सुरजेवाला की दावेदारी ने बढ़ाई कांग्रेस में हलचल, हरियाणा में मुख्यमंत्री पद की जंग हुई तेज
Haryana Election: हरियाणा में विधानसभा चुनाव की सरगर्मियों के बीच कांग्रेस के अंदर मुख्यमंत्री पद को लेकर खींचतान तेज हो गई है. पार्टी के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि मुख्यमंत्री बनने के लिए विधायक होना जरूरी नहीं है. इस बयान से यह स्पष्ट हो जाता है कि सुरजेवाला खुद को इस दौड़ से बाहर नहीं मान रहे हैं. दूसरी ओर, पार्टी की एक और वरिष्ठ नेता कुमारी सैलजा ने भी अपने मुख्यमंत्री बनने की इच्छा जाहिर की है.
आपसी खींचतान से हो सकता है पार्टी को नुकसान
हरियाणा में कांग्रेस को सरकार बनाने की उम्मीद है, लेकिन नेताओं के बीच इस आपसी खींचतान से पार्टी को नुकसान हो सकता है. खासकर तब, जब पार्टी को एकजुट होकर चुनाव लड़ने की जरूरत है. वहीं, बीजेपी में भी मुख्यमंत्री पद को लेकर अनबन देखने को मिल रही है. बीजेपी ने स्पष्ट किया है कि नायब सिंह सैनी उनका मुख्यमंत्री चेहरा होंगे, लेकिन पूर्व गृहमंत्री अनिल विज ने भी मुख्यमंत्री पद के लिए दावा ठोक दिया है.
कांग्रेस के लिए यह स्थिति नई नहीं है. 2005 में भी कांग्रेस ने हरियाणा में बहुमत हासिल करने के बाद सांसद भूपेंद्र सिंह हुड्डा को मुख्यमंत्री बनाया था, जबकि उस वक्त पूर्व मुख्यमंत्री भजनलाल पार्टी के सबसे बड़े नेता माने जाते थे. इस बार भी सुरजेवाला का बयान इस बात की ओर इशारा करता है कि कांग्रेस अगर जीतती है तो मुख्यमंत्री पद के लिए संघर्ष और बढ़ सकता है.
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भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कद अब भी सबसे बड़ा
हरियाणा कांग्रेस में भूपेंद्र सिंह हुड्डा का कद अब भी सबसे बड़ा माना जाता है. हालांकि, सुरजेवाला और कुमारी सैलजा भी मुख्यमंत्री बनने की अपनी इच्छा जाहिर कर चुके हैं. सैलजा के पक्ष में दलित समुदाय से आना और महिला होना उनकी दावेदारी को मजबूत करता है, जबकि सुरजेवाला राहुल गांधी के करीबी माने जाते हैं.
AAP की एंट्री से सियासी मुकाबला रोचक
इस चुनावी संघर्ष के बीच आम आदमी पार्टी (AAP) भी हरियाणा में पूरी ताकत से मैदान में उतरी है. अरविंद केजरीवाल और भगवंत मान के नेतृत्व में पार्टी सभी सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जिससे विपक्षी वोटों का बंटवारा होने की संभावना बढ़ गई है. कांग्रेस के लिए यह एक चुनौती बन सकती है, खासकर तब जब AAP का प्रभाव लगातार बढ़ रहा है. देखना यह होगा कि अगर कांग्रेस हरियाणा में बहुमत हासिल करती है, तो पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व मुख्यमंत्री पद की इस लड़ाई को कैसे सुलझाएगा और कौन सा चेहरा आगे आएगा.