अब 90 सीटें, पंडितों के लिए भी खास इंतजाम…10 सालों में बदल गई जम्मू कश्मीर की तस्वीर

जम्मू-कश्मीर में इस बार चुनाव से सरकार तो बनेगी लेकिन उसके पास पहले की तरह पावर नहीं होंगे. कश्मीर अभी केंद्र शासित प्रदेश हैं और वहां पर उपराज्यपाल के पास कई सारी शक्तियां हैं.
Jammu Kashmir Election

Jammu Kashmir Election

Jammu Kashmir Election: जम्मू और कश्मीर में 10 साल में पहली बार विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. चुनाव आयोग ने आज नए केंद्र शासित प्रदेश के लिए चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया है. जम्मू कश्मीर की कुल 90 विधानसभा सीटों पर 3 चरणों में वोटिंग होगी. पहले चरण में  18 सितंबर को, दूसरे चरण का चुनाव 25 सितंबर को जबकि तीसरे चरण का चुनाव एक अक्टूबर को होगा. नतीजे 4 अक्टूबर को हरियाणा के साथ ही घोषित किए जाएंगे.

राज्य से केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद जम्मू और कश्मीर में कई बदलाव हुए हैं, जो विधानसभा चुनावों को प्रभावित कर सकते हैं. जैसे परिसीमन. अनुच्छेद 370 हटने के बाद तत्कालीन जम्मू-कश्मीर राज्य को दो अलग-अलग केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने के लिए परिसीमन प्रक्रिया को अंजाम दिया गया. आइये जानते हैं कि पिछले 10 सालों में कितना बदल गया है जम्मू कश्मीर की तस्वीरें…

जम्मू-कश्मीर में परिसीमन

जम्मू-कश्मीर और लद्दाख को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने के लिए परिसीमन का सहारा लिया गया.  परिसीमन दो कानूनों – परिसीमन अधिनियम, 2002 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 के अनुसार किया गया था. मार्च 2020 में सेवानिवृत्त जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय परिसीमन आयोग का गठन किया गया था. भारत के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त सुशील चंद्रा और जम्मू-कश्मीर के राज्य चुनाव आयुक्त के.के. शर्मा अन्य सदस्य थे. आयोग ने 5 मई 2022 को अपनी अंतिम परिसीमन रिपोर्ट पेश की. उनके सुझाव के अनुसार, जम्मू में छह और कश्मीर में एक विधानसभा क्षेत्र जोड़ा गया.

पहले जम्मू और कश्मीर में 87 निर्वाचन क्षेत्र थे और अब इसमें 90 हैं. इन 90 में से 47 कश्मीर क्षेत्र का हिस्सा हैं और 43 जम्मू क्षेत्र का हिस्सा हैं. 90 सीटों के अलावा 24 सीटें ऐसी भी हैं, जो पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के लिए आरक्षित हैं. केंद्र शासित प्रदेश के प्रत्येक संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में 18 विधानसभा क्षेत्र शामिल हैं और नौ विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित हैं. अनुसूचित जातियों के लिए भी सात आरक्षित हैं.

यह भी पढ़ें: Assembly Election: जम्मू-कश्मीर में 3 चरणों में होगी वोटिंग, हरियाणा में एक ही फेज में चुनाव, यहां देखें पूरा कार्यक्रम

कई सीटों के नाम बदले

इन बदलावों के कारण कुछ निर्वाचन क्षेत्रों को अलग-अलग नाम दिए जाने की भी आवश्यकता पड़ी है. जैसे – तंगमर्ग को गुलमर्ग, जूनीमार को जैदीबल, सोनवार को लाल चौक, पैडर को पैडर-नागसेनी, कठुआ उत्तर को जसरोटा, कठुआ दक्षिण को कठुआ, खौर को छंब, माहौर को गुलाबगढ़, दरहाल को बुधल आदि नाम दिए गए हैं.

कश्मीरी पंडितों के लिए क्या?

बता दें कि परिसीमन के दौरान कश्मीरी पंडितों के लिए दो सीटें रिजर्व रखी गई हैं. इन्हें कश्मीरी प्रवासी नाम दिया गया है. अब उपराज्यपाल विधानसभा के लिए तीन सदस्यों को नामित कर सकेंगे, जिनमें से दो कश्मीरी प्रवासी और एक PoK से विस्थापित व्यक्ति होगा. जिन दो कश्मीरी प्रवासियों को नामित किया जाएगा, उनमें से एक महिला होगी.

गौरतलब है कि कश्मीरी प्रवासी उसे ही माना जाएगा जो 1 नवंबर 1989 के बाद घाटी या जम्मू कश्मीर के किसी भी हिस्से से पलायन किया हो. साथ ही उसका नाम रिलीफ कमीशन में भी दर्ज हो. वहीं, जो भी व्यक्ति 1947-48, 1965 या 1971 के बाद पीओके से आया होगा, उसे विस्थापित माना जाएगा.

सरकार तो बनेगी, लेकिन पावर कट के साथ

जम्मू-कश्मीर में इस बार चुनाव से सरकार तो बनेगी लेकिन उसके पास पहले की तरह पावर नहीं होंगे. कश्मीर अभी केंद्र शासित प्रदेश हैं और वहां पर उपराज्यपाल के पास कई सारी शक्तियां हैं. उपराज्यपाल के आदेश के बिना कोई भी फैसला नहीं हो सकता है. उपराज्यपाल केंद्र सरकार का प्रतिनिधि होता है. पहले जम्मू-कश्मीर में केंद्र का दखल बहुत ही कम होता था. केंद्र की ओर से भेजे गए राज्यपाल रक्षा और संचार जैसे अहम मामले में ही दखल दे सकते थे. कुल मिलाकर कश्मीर में अब दिल्ली जैसे सियासी दांव पेंच देखने को मिलेगा.

सुप्रीम कोर्ट ने दिया था आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने ईसीआई को यह सुनिश्चित करने का भी आदेश दिया था कि 30 सितंबर, 2024 से पहले जम्मू और कश्मीर में विधानसभा चुनाव हो जाएं. यह जम्मू और कश्मीर का पहली बार केंद्र शासित प्रदेश के रूप में मतदान होगा और छह साल बाद पहली बार सरकार बनेगी.

मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा कि कश्मीर की 3 लोकसभा सीटों में 2019 में 19.19% मतदान हुआ जोकि 2024 में 51.09% रहा. उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर विधानसभा में कुल 90 सीटें हैं जिनके लिए 87.09 लाख वोटर अपने नुमाइंदों का चुनाव करेंगे. उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर में कुल 11838 पोलिंग बूथ होंगे और हर बूथ पर औसतन 735 वोटर होंगे.

पिछले चुनाव के नतीजे

जम्मू-कश्मीर में 2014 विधानसभा चुनाव के दौरान 87 सीटों पर वोटिंग हुई थी. इसमें से 28 सीटों पर पीडीपी को जीत मिली थी, जबकि बीजेपी के खाते में 25 सीटें गईं. नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 15 सीटें जीती थीं, कांग्रेस को 12 सीटों पर जीत मिली थी, जबकि अन्य दलों को 7 सीटों पर फतह हासिल हुई थी.

ज़रूर पढ़ें