‘हाथ’ के साथ से किस बात का डर…राहुल के करीबी क्यों बना रहे दूरी? दिल्ली में इंडी गठबंधन का बेड़ा गर्क!

दिल्ली में कांग्रेस के सामने अब दोहरा संकट है – एक ओर जहां AAP और बीजेपी के बीच कड़ी टक्कर होगी, वहीं दूसरी ओर पार्टी को INDIA गठबंधन से भी बाहर होते हुए अपनी राह खुद तय करनी होगी. कांग्रेस के नेताओं को यह विचार करना होगा कि किस तरह से वे अपनी खोई हुई ताकत को फिर से हासिल कर सकते हैं.
Delhi Election 2025

राहुल गांधी, अखिलेश यादव और अरविंद केजरीवाल

Delhi Election 2025: दिल्ली विधानसभा चुनाव की तारीखें आ चुकी हैं और अब सबकी नजरें इस पर टिकी हैं कि कौन बाजी मारेगा. इस बार दिल्ली के चुनावी रण में कांग्रेस को अपनों ने ही झटका दे दिया है. अब कांग्रेस को अकेले ही बीजेपी और आम आदमी पार्टी से मुकाबला करना होगा. दरअसल, समाजवादी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने आम आदमी पार्टी के पक्ष में समर्थन का ऐलान कर दिया है, जिससे कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा है और राहुल गांधी के सपनों को भी ठेस पहुंचा है.

कांग्रेस के लिए डबल शॉक

दिल्ली विधानसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला बीजेपी और AAP के बीच माना जा रहा है, लेकिन कांग्रेस की स्थिति अब काफी चुनौतीपूर्ण हो गई है. एक ओर जहां तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने दिल्ली चुनाव में अरविंद केजरीवाल को समर्थन देने की घोषणा की है, वहीं, दूसरी ओर, INDIA गठबंधन की अधिकांश पार्टियां कांग्रेस से दूर हो रही हैं. यह कांग्रेस के लिए किसी डबल शॉक से कम नहीं है.

इस बीच अरविंद केजरीवाल ने ममता बनर्जी और अखिलेश यादव को धन्यवाद दिया है. केजरीवाल ने सोशल मीडिया पर लिखा, “टीएमसी और समाजवादी पार्टी का समर्थन हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण है और मैं ममता दीदी तथा अखिलेश यादव का आभारी हूं.”

अकेली पड़ती जा रही है कांग्रेस

अब कांग्रेस अकेली पड़ती जा रही है. चुनावी समीकरण से साफ है कि इस बार दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का संघर्ष और भी कठिन हो सकता है. बीजेपी और AAP के मुकाबले कांग्रेस का प्रदर्शन पिछले कुछ सालों में बेहद कमजोर रहा है. 2015 से लेकर 2020 तक के चुनावों में कांग्रेस को दिल्ली में कोई सीट नहीं मिली है, और पार्टी को अपना राजनीतिक वजूद बचाए रखने की बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है.

राहुल गांधी की नेतृत्व क्षमता पर सवाल

कांग्रेस की नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठने की वजह से, ममता बनर्जी और अन्य नेताओं ने राहुल गांधी के नेतृत्व में बदलाव की मांग की थी. पिछले कुछ चुनावों में कांग्रेस की हार ने इस तर्क को और मजबूत किया है. ऐसे में दिल्ली में टीएमसी और एसपी का AAP के साथ आना कांग्रेस के लिए एक और बड़ा झटका साबित हो सकता है, क्योंकि यह राहुल गांधी की नेतृत्व पर और सवाल उठा सकता है.

चुनाव आयोग के मुताबिक, दिल्ली में विधानसभा चुनाव 5 फरवरी 2025 को होंगे, और चुनाव परिणाम 8 फरवरी 2025 को घोषित किए जाएंगे. 70 सीटों पर होने वाले इस चुनाव में बीजेपी और AAP के बीच मुख्य मुकाबला होगा, जबकि कांग्रेस को अपनी खोई हुई जमीन वापस पाने के लिए कड़ी मेहनत करनी होगी.

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INDIA गठबंधन का भविष्य

तेजस्वी यादव के बयान से यह साफ है कि INDIA गठबंधन सिर्फ लोकसभा चुनाव तक था, और आगे इस गठबंधन का कोई महत्व नहीं है. बिहार में कांग्रेस और आरजेडी के रिश्तों में भी तनाव देखने को मिला है. तेजस्वी ने यह स्पष्ट कर दिया कि बिहार में उनका पहले से गठबंधन है, और वो कांग्रेस के दबाव में नहीं आएंगे.

कांग्रेस का क्या होगा भविष्य?

दिल्ली में कांग्रेस के सामने अब दोहरा संकट है – एक ओर जहां AAP और बीजेपी के बीच कड़ी टक्कर होगी, वहीं दूसरी ओर पार्टी को INDIA गठबंधन से भी बाहर होते हुए अपनी राह खुद तय करनी होगी. कांग्रेस के नेताओं को यह विचार करना होगा कि किस तरह से वे अपनी खोई हुई ताकत को फिर से हासिल कर सकते हैं.

राहुल गांधी के करीबी क्यों बना रहे दूरी?

राजनीति में जब पार्टी सत्ता में होती है, तो हर कोई उस पार्टी के समर्थन में खड़ा रहता है. लेकिन जैसे ही सत्ता दूर होती है, वही लोग पार्टी से दूर हो जाते हैं. इस समय कांग्रेस पार्टी भी ऐसे ही मुश्किल दौर से गुजर रही है. बीजेपी ने कांग्रेस की हालत इतनी खराब कर दी है कि अब छोटी-छोटी पार्टियां भी कांग्रेस से दूरी बना रही हैं.

कांग्रेस का कमजोर होना

साल 2014 में जब कांग्रेस सत्ता से बाहर हुई, तब से पार्टी के कई नेताओं ने पार्टी छोड़ दी. राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले नेताओं जैसे जतिन प्रसाद, ज्योतिरादित्य सिंधिया, सुष्मिता देव और प्रियंका चतुर्वेदी ने कांग्रेस छोड़ दी. इन नेताओं का मानना था कि पार्टी लगातार हार रही है और बदलाव की कोई उम्मीद नहीं दिख रही.

इंडिया गठबंधन में असंतोष

कांग्रेस की गिरती हालत का असर अब गठबंधन पर भी दिखने लगा है. हरियाणा, महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनाव के बाद से इंडिया गठबंधन में असंतोष बढ़ने लगा है. कांग्रेस का जिद्दी रवैया और अपने सहयोगी दलों को नजरअंदाज करने से गठबंधन के अन्य नेताओं में परेशानी बढ़ गई है. यूपी विधानसभा उपचुनाव में भी कांग्रेस को साइड कर दिया गया.

राजनीतिक रणनीति पर सवाल

अब अन्य पार्टियां भी कांग्रेस से दूरी बना रही हैं. उदाहरण के लिए, महाराष्ट्र चुनाव में आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ने कांग्रेस के उम्मीदवारों के लिए प्रचार नहीं करने का फैसला किया और सिर्फ एनसीपी और शिवसेना के उम्मीदवारों के पक्ष में प्रचार किया. उत्तर प्रदेश के उपचुनावों में भी अखिलेश यादव ने कांग्रेस को लेकर अपनी नाराजगी जाहिर की. अब कांग्रेस के लिए यह चुनौतीपूर्ण समय है, और यह देखना होगा कि राहुल गांधी और उनकी पार्टी इस मुश्किल दौर से कैसे उबरते हैं.

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