15 विधायकों की छुट्टी, 31 नए चेहरे पर दांव…क्या हरियाणा में एंटी-इंकम्बेंसी की दीवार तोड़ पाएगी BJP की रणनीति?
Haryana Election: हरियाणा में चुनावी महासमर शुरू हो चुका है और बीजेपी ने इस बार एक तगड़ा दांव खेला है. पार्टी ने 15 मौजूदा विधायकों का टिकट काट दिया है और उनकी जगह 31 नए चेहरों को उतारा है. बीजेपी की इस चाल को सत्ता विरोधी लहर (एंटी-इंकम्बेंसी) को मात देने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है. लेकिन इसके साथ ही बीजेपी के अंदर बगावत की भी लहर उठ गई है. आइए, विस्तार से जानें.
बीजेपी का चालाक दांव
बीजेपी ने हमेशा एक तिहाई मौजूदा विधायकों को बदलने की रणनीति को अपनाया है, लेकिन इस बार हरियाणा में पार्टी ने इसे नए सिरे से लागू किया है. नई सूची में 15 विधायकों के टिकट काट दिए गए हैं, और उनकी जगह 31 नए चेहरों को चुना गया है. इस बदलाव का उद्देश्य पार्टी के ताजगी भरे चेहरे पेश करना और एंटी-इंकम्बेंसी को चुनौती देना है.
मंत्रियों की विदाई और नए चेहरे को मौका
बीजेपी की दूसरी सूची में बड़ा झटका देने वाली बात यह है कि सात मौजूदा विधायकों के टिकट काटे गए हैं, जिनमें से दो मंत्री भी शामिल हैं. स्वास्थ्य मंत्री बनवारी लाल और शिक्षा मंत्री सीमा त्रिखा को हटाकर नए चेहरों को मौका दिया गया है. बनवारी लाल की जगह कृष्ण कुमार को बावल (SC) सीट से उतारा गया है, और सीमा त्रिखा की जगह बदखल फरीदाबाद से धनेश अदलखा को उम्मीदवार बनाया गया है.
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पार्टी के भीतर की बगावत
टिकट कटने के बाद पार्टी के अंदर असंतोष और बगावत का माहौल बन गया है. कई नेताओं ने सार्वजनिक रूप से नाराजगी जताई है और इस्तीफे भी दिए हैं. नर्नौल से टिकट की दावेदारी कर रहे शिव कुमार ने बीजेपी के कार्यकारिणी पद से इस्तीफा दे दिया क्योंकि पार्टी ने ओमप्रकाश यादव को टिकट दिया. इसी तरह, बीजेपी के प्रवक्ता सत्यव्रत शास्त्री ने भी पार्टी से इस्तीफा दे दिया और आरोप लगाया कि पार्टी ने अपने मूल सिद्धांतों को छोड़ दिया है.
जातिगत समीकरण और महिलाओं पर भी दांव
बीजेपी ने जातिगत समीकरण का ध्यान रखते हुए टिकट बांटा है. पार्टी ने 17 टिकट अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों को, 19 ओबीसी, 16 जाट, 11 ब्राह्मण, 5 वैश्य, 5 राजपूत, 2 मुस्लिम और 1 सिख समुदाय को दिए हैं. महिलाओं को भी नजरअंदाज नहीं किया गया है . इस बार बीजेपी ने हरियाणा में 10 महिलाओं को चुनावी मैदान में उतारा गया है.
आगे की राह आसान नहीं!
बीजेपी की इस नई रणनीति से पार्टी के अंदर उठ रहे बगावत के बावजूद, सवाल यही है कि क्या ये नए चेहरे और रणनीतिक बदलाव पार्टी को तीसरी बार हरियाणा में सत्ता दिला पाएंगे? 8 अक्टूबर को जब वोटिंग होगी, तब ही पता चलेगा कि बीजेपी की ये नई चाल सफल होती है या बगावत की लहर पार्टी की योजनाओं को ध्वस्त कर देगी.