राष्ट्रवाद से लोकलुभावन वादों की ओर…जम्मू कश्मीर चुनाव के लिए BJP ने बदला सियासी रुख!
Jammu Kashmir Election: क्या बीजेपी ने अपना रुख बदल लिया है, या यह जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव 2024 के लिए एक रणनीतिक कदम है? पार्टी, जो राष्ट्रवाद के इर्द-गिर्द अपना नैरेटिव बनाती रही है और आतंकवाद के साथ-साथ हिंदुत्व को अपनी राजनीति का आधार बनाती रही है, अब चुनावी घोषणापत्र में लोकलुभावन वादे कर रही है. यह बदलाव भाजपा की पाकिस्तान और हिंदू-मुस्लिम संबंधों पर कड़ी स्थिति को लेकर चर्चा का विषय बन गया है.
लोकलुभावन वादे से घाटी फतह का प्लान
भाजपा, जो पहले राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त चीजें बांटने और ‘रेवड़ी संस्कृति’ को बढ़ावा देने की आलोचना करती रही है, अब जम्मू-कश्मीर में ‘मां सम्मान योजना’ के तहत घर की सबसे बुजुर्ग महिला को 18,000 रुपये देने का वादा कर रही है. इसके अलावा, बिजली दरों में 50% कमी, पंडित प्रेमनाथ डोगरा रोजगार योजना के तहत 5 लाख नौकरियों की पेशकश, UPSC और JKPSC के प्रत्येक उम्मीदवार को 10,000 रुपये और परीक्षा केंद्रों तक परिवहन की सुविधा, और 10,000 किलोमीटर ग्रामीण सड़कें बनाने का वादा किया गया है.
भाजपा ने उज्ज्वला गैस योजना के लाभार्थियों को दो मुफ्त एलपीजी सिलेंडर देने, किसान निधि को 6,000 रुपये से बढ़ाकर 10,000 रुपये सालाना करने, और आयुष्मान भारत की सीमा को 5 लाख रुपये से बढ़ाकर 7 लाख रुपये करने का भी ऐलान किया है. इसके साथ ही, जम्मू में तीन क्षेत्रीय बोर्ड स्थापित करने, सरकारी और पुलिस नौकरियों में अग्निवीरों के लिए 20% आरक्षण और मेडिकल कॉलेजों में 1,000 सीटें जोड़ने का वादा किया गया है.
‘एक विधान, एक निशान, एक प्रधान’ जैसे मुद्दों की बात
हालांकि, भाजपा ने आतंकवाद और अलगाववाद पर अपनी पारंपरिक स्थिति को पूरी तरह से नहीं छोड़ा है, बल्कि अपने घोषणापत्र में ‘एक विधान, एक निशान, एक प्रधान’ जैसे मुद्दों का उल्लेख किया है. पार्टी ने दावा किया है कि वर्षों की संघर्ष और बलिदान के बाद जम्मू और कश्मीर को पूरी तरह से भारत के साथ एकीकृत कर दिया गया है. भाजपा के अनुसार, अब जम्मू और कश्मीर में अलगाव, भेदभाव, और शोषण की बाधाएं समाप्त हो गई हैं और आतंकवाद, अलगाववाद, और भाई-भतीजावाद को सख्ती से जिक्र किया गया है, जिससे सभी नागरिकों के लिए विकास और शांति सुनिश्चित की गई है.
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चुनाव में पाकिस्तान और आतंकबाद से दूरी!
फिर भी, राजनीतिक विश्लेषक इस बात से चकित हैं कि भाजपा ने अपने घोषणापत्र में पाकिस्तान पर कोई हमला क्यों नहीं किया. पार्टी, जो अक्सर पाकिस्तान को जम्मू-कश्मीर में हस्तक्षेप और आतंकवाद के लिए जिम्मेदार ठहराती है, इस बार इस मुद्दे पर चुप क्यों हैं.
विशेषज्ञों का मानना है कि भाजपा ने अनुच्छेद 370 को खत्म करने का अपना प्रमुख चुनावी लक्ष्य हासिल कर लिया है. यह कदम भारत भर में एक भावनात्मक जुड़ाव उत्पन्न करता है, हालांकि जम्मू-कश्मीर में इसका प्रभाव सीमित हो सकता है. भाजपा अब जम्मू और कश्मीर के लोगों को लोकलुभावन योजनाओं के जरिए आकर्षित करने और जम्मू क्षेत्र के बाहर तथा कश्मीर घाटी के अंदरूनी इलाकों में अधिक से अधिक सीटें जीतने की कोशिश कर रही है. विश्लेषकों का कहना है कि भाजपा ने आतंकवाद के मुद्दे को आक्रामक तरीके से नहीं उठाया है क्योंकि पार्टी घाटी में अपनी पैठ बढ़ाना चाहती है और व्यापक समर्थन जुटाना चाहती है.