झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले BJP में शामिल हुए चंपई सोरेन, ये है JMM को ठुकराने की पूरी कहानी

चंपई सोरेन का राज्य में बड़ा रसूख है. आदिवासी नेता चंपई सोरेन की पकड़ राज्य की राजनीति में ऐसी है कि हेमंत सोरेन जब गिरफ्तार हुए तो कहा जा रहा था कि उनकी पत्नी कल्पना सोरेन सीएम बनेंगी, लेकिन उन्होंने बाजी मार ली.
Champai Soren Join BJP

चंपई सोरेन बीजेपी में हुए शामिल

Champai Soren Join BJP: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन अब बीजेपी के हो गए हैं. उन्होंने शुक्रवार को आगामी विधानसभा चुनावों से पहले रांची में भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए. सोरेन अपने बड़ी संख्या में समर्थकों के साथ रांची में केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा की मौजूदगी में भाजपा में शामिल हुए. कभी झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक शिबू सोरेन के करीबी सहयोगी रहे सोरेन ने पिछले दिनों पार्टी से इस्तीफा दे दिया था. इससे पहले उन्होंने खुद की पार्टी बनाने का ऐलान किया था. हालांकि, अब वह बीजेपी में शामिल हो गए हैं.

अमित शाह से मुलाकात के बाद लिया फैसला

गौरतलब है कि चंपई ने असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा के साथ सोमवार देर रात नई दिल्ली में अमित शाह से मुलाकात की.इस साल के अंत में होने वाले झारखंड विधानसभा चुनावों के लिए भाजपा के सह-प्रभारी सरमा ने सबसे पहले सोमवार को घोषणा की थी कि चंपई सोरेन भाजपा में शामिल होंगे.

बीजेपी में शामिल होने से पहले चंपई ने एक मीडिया चैनल से झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) छोड़ने के पीछे के कारण के बारे में खुलकर बात की. सोरेन ने कहा, “मेरी स्थिति ऐसी है कि मुझे एक कार चलाने के लिए दी गई थी और अचानक बीच रास्ते में मुझसे चाबी वापस करने के लिए कहा गया. मुझे पार्किंग में कार पार्क करने का समय भी नहीं दिया गया.” चंपई सोरेन ने कहा कि उन्होंने पार्टी के लिए खून-पसीना एक किया है, लेकिन पार्टी में उन्हें सम्मान नहीं दिया गया.”

राजनीति में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं: चंपई

उन्होंने कहा, “राजनीतिक जीवन में उतार-चढ़ाव आते रहते हैं. मैंने संगठन के लिए खून-पसीना एक करके काम किया, लेकिन मुझे सम्मान नहीं दिया गया. नेतृत्व परिवर्तन के लिए मेरे सभी कार्यक्रम रद्द कर दिए गए. यह जबरदस्ती किया गया. मैं चुप रहा, लेकिन मेरा दिल दुख रहा था.” उन्होंने आगे कहा कि झारखंड के पूर्व सीएम शिबू सोरेन उनके लिए आदर्श रहे हैं, लेकिन अब वे बूढ़े हो गए हैं और बोलने में असमर्थ हैं. चंपई ने कहा, “इसलिए मैं किसी से अपने दिल की बात नहीं कह पाया. मैंने (एक्स पर) जो मेरे मन में था, उसे पोस्ट कर दिया.” उन्होंने कहा कि उन्हें बताया गया था कि नेतृत्व में बदलाव होगा और वे प्रस्ताव पारित करेंगे. उन्होंने कहा, “लेकिन यह जबरदस्ती किया गया. फिर उन्होंने मेरे साथ ऐसा व्यवहार किया, जैसे मैं भाग जाऊंगा.”

