आतिशी के शपथ ग्रहण में केजरीवाल-LG के बीच दिखी दूरी! साथ बैठे लेकिन फिर भी नहीं मिले दिल…

कई राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह तनाव आने वाले दिनों में और बढ़ सकता है, खासकर जब दिल्ली की नई मुख्यमंत्री आतिशी अपनी नीतियों को लेकर नए फैसले लेने की तैयारी कर रही हैं.
केजरीवाल-LG

केजरीवाल-LG

Atishi Oath Ceremony: दिल्ली की सियासी गलियों में एक बार फिर हलचल शुरू हो गई है. दरअसल, जब आतिशी राजभवन में शपथ ले रही थीं तो अरविंद केजरीवाल और उपराज्यपाल वीके सक्सेना के बीच स्पष्ट दूरी देखने को मिली. इस समारोह में केजरीवाल और सक्सेना के बीच का मौन तनाव चर्चा का विषय बना हुआ है.

दिल्ली में आतिशी के शपथ ग्रहण समारोह का आयोजन भव्य तरीके से किया गया. हालांकि, इस मौके पर पूर्व मुख्यमंत्री केजरीवाल और उपराज्यपाल वीके सक्सेना की दूरी ने सभी का ध्यान खींचा. दोनों नेता समारोह के दौरान आसपास ही बैठे, लेकिन फिर भी एक-दूसरे से दूर रहे. दोनों में किसी तरह की कोई बातचीत देखने को नहीं मिली.

यह तनाव कोई नई बात नहीं है. केजरीवाल और सक्सेना के बीच पिछले कुछ सालों से कई मुद्दों पर असहमति देखने को मिली है. खासकर दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के कार्यालय के बीच प्रशासनिक अधिकारों और निर्णयों को लेकर लगातार टकराव होता रहा है. दिल्ली में अधिकारों की लड़ाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भी इस विवाद में कोई कमी नहीं आई है. खैर अब केजरीवाल मुख्यमंत्री नहीं रहे, उन्होंने अपनी कुर्सी पार्टी नेत्री आतिशी को दे दी है.

सत्ता संघर्ष और अधिकारों की लड़ाई

दिल्ली में सत्ता का केंद्र हमेशा से एक जटिल राजनीतिक समीकरण रहा है, जहां मुख्यमंत्री और उपराज्यपाल के बीच अधिकारों का बंटवारा विवादित रहा है. पूर्व में केजरीवाल सरकार की कई योजनाओं और नीतियों पर उपराज्यपाल ने बार-बार सवाल उठाए थे, जिसके कारण दोनों के बीच तनातनी बढ़ी थी. दिल्ली में विशेष रूप से शिक्षा और स्वास्थ्य क्षेत्र में किए गए कार्यों को लेकर आप सरकार को आम जनता से समर्थन मिला है, लेकिन वीके सक्सेना की ओर से इस पर सवालिया निशान खड़े किए गए हैं.

समारोह में साफ दिखी दूरी

आतिशी के शपथ ग्रहण समारोह के दौरान केजरीवाल और सक्सेना के बीच न तो कोई हंसी-मजाक हुआ, न ही हाथ मिलाने की कोई औपचारिकता. यह सन्नाटा और दूरियां यह बताने के लिए काफी थीं कि दोनों के बीच चल रही राजनीतिक खींचतान अभी खत्म होने का नाम नहीं ले रही.

कई राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह तनाव आने वाले दिनों में और बढ़ सकता है, खासकर जब दिल्ली की नई मुख्यमंत्री आतिशी अपनी नीतियों को लेकर नए फैसले लेने की तैयारी कर रही हैं. वहीं, उपराज्यपाल कार्यालय भी इन फैसलों को बारीकी से देख रहा है.

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क्या कहती है राजनीतिक समझ?

आतिशी के शपथ ग्रहण समारोह में देखने को मिली यह चुप्पी आने वाले राजनीतिक घटनाक्रमों की ओर इशारा कर रही है. दिल्ली में एक बार फिर से राजनीतिक उथल-पुथल देखने को मिल सकती है, जहां सत्ता का संघर्ष और अधिकारों की लड़ाई केंद्र में होगी. अब देखना होगा कि केजरीवाल और सक्सेना के बीच यह तनाव किस दिशा में जाता है?

 

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