इजरायल पर ईरान के हमले से भड़का NATO, वर्ल्ड वॉर-3 का काउंटडाउन शुरू!
Iran-Israel Conflict: मिडिल ईस्ट के हालात एक बार फिर खतरनाक मोड़ पर पहुंच चुके हैं. इस बार ईरान ने इजरायल पर हमला किया है, जिससे दुनिया भर में डर और चिंता की लकीरें दिखाई देने लगी है. मंगलवार आधी रात को ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स (IRGC) ने इजरायल की ओर 180 से भी ज्यादा मिसाइलें दाग दीं. इनमें से 90% मिसाइलें सही निशाने पर जाकर लगीं, जिससे इजरायल को बड़ा नुकसान हुआ है.
हमले से विनाश
हमले का मंजर भयावह था. मिसाइलें इजरायल के कई सैन्य ठिकानों पर गिरीं. इजरायली सेना ने इसे खुद विध्वंसक हमला करार दिया है. शहरों और गांवों में विस्फोट की आवाजें और धुएं के बादल छा गए, और चारों ओर अफरातफरी का माहौल बन गया. हालांकि, इजरायली रक्षा प्रणाली ने अधिकांश मिसाइलों को रोक दिया, फिर भी कुछ मिसाइलें अपने लक्ष्य तक पहुंच गईं, जिससे जान-माल का भारी नुकसान हुआ.
ईरान की चेतावनी
ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेशकियन ने इस हमले का समर्थन करते हुए इसे ‘आत्मरक्षा’ की कार्रवाई बताया. उन्होंने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को साफ शब्दों में चेतावनी दी कि ईरान कोई युद्ध नहीं चाहता, लेकिन वह किसी भी खतरे का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार है. पेजेशकियन का बयान सोशल मीडिया पर खूब चर्चा में रहा, जिसमें उन्होंने कहा, “यह तो बस हमारी ताकत की एक झलक है. इजरायल को खुद को संभाल लेना चाहिए, नहीं तो नतीजे और भी भयावह होंगे.”
इजरायल का जवाबी रुख
इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस हमले को ईरान की सबसे बड़ी भूल करार दिया और कहा कि इसका जवाब निश्चित रूप से दिया जाएगा. हालांकि, उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जवाबी कार्रवाई कब और कैसे होगी, इसका फैसला इजरायली सेना करेगी. इजरायली रक्षा प्रवक्ता ने कहा कि देश हर स्थिति के लिए तैयार है और इस चुनौती का जवाब कड़ा होगा.
ईरान और इजरायल के इस टकराव ने पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया है. अमेरिका ने इजरायल का समर्थन करते हुए ईरान की इस हरकत को अनुचित बताया. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इजरायल की वायु रक्षा प्रणाली की सराहना की और कहा कि अमेरिकी मदद से ईरान का हमला नाकाम रहा. वहीं, अमेरिकी उपराष्ट्रपति कमला हैरिस ने ईरान को ‘क्षेत्रीय अस्थिरता का कारण’ बताया और कहा कि अमेरिका इजरायल के साथ खड़ा रहेगा. ब्रिटेन ने भी इस हमले की निंदा करते हुए कहा कि वह इजरायल के साथ खड़ा है और इस हमले को सहन नहीं करेगा. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री और रक्षा मंत्री ने मध्य पूर्व में शांति बनाए रखने के लिए कूटनीति पर जोर दिया है.
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इजरायल पर ईरान के हमले के बाद इंटरनेट पर यूजर्स तीसरे विश्व युद्ध की संभावना के बारे में चिंतित हैं. कई यूजर्स का मानना है कि तीसरा विश्व युद्ध छिड़ता है, तो दो पक्ष होंगे. इसमें एक नाटो होगा, जिसमें- अमेरिका, इजरायल और ब्रिटेन मुख्यरूप से होंगे. दूसरे पक्ष में रूस, चीन, ईरान, यमन और उत्तर कोरिया होंगे. एक यूजर ने लिखा, “ईरान और इजरायल की लड़ाई तीसरे विश्वयुद्ध को भड़का सकती है. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अवसर तलाश रहे हैं तो जर्मनी, फ्रांस और पोलैंड जैसे देश इजरायल के साथ आ जाएंगे.”
द वॉल स्ट्रीट जर्नल की मंगलवार की रिपोर्ट में अरब अधिकारियों का हवाला देते हुए कहा गया है कि ईरान के मिसाइल हमले के बाद इजरायल ने तेहरान के परमाणु या ऑइल फैसिलिटी को निशाना बनाकर सीधे जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी है. इजरायली अधिकारियों ने कथित तौर पर इस बात पर जोर दिया कि हमले का जवाब देगा, भले ही हमले में ज्यादा नुकसान ना हुआ हो. इजरायल की प्रतिक्रिया ये संकेत देती है कि ईरान की न्यूक्लियर साइट उसका निशाना हो सकती हैं.
ईरान की न्यूक्लियर साइट बन सकती हैं निशाना
सैन्य विश्लेषकों ने एक दिन पहले ही संकेत दिया था कि इजरायली सेना ईरान की परमाणु सुविधाओं पर हमला करने पर गंभीर विचार कर रहा है. ईरानी साइटों पर हमले की संभावना पिछले दशक में सबसे ज्यादा है. नदाव इयाल ने कहा कि हालिया ईरानी हमले से इजरायल में ईरान के परमाणु बुनियादी ढांचे पर हमले की वकालत करने वाली आवाजें मजबूत हुई हैं.
ईरान की ताकत का प्रदर्शन
इस हमले ने ईरान की सैन्य ताकत को दुनिया के सामने उजागर कर दिया है. ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड्स की बैलिस्टिक मिसाइलें दिखाती हैं कि ईरान अपने दुश्मनों को गंभीर परिणाम भुगताने में सक्षम है. यह हमला न केवल इजरायल के लिए चेतावनी है, बल्कि उन देशों के लिए भी संदेश है जो इस टकराव में हस्तक्षेप कर सकते हैं.
क्षेत्रीय शांति पर खतरा
मध्य पूर्व का यह टकराव केवल ईरान और इजरायल तक सीमित नहीं है. इसका असर पूरे क्षेत्र पर पड़ सकता है. विशेषज्ञों का मानना है कि यदि जल्द ही इस स्थिति को नहीं संभाला गया, तो यह टकराव बड़े युद्ध का रूप ले सकता है, जिसका प्रभाव पूरी दुनिया पर होगा. यह क्षेत्र पहले से ही आतंकवाद और संघर्ष का केंद्र बना हुआ है, और अब यह नया हमला इसे और भी खतरनाक बना रहा है.
क्या संयुक्त राष्ट्र निभाएगा भूमिका?
इस संकट के बीच संयुक्त राष्ट्र की भूमिका भी अहम हो जाती है. संयुक्त राष्ट्र ने दोनों देशों से संयम बरतने और विवाद को बातचीत के जरिए सुलझाने की अपील की है. हालांकि, दोनों देशों के बीच की दुश्मनी को देखते हुए यह कहना मुश्किल है कि कूटनीति कितना काम करेगी. ईरान और इजरायल के बीच का यह तनावपूर्ण टकराव पूरे विश्व के लिए एक बड़ा खतरा है. मिसाइलों की बारिश से जो तबाही हुई है, उसने सभी को चिंतित कर दिया है. अब देखना यह है कि क्या यह संघर्ष और बढ़ेगा या अंतर्राष्ट्रीय समुदाय इसे शांतिपूर्ण तरीके से सुलझाने में कामयाब होगा. दुनिया की निगाहें अब इसी पर टिकी हैं.