भारत ने स्पेस स्टेशन मिशन के लिए चुना प्राइम एस्ट्रोनॉट, ग्रुप कैप्टन Shubhanshu Shukla के कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी

एक्सिओम-4 मिशन के चालक दल में अमेरिका की पैगी व्हिटसन (कमांडर), भारत के ग्रुप कैप्टन शुक्ला (पायलट), पोलैंड के सालावोस उज़्नान्स्की (मिशन विशेषज्ञ) और हंगरी के टिबोर कपू (मिशन विशेषज्ञ) शामिल होंगे.
Indian Astronaut Shubhanshu Shukla

चालक दल के सदस्य

Indian Astronaut Shubhanshu Shukla:  भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने शुक्रवार को कहा कि अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा भारत के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) भेजेगी. दरअसल, इसरो के मानव अंतरिक्ष उड़ान केंद्र (HSFC) ने ISS के लिए अपने एक्सिओम-4 मिशन के लिए अमेरिका स्थित एक्सिओम स्पेस के साथ समझौता किया है. इसके लिए दो भारतीय एस्ट्रोनॉट को चुना गया है, ये दो भारतीय प्राइम और बैकअप मिशन पायलट होंगे.

बैकअप भी है तैयार

बयान के अनुसार, ग्रुप कैप्टन शुक्ला प्राइम मिशन पायलट होंगे, जबकि भारतीय वायुसेना के अधिकारी, ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर बैकअप मिशन पायलट होंगे. दोनों का प्रशिक्षण अगस्त के पहले सप्ताह में शुरू होगा. मिशन के दौरान, अधिकारी आईएसएस पर चयनित वैज्ञानिक अनुसंधान और अंतरिक्ष आउटरीच गतिविधियों में भी शामिल होंगे.

एक्सिओम-4 मिशन के चालक दल में अमेरिका की पैगी व्हिटसन (कमांडर), भारत के ग्रुप कैप्टन शुक्ला (पायलट), पोलैंड के सालावोस उज़्नान्स्की (मिशन विशेषज्ञ) और हंगरी के टिबोर कपू (मिशन विशेषज्ञ) शामिल होंगे. पिछले साल, वायुसेना से चार परीक्षण पायलटों का चयन किया गया था, और उनका प्राथमिक प्रशिक्षण गगनयान मिशन के लिए बेंगलुरु में इसरो के अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षण केंद्र में हो रहा है.

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गगनयान मिशन एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य भारत की मानव अंतरिक्ष उड़ान क्षमता को विस्तार देना है. मिशन की योजना तीन सदस्यों के दल को तीन दिवसीय मिशन के लिए 400 किलोमीटर की कक्षा में लॉन्च करने की है.

 कौन हैं ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला?

उत्तर प्रदेश के लखनऊ में जन्मे ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला का भारतीय वायुसेना में सफर करीब 18 साल पहले तब शुरू हुआ जब उन्होंने राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA0 में कदम रखा. ग्रुप कैप्टन शुक्ला की बड़ी बहन के अनुसार, कारगिल के दौरान भारतीय सैनिकों की बहादुरी और बलिदान की वीर गाथाएं पढ़ने के बाद उन्हें सशस्त्र बलों में शामिल होने की प्रेरणा मिली. उनकी बड़ी बहन ने बताया कि 1999 में जब कारगिल में युद्ध छिड़ा था, तब वह सिर्फ 14 साल के थे. उस समय पाकिस्तानी घुसपैठियों ने नियंत्रण रेखा (LOC) पार करके भारतीय चौकियों पर अतिक्रमण कर लिया था.

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