फेडरल रिजर्व की नीति से भारतीय शेयर बाजार में भूचाल, जानें कैसे पल भर में निवेशकों के करोड़ों हो गए स्वाहा

अमेरिका के फेडरल रिजर्व की नीति फेडरल रिजर्व ने अपनी मौद्रिक नीति बैठक में ब्याज दरों में 0.25% की कटौती की घोषणा की. हालांकि, फेडरल रिजर्व ने संकेत दिया कि अगले साल ब्याज दरों में कटौती नहीं की जाएगी. पहले इस बात की संभावना जताई जा रही थी कि अगले साल ब्याज दरों में चार बार कटौती हो सकती है, लेकिन अब फेडरल रिजर्व ने इसे घटाकर दो बार कर दिया है.
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शेयर बाजार में भूचाल

Stock Market Crash: आज भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट देखने को मिली, और इसकी मुख्य वजह अमेरिका के केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व की नीति है. दरअसल, अमेरिकी बैंक ने अपने ब्याज दरों में कटौती की है. अमेरिका के बाजार में हुए बदलाव का असर भारतीय बाजार पर भी पड़ा, और इसका परिणाम BSE Sensex और NIFTY में बड़ी गिरावट के रूप में सामने आया. आइये विस्तार से जानते हैं कि आखिरकार यह गिरावट क्यों आई, इसके कारण क्या हैं और भारतीय निवेशकों पर इसका क्या प्रभाव पड़ा है?

अमेरिका के फेडरल रिजर्व की नीति

फेडरल रिजर्व ने अपनी मौद्रिक नीति बैठक में ब्याज दरों में 0.25% की कटौती की घोषणा की. इतना ही नहीं, फेडरल रिजर्व ने यह भी संकेत दिया कि अगले साल ब्याज दरों में कटौती नहीं की जाएगी. पहले इस बात की संभावना जताई जा रही थी कि अगले साल ब्याज दरों में चार बार कटौती हो सकती है, लेकिन अब फेडरल रिजर्व ने इसे घटाकर दो बार कर दिया है. इसके अलावा, फेडरल रिजर्व के अधिकारियों ने कहा कि महंगाई पर काबू पाने के लिए अभी और सख्ती की आवश्यकता है.

अब फेडरल रिजर्व के इन संकेतों ने निवेशकों में चिंता पैदा कर दी, क्योंकि इससे यह साफ हुआ कि अगले कुछ सालों तक अमेरिकी अर्थव्यवस्था में कोई बड़ी राहत नहीं मिलने वाली. फेडरल रिजर्व के इस रुख से ये भी साफ हो गया कि आगले साल भी राहत की उम्मीद कम ही है.

अमेरिकी बाजार में गिरावट

फेडरल रिजर्व की नीति के बाद अमेरिकी शेयर बाजार में भारी गिरावट देखने को मिली. डाउ जोंस इंडस्ट्रियल एवरेज में 1100 अंकों से अधिक की गिरावट आई. यह गिरावट लगातार दसवें दिन देखने को मिली, जो 1974 के बाद पहली बार हुआ है. S&P 500 और Nasdaq Composite भी क्रमशः 3% और 3.6% गिर गए. अमेरिकी बाजार की यह गिरावट भारतीय निवेशकों के लिए एक चेतावनी का काम करती है, क्योंकि दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में अस्थिरता का असर दुनियाभर के बाजारों पर पड़ता है.

भारतीय बाजार पर असर

अमेरिकी बाजारों में आई गिरावट का सीधा असर भारतीय शेयर बाजार पर भी पड़ा. आज सुबह भारतीय बाजार में बीएसई सेंसेक्स लगभग 1100 अंक गिरकर खुला, और निफ्टी भी 24,000 अंक से नीचे चला गया. सुबह 9:32 बजे सेंसेक्स में 921 अंक (1.15%) की गिरावट देखी गई, जबकि निफ्टी में 282 अंक (1.17%) की गिरावट आई. इस गिरावट के कारण भारतीय बाजार में निवेशकों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है.

सेंसेक्स की गिरावट में प्रमुख भूमिका एचडीएफसी बैंक, इन्फोसिस, आईसीआईसीआई बैंक, रिलायंस इंडस्ट्रीज, एसबीआई और एचसीएल टेक जैसे बड़ी कंपनियों के शेयरों में आई गिरावट की रही. इन कंपनियों के शेयरों में गिरावट ने पूरे बाजार को नीचे खींच लिया. इसके अलावा, एक्सिस बैंक, महिंद्रा एंड महिंद्रा, कोटक बैंक और बजाज फाइनेंस जैसे अन्य शेयरों में भी गिरावट देखने को मिली.

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छोटे और मिड कैप स्टॉक्स पर प्रभाव

भारतीय बाजार में बड़ी कंपनियों के साथ-साथ छोटे और मिड कैप स्टॉक्स में भी गिरावट आई है. एशियन पेंट्स, इंफोसिस, टीसीएस, एचसीएल और महिंद्रा जैसे प्रमुख स्टॉक्स में करीब 2% की गिरावट आई है. वहीं, स्मॉल और मिड कैप कंपनियों के शेयरों में भी 3% तक की गिरावट देखी गई है, जैसे त्रिवेणी टरबाइन, फाइव स्टार बिजनेस, सोनाटा सॉफ्टवेयर, भारती हेक्साकॉम और नायका के शेयर.

मार्केट कैप में गिरावट

आज के कारोबारी दिन के अंत तक, बीएसई लिस्टेड कंपनियों का मार्केट कैप 5.94 लाख करोड़ रुपये गिरकर 446.66 लाख करोड़ रुपये रह गया है. बीएसई सेंसेक्स के टॉप 30 शेयरों में से केवल दो शेयरों में ही मामूली उछाल देखा गया, जबकि बाकी सभी में गिरावट आई है.

क्यों हो रही है यह गिरावट?

इस गिरावट के पीछे प्रमुख कारण अमेरिका के केंद्रीय बैंक की नीति में बदलाव को माना जा रहा है. फेडरल रिजर्व की कमेंट्री से यह स्पष्ट हुआ कि ब्याज दरों में आगामी समय में और कटौती की उम्मीद कम हो गई है, और महंगाई पर काबू पाने के लिए सख्ती बरतने की जरूरत है. इससे वैश्विक स्तर पर निवेशकों का भरोसा डगमगाया है, क्योंकि निवेशक अब यह महसूस कर रहे हैं कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था में धीमी वृद्धि और महंगाई के कारण बाजार में और अस्थिरता आ सकती है.

कुल मिलाकर, अमेरिकी बाजार में आई गिरावट और फेडरल रिजर्व की नीति में बदलाव ने भारतीय शेयर बाजार को भी प्रभावित किया है. हालांकि, यह समय निवेशकों के लिए एक महत्वपूर्ण सबक है कि वे अपने निवेश निर्णयों में समझदारी और सावधानी बरतें, और किसी भी तरह के निवेश से पहले वित्तीय सलाहकार से मार्गदर्शन प्राप्त करें.

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