यह भी पढ़ें: “कोई भी सुरक्षा अधिकारी मेरी गाड़ी…”, Sharad Pawar ने Z+ सुरक्षा लेने से किया इनकार

मुझे पीएम मोदी और अमित शाह पर भरोसा है: चंपई

चंपई ने कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर भरोसा है और मुझे विश्वास है कि मैं झारखंड में आदिवासियों के अस्तित्व को बचा पाऊंगा. उन्होंने कहा, “मैं झारखंड के मुद्दे को लेकर भाजपा में आया हूं.” उन्होंने कहा, “मैंने विचार-विमर्श किया. झारखंड में झामुमो और भाजपा पहले भी साथ मिलकर सरकार चला चुके हैं. यह कोई नई बात नहीं है. राजनीति में परिस्थिति के हिसाब से बदलाव करना पड़ता है. भाजपा हमारी नई सहयोगी है.”

चंपई सोरेन ने आगे कहा कि भाजपा देश की सबसे बड़ी पार्टी है और पार्टी को तय करना है कि वह उन्हें पूरे राज्य की जिम्मेदारी देती है या कोल्हान क्षेत्र की. हेमंत सोरेन को ईडी द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद उन्हें झारखंड का मुख्यमंत्री चुना गया था. हालांकि, हेमंत के जेल से रिहा होने के बाद उन्हें तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई गई. इस बदलाव को आसान बनाने के लिए झामुमो के पुराने वफादार चंपई सोरेन को अचानक किनारे कर दिया गया. इसके बाद चंपई सोरेन ने बंगाल से लेकर नई दिल्ली तक बीजेपी के बड़े नेताओं से मुलाकात की और बड़ा फैसला लिया.

चंपई सोरेन का राजनीतिक रसूख

चंपई सोरेन का राज्य में बड़ा रसूख है. आदिवासी नेता चंपई सोरेन की पकड़ राज्य की राजनीति में ऐसी है कि हेमंत सोरेन जब गिरफ्तार हुए तो कहा जा रहा था कि उनकी पत्नी कल्पना सोरेन सीएम बनेंगी, लेकिन उन्होंने बाजी मार ली. मंत्री से सीधे मुख्यमंत्री बन गए. राजनीति के जानकारों की मानें तो चंपई सोरेन का 14 सीटों पर दबदबा है. चंपई के आने से भाजपा को आगामी विधानसभा चुनाव में आदिवासी वोट बैंक में बड़ी सेंध लगाने में मदद मिलेगी, लेकिन पार्टी के अंदर खेमेबाजी भी तेज होगी.

बता दें कि चंपई सोरेन का जमशेदपुर समेत कोल्हान क्षेत्र में अच्छी पकड़ है. खासकर पोटका, घाटशिला और बहरागोड़ा, ईचागढ़, सरायकेला-खरसावां और सिंहभूम जिले के विधानसभा क्षेत्रों में मजबूत जनाधार है. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में चंपई सोरेन ने जमशेदपुर सीट से ही चुनाव लड़ा था. आदिवासी बहुल इन क्षेत्रों में संथाल और भूमिज समुदाय ने झारखंड मुक्ति मोर्चा को खूब समर्थन दिया था.

इन 14 सीटों पर चंपई का दबदबा

अगर पिछले कुछ चुनावों के आंकड़ों पर नजर डालें तो बहरागोड़ा,पोटका, घाटशिला और ईचागढ़ जैसी सीटों पर विधानसभा चुनावों में दस से तीस हजार तक के अंतर से जीत हासिल होती रही है. झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले चंपई बीजेपी में शामिल हो गए हैं. ऐसे में अब इन सीटों पर सीधे तौर पर असर पड़ सकता है. इस सीटों के समीकरण भी बदल सकते हैं.

राजनीतिक पंडितों का कहना है कि चंपई को अपने पाले में करके बीजेपी को विधानसभा चुनाव में जबरदस्त बढ़त मिला है,  ईचागढ़ में भी सोरेन का जबरदस्त पकड़ है. यहां तक कि आदित्यपुर जो भाजपा का गढ़ है वहां भी चंपई की राजनीति खूब चमकती है. चंपई की आदिवासी समुदाय, युवा मतदाताओं पर अच्छी पकड़ मानी जाती है.

 

ज़रूर पढ़ें