अतुल सुभाष की मौत के बाद #MenToo ट्रेंड, सोशल मीडिया पर लोगों का फूटा गुस्सा, बोले- भारत में पुरुष होना अब अपराध
Atul Subhash Suicide Case: हाल ही में बिहार के समस्तीपुर के रहने वाले 34 वर्षीय अतुल सुभाष की बेंगलुरु में संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई, जिसके बाद सोशल मीडिया पर #MenToo हैशटैग तेजी से ट्रेंड करने लगा. इस घटना ने भारतीय समाज और न्याय व्यवस्था में पुरुषों की मानसिक स्थिति और उनके संघर्षों पर गंभीर सवाल उठाए हैं. अतुल ने अपनी पत्नी और उसके परिवार के सदस्यों पर उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए एक वीडियो और 24 पेज का सुसाइड नोट छोड़ा था, जिसमें उन्होंने अपने साथ हो रहे अन्याय की बातें साझा की थीं.
सुभाष पर पत्नी ने लगाए थे आरोप
अतुल सुभाष का जीवन एक सामान्य पेशेवर कर्मचारी के रूप में था. वे बेंगलुरु में एक निजी कंपनी में काम करते थे, लेकिन उनकी निजी ज़िंदगी में गहरे संकट का सामना करना पड़ा. सुभाष ने अपनी पत्नी और उसके रिश्तेदारों पर मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया था. उनका कहना था कि उनकी पत्नी ने उनके खिलाफ कई मामले दर्ज कराए थे, जिनमें से छह मामले निचली अदालतों में और तीन उच्च न्यायालय में चल रहे थे. इन मामलों के कारण वह मानसिक और भावनात्मक रूप से बहुत तनाव में थे. सुभाष ने इस उत्पीड़न का जिक्र अपने वीडियो में किया था, जो उन्होंने अपनी आत्महत्या से पहले रिकॉर्ड किया था.
“न्याय बाकी है”
अतुल के वीडियो में उन्होंने खुलासा किया कि उनकी पत्नी और सास ने उन्हें मानसिक उत्पीड़न का शिकार बनाया था. उनका कहना था कि उनकी पत्नी और सास दोनों ने मिलकर उन्हें इस हद तक परेशान किया कि वह आत्महत्या के अलावा कोई रास्ता नहीं देख पा रहे थे. इसके साथ ही, सुभाष ने अपनी घर में एक तख्ती भी लगाई थी, जिस पर लिखा था, “न्याय बाकी है.”
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सोशल मीडिया पर भड़के लोग
इस मामले को लेकर सोशल मीडिया पर काफी चर्चा हो रही है. हैशटैग #MenToo के साथ कई नेटिज़न्स ने अपनी प्रतिक्रियाएं साझा की हैं. यह हैशटैग अब केवल एक घटना का प्रतिनिधित्व नहीं कर रहा, बल्कि यह उन पुरुषों की आवाज बन गया है जो अक्सर समाज में अपने मानसिक और भावनात्मक संघर्षों को छुपाए रखते हैं. सोशल मीडिया पर लोग इस बात को लेकर चर्चा कर रहे हैं कि कैसे भारतीय समाज में पुरुषों के दर्द और समस्याओं को नजरअंदाज किया जाता है.
इस घटना के बाद, कई लोगों ने यह आरोप लगाया कि भारतीय न्याय व्यवस्था में पुरुषों को न्याय नहीं मिलता और उनकी समस्याओं को हल्के में लिया जाता है. एक यूज़र ने कहा, “भारत में पुरुष होना अपराध बन गया है.” कई अन्य लोगों ने भी यह दावा किया कि पुरुषों को समाज में जिम्मेदारियों का बोझ दिया जाता है, लेकिन जब वह मानसिक रूप से परेशान होते हैं तो उनकी समस्याओं को नजरअंदाज कर दिया जाता है.
पुरुषों को अक्सर यह सिखाया जाता है कि वे मजबूत, आत्मनिर्भर और बिना किसी भावनात्मक समर्थन के खुद को संभाल सकते हैं. इस मानसिकता ने पुरुषों को अपने संघर्षों को दबाने और समाज में अपने दर्द को दिखाने से हतोत्साहित किया है. अतुल सुभाष की कहानी इस दबाव और उत्पीड़न को उजागर करती है जो पुरुषों पर भी होता है, लेकिन इस पर चर्चा करना अक्सर टाल दिया जाता है.