बेटा जेल में तो पत्नी चल रही है फरार…अपने पीछे जुर्म की विरासत छोड़ गया मुख्तार, जानें परिवार पर दर्ज हैं कितने केस
Mukhtar Family Case: माफिया डॉन से नेता बने मुख्तार अंसारी की कार्डियक अरेस्ट से मौत हो गई. इसके साथ ही अंत हो गया जुर्म और अपराध की दुनिया के एक बेताज बादशाह का रसूख. रसूख ऐसा की जब भी वो अपने इलाके में पहुंचता तो बिजली गुल नहीं होती. जेल में रहते हुए भी चुनाव जीतना मुख्तार के लिए आम बात रही. अपनी लहीम-सहीम कद-काठी के चलते सबसे अलग दिखने वाला मुख्तार जरायम की दुनिया का वो बेताज बादशाह था जिसकी आवाज ही खौफ का पर्याय हुआ करती थी. सरकारें बदलीं, मुख्यमंत्री बदले लेकिन नहीं बदला तो मुख्तार का जलवा. अपने जीवन काल में मुख्तार ने खूब नाम कमाया. गुंडई से लेकर राजनीति में वर्चस्व तक…मुख्तार अपराध की दुनिया का वो नाम रहा, जिसके बेगैर यूपी में गुंडई की बात और राजनीति की बिसात अधूरी मानी जाएगी.
मुख्तार के खिलाफ करीब 65 मामले दर्ज हैं. इनमें हत्या, हत्या के प्रयास, अपहरण, धोखाधड़ी, गुंडा एक्ट, आर्म्स एक्ट, गैंगस्टर एक्ट और सीएलए एक्ट से लेकर गैंगस्टर एक्ट तक शामिल है. अब सवाल उठ रहा है कि क्या पति की मौत के बाद पत्नी अफशां अंसारी सामने आएगी या नहीं. अफशां पर करीब 11 केस दर्ज हैं और उसकी गिरफ्तारी यूपी पुलिस के लिए चुनौती बनी हुई है. मुख्तार मूल रूप से गाजीपुर में मोहम्मदाबाद के दर्जी टोला यूसुफपुर का रहने वाला था. जानकारी के मुताबिक मुख्तार के परिवार पर करीब 101 केस दर्ज हैं.
मुख्तार के परिवार पर कितने केस
मुख्तार अंसारी की पत्नी अफशां अंसारी के खिलाफ भी यूपी में अलग-अलग जगह कर 11 मुकदमे दर्ज हैं. मुख्तार की पत्नी अफशां अंसारी फिलहाल फरार हैं. अफशां पर इनाम भी है. मुख्तार अंसारी के छोटे बेटे उमर अंसारी के खिलाफ 6 मुकदमे दर्ज हैं. उमर फिलहाल जमानत पर है. इतना ही नहीं अब्बास अंसारी की पत्नी निकहत बानो पर मुकदमा दर्ज है. निकहत भी जमानत पर चल रही है. निकहत बानो पर अवैध तरीके से अपने पति अब्बास के साथ जेल में रहने का मामला सामने आया था. जिसके बाद कुछ दिनों तक निकहत बानो भी जेल में बंद रही थी. अभी तो कहानी बाकी है. मुख्तार के भाई सिबगतुल्लाह के खिलाफ 4 केस दर्ज हैं. फिलहाल वो जेल से बाहर हैं. मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी मौजूदा समय में गाजीपुर सीट से सांसद हैं. उन्हें भी एक मामले में सजा हुई थी, पर फिलहाल वो उस केस में जमानत पर हैं.
मुख्तार अंसारी का अपराध जगत में पतन
महान विरासत के बावजूद मुख्तार अंसारी ने बिल्कुल अलग रास्ता चुना. उसका आपराधिक करियर 1980 के दशक में पूर्वांचल से शुरू हुआ. शुरुआत में मुख्तार सरकारी ठेके के लिए क्राइम करता था. हालांकि, कहा जाता है कि इसके बाद जुर्म की दुनिया में मुख्तार का कद बढ़ता ही चला गया. मुख्तार अंसारी तेजी से पार्टी में उभरे, उसका नाम पूरे उत्तर प्रदेश में आतंक का पर्याय बन गया.
गंभीर अपराध से अंसारी का पहला परिचय 1988 में गाजीपुर में जमीन विवाद को लेकर सच्चिदानंद राय की हत्या से जुड़ा था. उस वक्त मुख्तार प्रतिद्वंद्वी माफिया ब्रिजेश सिंह के खिलाफ गिरोह युद्ध में उलझा हुआ था. इसके बाद अगस्त 2009 में ठेकेदार अजय प्रकाश सिंह और राम सिंह मौर्य की हत्या में मुख्तार का नाम आया. ब्रिजेश सिंह से ही बीजेपी नेता कृष्णानंद राय का जुड़ाव था. इसके चलते उनकी दुश्मनी भी मुख्तार अंसारी थी. उन्होंने साल 2002 विधानसभा चुनाव में मोहम्मदाबाद सीट से मुख्तार के बड़े भाई को हरा दिया. कृष्णानंद राय को बृजेश सिंह का साथ मिल रहा था जिससे वह मुख्तार अंसारी हो हर जगह चुनौती दे रहे थे. इससे मुख्तार बुरी तरह से बौखलाया हुआ था. फिर मुख्तार ने कृष्णानंद राय की बुरी तरह से हत्या कर दी. इसके बाद शुरू हुआ मुख्तार का पतन.
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सरकारें बदलीं, मुख्यमंत्री बदले लेकिन नहीं बदला तो मुख्तार का जलवा
जेल से अपनी आपराधिक हुकूमत चलाने का हुनर दुनिया को मुख्तार ने सिखाया. उसके काले कारनामों और जेल से जारी संगठित अपराधों के बारे में सब कुछ जानते हुए भी सपा, बसपा की सरकारों ने कभी कोई सख्त कार्यवाही नहीं की, उल्टा प्रश्रय ही दिया. समुदाय विशेष को जिस अपराधी में रॉबिन हुड दिखाई देता था, उस मुख्तार अंसारी को अपने वोट बैंक के लिए मुख्यमंत्री रहे मुलायम, मायावती, अखिलेश ने कभी कोई ‘हानि’ नहीं पहुंचाई.