क्या दिल्ली में ‘फेल’ कन्हैया बिहार में होंगे पास? समझिए कांग्रेस की ‘नौकरी यात्रा’ के सियासी मायने
राहुल गांधी, कन्हैया कुमार और मल्लिकार्जुन खड़गे
Bihar Election 2025: बिहार की राजनीति में इन दिनों हलचल मची हुई है, और इसकी वजह है विधानसभा चुनाव. साल के अंत में राज्य में विधानसभा के चुनाव होने हैं. इससे पहले सभी पार्टियों ने अपने-अपने हिस्से की रणनीतियों पर काम शुरू कर दिया है. कांग्रेस भी पीछे नहीं है. पार्टी ने 2025 के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए तैयारी शुरू कर दी है. खासकर कन्हैया कुमार की ‘नौकरी यात्रा’ (Kanhaiya Kumar Bihar Yatra) ने राजनीतिक गलियारों में चर्चा का बाजार गर्म कर दिया है. तो चलिए, जानते हैं इस यात्रा के पीछे की कहानी, इसके उद्देश्य और कन्हैया कुमार की बिहार वापसी के बारे में विस्तार से….
क्या है ‘नौकरी यात्रा’ का उद्देश्य?
कांग्रेस पार्टी ने यह तय किया है कि वह आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में रोजगार और युवा मुद्दों को प्रमुखता से उठाएगी. इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य है बिहार के युवाओं को रोजगार की स्थिति और शिक्षा से जुड़ी समस्याओं के बारे में जागरूक करना. साथ ही, यह यात्रा उन मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करेगी, जो राज्य में लाखों छात्रों और बेरोजगार युवाओं को प्रभावित कर रहे हैं.
कांग्रेस इस यात्रा के माध्यम से युवाओं को यह बताने की कोशिश करेगी कि आज भी बिहार में रोजगार की भारी कमी है, और राज्य से बाहर पलायन एक बड़ी समस्या बन चुकी है. इसके साथ ही, सरकारी नौकरियों में हुए पेपर लीक जैसे मुद्दों को भी जोर-शोर से उठाया जाएगा. कांग्रेस की यह रणनीति है कि युवाओं को रोजगार के वादे और समस्याओं के समाधान के लिए अपनी पार्टी से जोड़ें, ताकि आगामी चुनावों में पार्टी को बढ़त मिल सके.
कन्हैया कुमार की बिहार वापसी
वैसे तो कन्हैया कुमार अब फुल टाइम कांग्रेसी हैं. लेकिन लोकसभा चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार मनोज तिवारी से शिकस्त खाने के बाद घर वापसी करने जा रहे हैं. कांग्रेस ने इस यात्रा की जिम्मेदारी कन्हैया कुमार को ही दी है. कहा ये भी जा रहा है कि कन्हैया कुमार बिहार की किसी सीट से विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं.
कन्हैया कुमार ने पहले 2019 के लोकसभा चुनाव में बेगूसराय से कांग्रेस के समर्थन से चुनाव लड़ा था, लेकिन वह हार गए थे. इसके बाद 2024 के चुनाव में भी पार्टी ने दिल्ली से उन्हें मौका दिया, लेकिन वहां भी कुछ कमाल नहीं कर पाए. अब, कांग्रेस ने कन्हैया कुमार को एक और मौका दिया है, और उन्हें इस यात्रा का चेहरा बनाया है. कन्हैया कुमार का युवा और गतिशील व्यक्तित्व, कांग्रेस के लिए बिहार में युवाओं के बीच अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए एक रणनीतिक कदम हो सकता है. इस बीच बिहार में प्रशांत किशोर की लोकप्रियता भी खूब बढ़ी है. ऐसे में कांग्रेस का ये प्लान कहीं न कहीं कारगर साबित हो सकता है, क्योंकि कन्हैया एक तेज तर्रार नेता हैं.
यात्रा का मार्ग और कार्यक्रम
इस यात्रा का नाम है ‘बिहार को नौकरी दो यात्रा’, और इसे 16 मार्च से 14 अप्रैल तक आयोजित किया जाएगा. यात्रा की शुरुआत पूर्वी चंपारण के ऐतिहासिक गांधी आश्रम से होगी, जो गांधीजी के आंदोलन से जुड़ा हुआ है, और यात्रा का समापन पटना में होगा. इस यात्रा के दौरान कुल 400-500 किलोमीटर की दूरी तय की जाएगी, और यह यात्रा लगभग 20 जिलों से होकर गुजरेगी.
यात्रा में कन्हैया कुमार के साथ कांग्रेस पार्टी के अन्य नेताओं, कार्यकर्ताओं और युवाओं का समर्थन रहेगा. यात्रा के दौरान कांग्रेस के नेता और कार्यकर्ता युवाओं को रोजगार, शिक्षा, और पलायन जैसे मुद्दों पर पार्टी की नीति और कार्यक्रम से अवगत कराएंगे. इसके अलावा, यात्रा के दौरान होने वाली जनसभाओं में कांग्रेस युवाओं से संवाद करेगा और उन्हें पार्टी से जुड़ने के लिए प्रेरित करेगा.
क्या है कांग्रेस की रणनीति?
कांग्रेस की यह यात्रा एक बड़ी रणनीतिक चाल मानी जा रही है, जिसका उद्देश्य सिर्फ रोजगार और युवा मुद्दों को उठाना नहीं है, बल्कि इस यात्रा के जरिए कांग्रेस आरजेडी और अन्य विपक्षी दलों से गठबंधन की ओर भी इशारा कर रही है. कांग्रेस और आरजेडी पहले से ही महागठबंधन का हिस्सा है.
हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि आरजेडी इस यात्रा को लेकर क्या प्रतिक्रिया देती है. कन्हैया कुमार का नाम, खासकर आरजेडी के लिए थोड़ी संवेदनशीलता पैदा कर सकता है, क्योंकि उनके और आरजेडी के बीच कुछ राजनीतिक मतभेद रहे हैं.
अब सवाल उठता है कि कन्हैया कुमार की नौकरी यात्रा कांग्रेस के लिए कितनी सफल होगी. क्या यह यात्रा कांग्रेस को बिहार में सियासी जीत दिलाने में मदद करेगी, या फिर इसका सियासी असर उलटा पड़ेगा?