, और सामाजिक अस्थिरता ला सकता है. उदाहरण के लिए, कुछ चैनलों ने सुर्खियां चलाईं—”शनि का मीन में प्रवेश: क्या होगा आपकी राशि पर असर?” जबकि सोशल मीडिया पर हैशटैग जैसे #ShaniInMeen और #SadeSati ट्रेंड कर रहे हैं. कई ज्योतिषियों ने इसे “साढ़ेसाती का आतंक” करार दिया, जिससे दर्शकों में डर का माहौल बन रहा है.
दूसरी ओर, कुछ पत्रकार और तर्कवादी इसे महज अंधविश्वास और सनसनीखेज प्रचार बता रहे हैं. कुछ यथार्थवादी विश्लेषकों ने सवाल उठाया कि अगर शनि हर व्यक्ति को प्रभावित करता है, तो क्या इसका असर सामूहिक रूप से मापा जा सकता है? यह बहस इसलिए तेज़ हुई, क्योंकि 29 मार्च को ही साल का पहला सूर्य ग्रहण भी है, जिसे जोड़कर इसे और बड़ा बनाया जा रहा है. हालांकि, इस बहस में एक तीसरा पहलू भी है—वो है बिजनेस. ज्योतिषीय उपायों जैसे शनि शांति पूजा, तिल दान, और रत्नों की बिक्री बढ़ाने के लिए विज्ञापन भी खूब चल रहे हैं. कई टीवी चैनल्स पर “शनि की कृपा के लिए कॉल करें” जैसे विज्ञापन दिखाई दे रहे हैं, जो इस चर्चा को व्यावसायिक रंग दे रहे हैं. यह सवाल उठता है कि क्या यह जानबूझकर फोबिया पैदा करने की कोशिश है? वर्तमान परिस्थिति में कहा जा सकता है कि आज की खगोलीय घटना को काफ़ी बढ़ा-चढ़ाकर और डर का माहौल बनाकर दिखाया जा रहा है.
कितना सच, कितना भ्रम?
शनि का मीन राशि में गोचर एक खगोलीय सत्य है. इसे खारिज नहीं किया जा सकता. मीन राशि में शनि का प्रभाव कर्म और आध्यात्मिकता के संतुलन को दर्शाता है, लेकिन इसका परिणाम व्यक्ति की कुंडली पर निर्भर करता है. ज्योतिष दावा करते हैं कि मेष, मीन, और कुंभ राशि वालों के लिए यह चुनौतीपूर्ण हो सकता है, जबकि वृषभ, मिथुन, और कन्या के लिए लाभकारी. लेकिन, ज्योतिष में किसी एक ग्रह के प्रभाव और उसके चारित्रिक गुण के आधार पर गणना या भविष्यवाणी नहीं की जा सकती. सटीक गणना जातक के लग्न, दशा और अन्य ग्रहों की स्थिति पर निर्भर करता है.
अगर ज्योतिष के पारंपरिक सिद्धांत को भी देखें तो मीडिया की कुछ बातें ज्योतिषीय रूप सही नहीं लगती. पंडित नागेंद्र शास्त्री बताते हैं, “मीडिया में इसे “सर्वनाशकारी” बताना सिर्फ़ हवाबाज़ी है. शनि को दंड देने वाला ग्रह मानने की बजाय इसे अनुशासन और मेहनत का प्रतीक मानना चाहिए. खेल यहीं से अलग हो जाएगा. सारा मामला नजरिया का है. आपका नज़रिया सही है तो सब सही है.”
क्या यह बड़ी घटना है?
हां, यह ज्योतिषीय रूप से एक बड़ी घटना है. पहला, शनि का ढाई साल का प्रभाव लंबे समय तक रहता है. दूसरा, साढ़ेसाती और ढैय्या का दायरा कई राशियों को प्रभावित करेगा. तीसरा, शनि-सूर्य की युति 30 साल बाद हो रही है, जो इसे दुर्लभ बनाती है और चौथा, मीन राशि का स्वभाव इसे आध्यात्मिक और भावनात्मक बदलावों से जोड़ता है. शनि का मीन राशि में गोचर एक महत्वपूर्ण घटना है, लेकिन इसे भय का पर्याय बनाना गलत है. ज्योतिष इसे संभावनाओं का विज्ञान मानता है, न कि निश्चित भविष्य का. मीडिया की बहस में सनसनी का तड़का है, लेकिन इसके पीछे ज्योतिषीय आधार भी है. लोगों को चाहिए कि वे इसे तर्क से समझें—न डरें, न अंधविश्वास करें.