OPS के जाल में फंसी हिमाचल सरकार! हो गई माली हालत खराब, अब सीएम सुक्खू ने किया बड़ा ऐलान
Himachal Economy Crisis: हिमाचल प्रदेश सरकार के सामने आ रहे गंभीर वित्तीय संकट को देखते हुए मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhvinder Singh Sukhu) ने गुरुवार को बड़ा ऐलान किया है. उन्होंने सैलरी नहीं लेने की बात कही है. हाल ही में हिमाचल प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने केंद्र के खिलाफ जाकर ओल्ड पेंशन स्कीम (Old Pension Scheme) को मंजूरी दी थी. जानकारों का कहना है कि इससे राज्य की तिजोरी पर असर पड़ा है.
अब हिमाचल के सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू और उनके मंत्री दो महीने तक न तो सैलरी लेंगे और न ही भत्ते. उन्होंने सभी विधायकों से भी सैलरी में कटौती करने की अपील की है. सरकार की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि इस साल अगस्त में विनाशकारी भूस्खलन, अचानक बाढ़ और भारी बारिश से उत्पन्न वित्तीय संकट से निपटने के लिए उन्होंने ये फैसला लिया है. सीएम सुक्खू ने कहा, “मैं विधानसभा के सभी सदस्यों से स्वेच्छा से ऐसा ही निर्णय लेने का आग्रह करता हूं.” उन्होंने कहा कि राजस्व बढ़ाने और व्यय को कम करने के प्रयास किए जा रहे हैं, हालांकि इसके परिणाम दिखने में कुछ समय लगेगा.
हिमाचल में कुदरत ने मचाई तबाही
पिछले कई महीनों से पहाड़ी राज्य में तबाही आई हुई है. इस महीने अकेले कुल्लू, मंडी और शिमला जिलों में बादल फटने से आई बाढ़ में करीब 30 लोगों की मौत हो गई और इतने ही लोग अभी भी लापता हैं. 27 जून से 9 अगस्त के बीच बारिश से संबंधित घटनाओं में 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई. अनुमान है कि इससे 842 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है. कांग्रेस नेता सुखविंदर सिंह सुक्खू ने दिसंबर 2022 में हिमाचल के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी.
राज्य की खराब वित्तीय स्थिति पर सुक्खू ने कहा कि वर्ष 2023-24 के लिए राजस्व घाटा अनुदान (RDG) 8,058 करोड़ रुपये था, जिसे चालू वित्त वर्ष के दौरान 1,800 करोड़ रुपये घटाकर 6,258 करोड़ रुपये कर दिया गया है. उन्होंने कहा, “2025-26 में राजस्व घाटा अनुदान 3,000 करोड़ रुपये और कम होकर मात्र 3,257 करोड़ रुपये रह जाएगा, जिससे हमारी जरूरतों को पूरा करना और भी मुश्किल हो जाएगा.”
OPS की बहाली के बाद लोन की सीमा भी घटी: सुक्खू
सुक्खू ने यह भी अफसोस जताया कि हिमाचल प्रदेश को 2023 में पिछले मानसून सीजन के दौरान पुलों और अन्य बुनियादी ढांचे को हुए नुकसान के लिए केंद्र से आपदा पश्चात आवश्यकता आकलन (PDNA) के तहत 9,042 करोड़ रुपये के अनुदान का अभी भी इंतजार है. उन्होंने कहा, “बार-बार अनुरोध के बावजूद केंद्र ने नई पेंशन योजना (NPS) कटौती के रूप में पड़े 9,200 करोड़ रुपये भी वापस नहीं किए हैं. हमें केंद्र से जीएसटी मुआवजा मिलना भी बंद हो गया है, जिससे हमारे राजस्व में सालाना लगभग 2,500-3,000 करोड़ रुपये की कमी आई है.” सीएम ने कहा कि पुरानी पेंशन योजना (OPS) की बहाली के बाद ऋण लेने की सीमा भी 2,000 करोड़ रुपये कम कर दी गई है.
यह भी पढ़ें: PDA की राजनीति पर ‘रोजगार’ से वार! उपचुनाव के लिए CM Yogi खुद तैयार कर रहे हैं जमीन
2 साल में 2.11 लाख करोड़ की जरूरत
गौरतलब है कि हिमाचल के बजट का एक बड़ा हिस्सा सरकारी कर्मचारियों के वेतन और पेंशन पर खर्च हो रहा है. आलम ये है कि नए वेतन आयोग ने सरकार की नींद उड़ा दी है. न तो सरकार नए वेतन आयोग का एरियर देने में समर्थ हो रही है और न ही वेतन व पेंशन का बढ़ता बोझ संभाल पा रही है. इसके लिए सरकार की नजरें अब वित्त आयोग की सिफारिशों पर टिक गई हैं. इधर, सुखविंदर सिंह सरकार ने ओल्ड पेंशन स्कीम लागू की है. इसका इंपैक्ट आने वाले सालों में देखने को मिलेगा.
राज्य सरकार का वित्त वर्ष 2026-27 से आने वाले पांच साल में सिर्फ और सिर्फ वेतन के लिए ही एक लाख, 21 हजार, 901 करोड़ रुपए की रकम चाहिए. इसके अलावा पेंशनर्स की पेंशन पर आने वाले पांच साल में 90 हजार करोड़ रुपए की रकम खर्च होगी. कुल मिलाकर दो साल में 2.11 लाख करोड़ रुपए से अधिक धन की जरूरत होगी. जिस तरह से राज्य सरकार की आय के साधन व संसाधन है, उससे लगता नहीं कि ये बोझ अकेले उठाया जा सकेगा.