सद्दाम हुसैन को मारने चले थे इजरायली कमांडो, ताबूत में लौटे; मोसाद के सबसे बड़े ‘आत्मघाती’ ऑपरेशन की अनसुनी कहानी!
सद्दाम को ख़त्म करने की साज़िश में इज़रायल ने गंवा दिए थे अपने कमांडो
Operation Bramble Bush: दुनिया की सबसे खूंखार खुफिया एजेंसियों में से एक है इजरायल की मोसाद. इसके कारनामे सुनकर बड़े-बड़ों के पसीने छूट जाते हैं. लेकिन क्या आपको पता है, एक बार मोसाद का एक हाई-प्रोफाइल मिशन इतनी बुरी तरह फेल हुआ था कि खुद इजरायल को अपने कमांडो की मौत कई सालों तक छुपानी पड़ी?
यह कहानी है 1990 के दशक की शुरुआत की, जब मोसाद ने इराक के तानाशाह सद्दाम हुसैन को खत्म करने का एक खतरनाक प्लान बनाया था. दरअसल, इराक के पूर्व तानाशाह सद्दाम हुसैन (Saddam Hussein) को मारने के लिए मोसाद ने एक टॉप-सीक्रेट ऑपरेशन चलाया था, जिसका नाम था ‘ऑपरेशन ब्रम्बल बश’.
क्यों सद्दाम हुसैन इजरायल की आंखों में खटकने लगे थे?
बात 1991 के खाड़ी युद्ध (Gulf War) के बाद की है. इस युद्ध में अमेरिका के नेतृत्व में कई देशों ने इराक पर हमला किया था. युद्ध तो खत्म हो गया, लेकिन इजरायल और अमेरिका दोनों को लगा कि सद्दाम हुसैन अभी भी उनके लिए एक बड़ा खतरा बने हुए हैं. सद्दाम के पास बड़े पैमाने पर हथियार थे और उनकी मंशा साफ नहीं थी. इसी खतरे को देखते हुए इजरायली सेना और मोसाद के अधिकारियों ने मिलकर सद्दाम को रास्ते से हटाने का एक बड़ा प्लान बनाया. उनका मकसद था सद्दाम हुसैन को हमेशा के लिए खत्म कर देना.
कैसे बना था सद्दाम को मारने का प्लान?
मोसाद की योजना थी कि सद्दाम को किसी सार्वजनिक जगह पर मारा जाए, ताकि इससे इराक और बाकी देशों को एक कड़ा संदेश मिले. उन्होंने फैसला किया कि सद्दाम पर हमला तब किया जाएगा जब वो किसी भीड़ वाली जगह पर मौजूद हों. इस बेहद मुश्किल और खतरनाक काम के लिए इजरायल की सबसे खास और काबिल कमांडो यूनिट सायरेट मटकल (Sayeret Matkal) को चुना गया. सायरेट मटकल के कमांडो अपनी बहादुरी और असाधारण ट्रेनिंग के लिए जाने जाते हैं.
प्लान ये था कि सद्दाम हुसैन अपने गृहनगर तिकरित (Tikrit) में एक अंतिम संस्कार में शामिल होने आ सकते हैं. कमांडो अरबी लोगों के कपड़ों में, आम लोगों भीड़ में शामिल होकर सद्दाम के काफिले के करीब जाएंगे. फिर वे अपने कंधे से दागी जाने वाली मिसाइलों, जैसे RPG या समान हथियार से सद्दाम के वाहन पर हमला करेंगे. मोसाद से हरी झंडी मिलने के बाद इजरायल डिफेंस फोर्सेस (IDF) ने भी इस ऑपरेशन को मंजूरी दे दी.
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रेगिस्तान में हुआ भयानक हादसा!
असली कहानी तब शुरू हुई जब ऑपरेशन को अंजाम देने से पहले उसकी रिहर्सल की जानी थी. तारीख थी 5 नवंबर, 1992. सायरेट मटकल की टीम ने दक्षिणी इजरायल के नेगेव रेगिस्तान (Negev Desert) में इस हमले का अभ्यास शुरू किया. वे चाहते थे कि अभ्यास बिल्कुल असली जैसा हो, ताकि कोई कसर न रह जाए. इसी सोच के साथ उन्होंने असली मिसाइलों का इस्तेमाल करने का फैसला किया. उन्हें लगा कि सुरक्षा के सारे इंतजाम पुख्ता हैं. लेकिन, किस्मत को कुछ और ही मंजूर था.
अभ्यास के दौरान, एक कमांडो ने गलती से अपनी ही टीम पर एक लाइव मिसाइल दाग दी. ये एक ऐसी भयानक गलती थी, जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी. इस दर्दनाक हादसे में पांच इजरायली कमांडो वहीं ढेर हो गए और छह बुरी तरह से घायल हो गए. इतने बड़े नुकसान के बाद, ‘ऑपरेशन ब्रम्बल बश’ को तुरंत रद्द कर दिया गया. सद्दाम हुसैन बच गए, लेकिन इजरायल ने अपने जांबाज कमांडो खो दिए.
सालों तक क्यों छिपाया गया ये सच?
इस घटना के बाद एक आंतरिक जांच हुई. जांच में पता चला कि मिशन की योजना बनाने, जानकारी जुटाने और खतरे का आकलन करने में कई बड़ी गलतियां हुई थीं. लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात ये थी कि इजरायल ने इस पूरी घटना और अपने कमांडो की मौत के बारे में सालों तक जनता से कुछ नहीं बताया. ये राज कई सालों तक दबा रहा और बाद में ही दुनिया के सामने आया. इजरायल नहीं चाहता था कि उसकी सबसे ताकतवर खुफिया एजेंसी की इतनी बड़ी असफलता दुनिया को पता चले.
आज भी इजरायल दूसरे देशों के नेताओं को निशाना बनाने से पीछे नहीं हटता, जैसा कि हाल ही में ईरान पर हुए हमलों में देखा गया है. लेकिन ‘ऑपरेशन ब्रम्बल बश’ की ये कहानी मोसाद के इतिहास का वो काला अध्याय है, जो बताता है कि हर बार दांव सफल नहीं होता और कभी-कभी बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है.