Jnanpith Award: ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित होंगे जगद्गुरु रामभद्राचार्य और गुलज़ार, समिति ने कर दिया ऐलान
Jnanpith Award: प्रसिद्ध उर्दू कवि गुलज़ार और संस्कृत के विद्वान जगद्गुरु रामभद्राचार्य को 58वें ज्ञानपीठ पुरस्कार के लिए नामित किया गया है. ज्ञानपीठ चयन समिति ने शनिवार को इसकी घोषणा की. चित्रकूट में तुलसी पीठ के संस्थापक और प्रमुख रामभद्राचार्य 4 महाकाव्यों सहित 240 से अधिक पुस्तकों और ग्रंथों के लेखक हैं. वहीं संपूर्ण सिंह कालरा उर्फ गुलज़ार को हिंदी सिनेमा में उनके शानदार काम के लिए जाना जाता है. गुलज़ार बेहतरीन उर्दू कवियों में से एक हैं.
ज्ञानपीठ चयन समिति ने कहा, “यह पुरस्कार 2023 के लिए दो भाषाओं के प्रतिष्ठित लेखकों-संस्कृत के साहित्यकार जगद्गुरु रामभद्राचार्य और प्रसिद्ध उर्दू साहित्यकार गुलज़ार को देने का निर्णय लिया गया है.”
गुलजार को मिले चुके हैं कई राष्ट्रीय पुरस्कार
गुलज़ार को 2002 में उर्दू के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार, 2013 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार, 2004 में पद्म भूषण और कम से कम 5 राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिले हैं. उनके कुछ बेहतरीन कामों में फिल्म ‘स्लमडॉग मिलियनेयर’ का गीत ‘जय हो’, ओमकारा’ (2006), ‘दिल से…’ (1998), और ‘गुरु’ (2007) शामिल हैं.
गुलज़ार ने कुछ सदाबहार क्लासिक्स फिल्मों का भी निर्देशन किया हैं. जिनमें ‘कोशिश’ (1972), ‘परिचय’ (1972), ‘मौसम’ (1975), ‘इजाज़त’ (1977), और टेलीविजन धारावाहिक ‘मिर्जा ग़ालिब’ (1988) सबसे शानदार हैं. अपनी लंबी फ़िल्मी करियर के साथ-साथ गुलज़ार साहित्य के क्षेत्र में भी नए मील के पत्थर स्थापित करते रहे हैं. कविता में उन्होंने एक नई शैली ‘त्रिवेणी’ का आविष्कार किया, जो तीन पंक्तियों की एक गैर-मुकफ्फा कविता है. गुलज़ार ने हमेशा कुछ नया रचा है.
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कई भाषाएं जानते हैं जगद्गुरु रामभद्राचार्य
रामभद्राचार्य रामानंद संप्रदाय के वर्तमान चार जगद्गुरु रामानंदाचार्यों में से एक हैं. वे 1982 से इस पद पर हैं. 22 भाषाएं बोलने वाले बहुभाषाविद्, रामभद्राचार्य संस्कृत, हिंदी, अवधी और मैथिली सहित कई भारतीय भाषाओं के कवि और लेखक हैं. जगद्गुरु रामभद्राचार्य ने हाल ही में बताया था कि हनुमान चालीसा की कुछ चौपाई में गलती है.
हर साल दिया जाता है ज्ञानपीठ पुरस्कार
1944 में स्थापित ज्ञानपीठ पुरस्कार भारतीय साहित्य में उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रतिवर्ष दिया जाता है. यह पुरस्कार संस्कृत भाषा के लिए दूसरी बार और उर्दू भाषा के लिए पांचवीं बार दिया जा रहा है. पुरस्कार में 21 लाख रुपये की पुरस्कार राशि, वाग्देवी की एक प्रतिमा और एक प्रशस्ति पत्र दिया जाता है.