17 साल बाद जयपुर के गुनहगारों को सजा, 4 आतंकियों को उम्रकैद, साइकिल बम ने मचाई थी तबाही
जयपुर में 2008 में हुआ था ब्लास्ट
Jaipur Serial Blasts Case: गुलाबी नगरी जयपुर में 17 साल पहले एक ऐसा काला दिन आया था, जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया. 13 मई 2008 को हुए सीरियल बम धमाकों ने 71 बेकसूर लोगों की जान ले ली. वहीं 185 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. इन धमाकों के जख्म अभी भी लोगों के दिलों में ताजा हैं, लेकिन 8 अप्रैल 2025 को कोर्ट के एक फैसले ने पीड़ितों को थोड़ी राहत दी. चार आतंकियों—सरवर आज़मी, सैफुर रहमान, मोहम्मद सैफ और शाहबाज अहमद को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है. ये सजा एक जिंदा बम से जुड़े मामले में दी गई. आइए पूरी कहानी विस्तार से जानते हैं.
उस दिन क्या हुआ था?
13 मई 2008 की शाम को जयपुर में सब कुछ सामान्य सा लग रहा था. लेकिन अचानक 7:20 बजे से 7:45 बजे के बीच, सिर्फ 15 मिनट के अंतराल में शहर के अलग-अलग हिस्सों में एक के बाद एक 8 बम धमाके हुए. ये धमाके हवा महल, जौहरी बाजार, चांदपोल और बड़ी चौपड़ जैसे भीड़भाड़ वाले इलाकों में हुए. हर तरफ चीख-पुकार मच गई, सड़कों पर खून बिखर गया और लोग अपनों को ढूंढते हुए इधर-उधर भागने लगे. आतंकियों ने इस हमले के लिए साइकिलों को चुना था—एक ऐसा साधन, जो आम जिंदगी का हिस्सा था, उसे उन्होंने मौत का हथियार बना दिया.
कुल 9 साइकिलों में बम लगाए गए थे. इनमें से 8 तो तय वक्त पर फट गए, लेकिन 9वां बम चांदपोल हनुमान मंदिर के पास जिंदा मिला. इसे बम डिफ्यूजन स्क्वाड ने सही वक्त पर निष्क्रिय कर दिया, वरना नुकसान और भयानक हो सकता था. इस हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन ने ली थी.
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आतंकियों का शातिर प्लान
जांच में जो खुलासा हुआ, वो किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं था. एटीएस की थ्योरी के मुताबिक, 12 आतंकी दिल्ली से बस में बम लेकर जयपुर पहुंचे थे. ये लोग कोई आम अपराधी नहीं थे. इनका प्लान इतना सोचा-समझा था कि पुलिस भी हैरान रह गई. जयपुर पहुंचकर इन्होंने 9 साइकिलें खरीदीं. फिर इन साइकिलों में बम फिट किए, टाइमर सेट किए और उन्हें शहर के अलग-अलग इलाकों में खड़ा कर दिया.
धमाकों के बाद ये आतंकी आराम से शताब्दी एक्सप्रेस में बैठकर दिल्ली वापस लौट गए. 8 बम तो 15 मिनट के भीतर फट गए, लेकिन 9वां बम एक गेस्ट हाउस के पास प्लांट किया गया था, जिसे डेढ़ घंटे बाद फटना था. सौभाग्य से बम डिफ्यूजन टीम ने इसे फटने से कुछ मिनट पहले डिफ्यूज कर दिया. इसने साबित कर दिया कि आतंकियों का इरादा जयपुर को जितना हो सके, उतना नुकसान पहुंचाने का था.
17 साल का इंतजार और इंसाफ
2008 से लेकर 2025 तक, इस मामले में इंसाफ के लिए लंबी लड़ाई चली. कई सालों तक सुनवाई, सबूत और गवाहों की पड़ताल होती रही. आखिरकार 4 अप्रैल 2025 को जज रमेश जोशी ने चार आतंकियों को दोषी ठहराया. इसके बाद 8 अप्रैल को उन्हें उम्रकैद की सजा सुनाई गई. ये सजा उस जिंदा बम से जुड़े मामले में दी गई, जो धमाकों के बाद बरामद हुआ था. कोर्ट का ये फैसला उन परिवारों के लिए बड़ी राहत लेकर आया, जिन्होंने अपने अपनों को खोया था.