2019 से लेकर 2024 तक…किस पार्टी को Electoral Bonds से मिले कितने पैसे? EC ने जारी किया सारा डेटा, यहां देखें लिस्ट
Electoral Bonds: चुनावी बॉन्ड के गहरे राज अब सामने आ चुका है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद चुनाव आयोग ने भारतीय स्टेट बैंक (SBI) से प्राप्त डेटा को अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है. इसमें उन सभी पार्टियों और लोगों के नाम बताए गए हैं, जिन्हें चुनावी बॉन्ड से पैसे मिले. बता दें कि चुनाव आयोग ने अपनी वेबसाइट पर पीडीएफ अपलोड किए हैं. जिसमें सारा डेटा दिया गया है. जानकारी के मुताबिक, चुनावी बॉन्ड से सभी राजनीतिक पार्टियों को चंदा मिला है. हालांकि, सबसे ज्यादा कमाई बीजेपी की हुई है. बीजेपी ने चुनावी बॉन्ड से छप्परफाड़ कमाई की है.
किसने दिया कितना चंदा- चुनावी बॉन्ड डिटेल
किस पार्टी को कितना चंदा- चुनावी बॉन्ड डिटेल
चुनावी बॉन्ड के माध्यम से राजनीतिक दलों को दान देने वालों में ग्रासिम इंडस्ट्रीज लिमिटेड, पीरामल कैपिटल एंड हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड, पीरामल एंटरप्राइजेज लिमिटेड, मुथूट फाइनेंस लिमिटेड, पेगासस प्रॉपर्टीज प्राइवेट लिमिटेड, वेदांता लिमिटेड, बजाज फाइनेंस लिमिटेड, भारती एयरटेल लिमिटेड शामिल हैं. अपलोड किए गए आंकड़ों के अनुसार, चुनावी बॉन्ड के खरीदारों में ग्रासिम इंडस्ट्रीज, मेघा इंजीनियरिंग, पीरामल एंटरप्राइजेज, टोरेंट पावर, भारती एयरटेल, डीएलएफ कमर्शियल डेवलपर्स, वेदांता लिमिटेड, अपोलो टायर्स, लक्ष्मी मित्तल, एडलवाइस, पीवीआर, केवेंटर, सुला वाइन, वेलस्पन, और सन फार्मा भी शामिल हैं. वहीं चुनावी बॉन्ड को भुनाने वाली पार्टियों में भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस, एआईएडीएमके, बीआरएस, शिवसेना, टीडीपी, वाईएसआर कांग्रेस, द्रमुक, जेडीएस, राकांपा, तृणमूल कांग्रेस, जदयू, राजद, आप और समाजवादी पार्टी शामिल हैं.
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सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बॉन्ड योजना को किया था रद्द
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने 15 फरवरी को चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया था. पीठ ने इसे “असंवैधानिक” बताया था. इसके बाद एससी ने एसबीआई को आदेश दिया था कि 12 मार्च तक किसी भी हाल में चुनाव आयोग को चुनावी बॉन्ड से जुड़े डेटा सौंप दें. इसके बाद भारतीय स्टेट बैंक ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर 30 जून तक का समय मांगा था. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने फटकार लगाते हुए एसबीआई की याचिका खारिज कर दी थी. अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद चुनाव आयोग ने एसबीआई से प्राप्त डेटा को सार्वजनिक कर दिया है.