“सरकारी जमीन पर है जनेटा दरगाह, फिर भी वसूली करते हैं वक्फ वाले…”, कानून लागू होने के बाद मोहम्मद जावेद ने संभल DM से की शिकायत

गांव के ही शाहिद मियां पर गंभीर इल्जाम लगाए गए हैं. जावेद का दावा है कि शाहिद हर साल दरगाह पर होने वाले उर्स मेले और चढ़ावे से मिलने वाली रकम में भारी हेराफेरी कर रहे हैं. लाखों रुपये की इस आमदनी का कोई हिसाब-किताब नहीं रखा गया है. इससे न केवल दरगाह की पवित्रता पर सवाल उठ रहे हैं, बल्कि वक्फ संपत्ति के प्रबंधन की पारदर्शिता भी संदेह के घेरे में है.
Janeta Dargah Sambhal

संभल में जनेटा दरगाह विवाद

Janeta Dargah Sambhal: उत्तर प्रदेश के संभल जिले में चंदौसी तहसील के जनेटा गांव की प्रसिद्ध जनेटा दरगाह शरीफ इन दिनों सुर्खियों में है. इस दरगाह को लेकर गांव के ही मोहम्मद जावेद ने गंभीर आरोप लगाए हैं. उन्होंने जिला प्रशासन और मुख्यमंत्री पोर्टल पर शिकायत दर्ज कराई है कि दरगाह की वक्फ संपत्ति का गलत इस्तेमाल हो रहा है. यह मामला न केवल स्थानीय लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गया है, बल्कि वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन पर भी सवाल उठा रहा है.

पूर्वजों की कब्रों को नुकसान पहुंचाया जा रहा- जावेद

मोहम्मद जावेद का कहना है कि पिछले पांच सालों से दरगाह का कोई आधिकारिक जिम्मेदार (मुतवल्ली) नियुक्त नहीं हुआ है. इस वजह से दरगाह और इसके आसपास की वक्फ संपत्ति पर अनधिकृत निर्माण कार्य चल रहा है. इतना ही नहीं, संपत्ति का मूल स्वरूप भी बदला जा रहा है. जावेद ने यह भी आरोप लगाया कि उनके पूर्वजों की कब्रों को नुकसान पहुंचाया जा रहा है, जो दरगाह परिसर में स्थित हैं. यह बात स्थानीय लोगों के बीच आक्रोश का कारण बन रही है.

इसके अलावा, गांव के ही शाहिद मियां पर गंभीर इल्जाम लगाए गए हैं. जावेद का दावा है कि शाहिद हर साल दरगाह पर होने वाले उर्स मेले और चढ़ावे से मिलने वाली रकम में भारी हेराफेरी कर रहे हैं. लाखों रुपये की इस आमदनी का कोई हिसाब-किताब नहीं रखा गया है. इससे न केवल दरगाह की पवित्रता पर सवाल उठ रहे हैं, बल्कि वक्फ संपत्ति के प्रबंधन की पारदर्शिता भी संदेह के घेरे में है.

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देशभर में संशोधित वक्फ कानून लागू

यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है, जब देशभर में वक्फ संशोधन कानून 2025 लागू हो चुका है. इस नए कानून का मकसद वक्फ संपत्तियों का बेहतर प्रबंधन, सर्वे, रजिस्ट्रेशन और विवादों का तेजी से निपटारा करना है. साथ ही, यह कानून वक्फ संपत्तियों के विकास और हितधारकों को सशक्त बनाने पर जोर देता है. हालांकि, इस कानून को लेकर कई जगहों पर विरोध भी देखने को मिल रहा है. लोग इसे अपनी परंपराओं और अधिकारों पर हस्तक्षेप मान रहे हैं.

वक्फ की अवधारणा इस्लामी परंपराओं से जुड़ी है. यह किसी व्यक्ति द्वारा धर्मार्थ या सामाजिक कार्यों, जैसे मस्जिद, स्कूल या अस्पताल बनाने के लिए दी गई संपत्ति को कहते हैं. वक्फ संपत्ति को न बेचा जा सकता है, न उपहार में दिया जा सकता है और न ही इसे किसी और काम में इस्तेमाल किया जा सकता है. यह संपत्ति हमेशा के लिए ईश्वर को समर्पित मानी जाती है. जनेटा दरगाह का यह मामला अब प्रशासन के सामने है. लोग इंतजार कर रहे हैं कि इस शिकायत पर क्या कार्रवाई होगी.

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