‘वक्फ कानून’ पर ऐसे मोदी सरकार को घेरने की तैयारी में जमीयत-उलेमा-ए-हिंद, दिल्ली में हुई अहम बैठक

जमीयत की इस बैठक में कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई. सबसे पहले, यह समझने की कोशिश की गई कि पुराने और नए कानून में क्या अंतर हैं और ये बदलाव मुस्लिम समाज के लिए क्यों परेशानी खड़ी कर सकते हैं. कुछ सदस्यों ने सुझाव दिया कि अगर वक्फ में दान देना मुश्किल हो रहा है, तो लोग ट्रस्ट बनाकर अपनी संपत्ति को सुरक्षित रख सकते हैं.
Jamiat Ulema-e-Hind

जमीयत-उलेमा-ए-हिंद की बैठक

Waqf Law: भारत के मुस्लिम समाज की सबसे बड़ी संस्था जमीयत-उलेमा-ए-हिंद ने वक्फ संशोधन कानून के खिलाफ अपनी आवाज को और बुलंद करने का फैसला किया है. सोमवार को दिल्ली में मौलाना महमूद मदनी की अध्यक्षता में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें नए वक्फ कानून के खिलाफ रणनीति तैयार की गई. इस बैठक में मुस्लिम समाज के बड़े-बड़े विद्वानों, वकीलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया. सभी का एक ही मकसद था-वक्फ की संपत्तियों को बचाना और सरकार पर शांतिपूर्ण दबाव बनाना.

क्या है वक्फ कानून का मसला?

वक्फ कानून में हाल ही में कुछ बदलाव किए गए हैं, जिन्हें मुस्लिम समाज अपने लिए चुनौती मान रहा है. नए नियमों में कहा गया है कि कोई व्यक्ति इस्लाम अपनाने के बाद पांच साल तक उसका पालन करे, तभी वह वक्फ में दान दे सकता है. इसके अलावा, वक्फ की पुरानी जमीनों, खासकर जो भारतीय पुरातत्व विभाग के अधीन हैं, पर भी कई कानूनी अड़चनें सामने आ रही हैं. जमीयत का कहना है कि यह कानून वक्फ की जमीनों पर सरकार का सीधा हस्तक्षेप है, जिससे मुस्लिम समाज की धार्मिक और सामाजिक व्यवस्था को नुकसान हो सकता है.

बैठक में क्या-क्या हुआ?

जमीयत की इस बैठक में कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई. सबसे पहले, यह समझने की कोशिश की गई कि पुराने और नए कानून में क्या अंतर हैं और ये बदलाव मुस्लिम समाज के लिए क्यों परेशानी खड़ी कर सकते हैं. कुछ सदस्यों ने सुझाव दिया कि अगर वक्फ में दान देना मुश्किल हो रहा है, तो लोग ट्रस्ट बनाकर अपनी संपत्ति को सुरक्षित रख सकते हैं. यह विचार बैठक में काफी चर्चा का विषय रहा.

इसके अलावा, जमीयत ने यह भी तय किया कि समाज में किसी तरह का डर या घबराहट नहीं फैलनी चाहिए. लोगों तक सही जानकारी पहुंचाने के लिए एक बड़ा अभियान चलाया जाएगा. साथ ही, यह भी कोशिश होगी कि कोई राजनीतिक दल इस मुद्दे का गलत फायदा न उठा सके. उत्तर प्रदेश और बिहार जैसे राज्यों में इस कानून से होने वाली दिक्कतों पर खास ध्यान दिया गया, क्योंकि वहां मुस्लिम समुदाय की आबादी ज्यादा है.

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शांतिपूर्ण विरोध का रास्ता

जमीयत ने साफ कर दिया कि वह हिंसा का रास्ता नहीं अपनाएगी. संगठन ने देशभर में शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने की अपील की है. मौलाना महमूद मदनी ने कहा, “हम हर कुर्बानी देने को तैयार हैं, लेकिन वक्फ की हिफाजत के लिए हमारा विरोध शांतिपूर्ण रहेगा.” बैठक में यह भी तय हुआ कि वक्फ की जमीनों से जुड़े कानूनी मसलों को समझने और उनसे निपटने के लिए एक खास योजना बनाई जाएगी.

सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती

वक्फ कानून के खिलाफ सड़कों पर प्रदर्शन तो हो ही रहे हैं, लेकिन जमीयत ने इस मसले को सुप्रीम कोर्ट में भी उठाया है. संगठन का मानना है कि कानूनी और शांतिपूर्ण तरीकों से ही इस कानून को बदला जा सकता है. पश्चिम बंगाल में इस मुद्दे पर कुछ हिंसक घटनाएं भी सामने आईं, जिनका जिक्र बैठक में हुआ.

जमीयत अब अलग-अलग राज्यों में इस कानून के असर को समझने के लिए अध्ययन करेगी. संगठन यह भी सुनिश्चित करेगा कि आम मुसलमानों तक यह बात पहुंचे कि उनके पास अभी भी कई कानूनी रास्ते खुले हैं. जमीयत का कहना है कि यह सिर्फ वक्फ की जमीनों का मसला नहीं, बल्कि पूरे समुदाय की एकता और अधिकारों की लड़ाई है.

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