अब अपनी पार्टी बनाएंगे चंपई सोरेन, JMM से बगावत के बाद लिया बड़ा फैसला
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन (Champai Soren) ने बुधवार को झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) के भीतर बढ़ते तनाव के बीच एक नई राजनीतिक पार्टी बनाने का ऐलान कर दिया है. उन्होंने कहा, “मैंने तीन विकल्प बताए थे – सेवानिवृत्ति, संगठन या दोस्त. मैं सेवानिवृत्त नहीं होऊंगा; मैं पार्टी को मजबूत करूंगा, एक नई पार्टी बनाऊंगा, और अगर रास्ते में मुझे कोई अच्छा दोस्त मिलता है, तो उसके साथ आगे बढ़ूंगा.”
जब मीडिया ने उन्हें याद दिलाया कि राज्य में चुनाव से पहले नई पार्टी बनाने के लिए उनके पास ज्यादा समय नहीं बचा है, तो सोरेन ने कहा, “यह आपकी समस्या नहीं है.” उन्होंने कहा, “जब एक दिन में 30,000-40,000 कार्यकर्ता आ सकते हैं तो मुझे नई (राजनीतिक पार्टी) बनाने में क्या समस्या होगी. पार्टी एक सप्ताह के भीतर गठित हो जाएगी.”
चंपई ने JMM पर लगाया था अपमान का आरोप
चंपई सोरेन ने झारखंड के मुख्यमंत्री के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान कथित अपमान के दौर के बाद एक नया राजनीतिक दल बनाने का फैसला किया है. इस घोषणा से कुछ ही दिन पहले सोरेन ने JMM नेतृत्व के प्रति अपने असंतोष को जाहिर किया था. खासकर तब जब पार्टी नेताओं ने उनकी जानकारी के बिना उनके सरकारी कार्यक्रमों को अचानक रद्द कर दिया था.
उन्होंने कहा कि वे चुप रहे क्योंकि उन्हें सत्ता का लालच नहीं था, लेकिन उनके स्वाभिमान को ठेस पहुंची थी. चंपई सोरेन ने अपने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में कहा, “इतने अपमान के बाद मुझे वैकल्पिक रास्ता तलाशने के लिए मजबूर होना पड़ा.” पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने विधायक दल की बैठक में घोषणा की थी कि आज से मेरे जीवन का एक नया अध्याय शुरू होने जा रहा है.
मेरे लिए सभी विकल्प खुले हैं: चंपई सोरेन
उन्होंने एक्स पर एक पोस्ट में कहा, “मेरे पास तीन विकल्प थे. पहला राजनीति से संन्यास लेना, दूसरा अलग पार्टी बनाना और तीसरा, अगर मुझे कोई सहयोगी मिल जाए तो उसके साथ मिलकर काम करना. उस दिन से लेकर आज तक और आगामी झारखंड विधानसभा चुनाव तक, इस यात्रा में मेरे लिए सभी विकल्प खुले हैं.” पूर्व मुख्यमंत्री ने 2 फरवरी को तत्कालीन सीएम हेमंत सोरेन के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में इस्तीफे और गिरफ्तारी के बाद पदभार संभाला था. हालांकि, हेमंत सोरेन के जेल से रिहा होने और 3 जुलाई को झामुमो के विधायक दल के नेता के रूप में फिर से चुने जाने के बाद उनका कार्यकाल कम हो गया, जिसके कारण चंपई सोरेन को इस्तीफा देना पड़ा.