कभी लेफ्ट के तारणहार रहे कन्हैया, तो कभी योगी के खिलाफ चुनाव लडे़ मनोज तिवारी, जानें कैसा रहा दोनों नेताओं का राजनीतिक सफर
Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस ने रविवार, (14 अप्रैल) को उम्मीदवारों की एक और लिस्ट जारी की. इस सूची में तीन राज्यों दिल्ली, यूपी और पंजाब के 10 लोकसभा सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान किया गया है. कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल द्वारा जारी की गई लिस्ट के मुताबिक राजधानी दिल्ली के नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली से एनएसयूआई के अध्यक्ष और पार्टी नेता कन्हैया कुमार को चुनावी रण में उतारा गया है. दिल्ली की ये सीट इसलिए अहम मानी जा रही है क्योंकि मौजूदा सांसद और बीजेपी नेता मनोज तिवारी यहां से उम्मीदवार हैं. अब यहां कन्हैया कुमार और मनोज तिवारी के बीच कड़ी टक्कर देखने को मिल सकता है.
गौरतलब है कि दिल्ली में अरविंद केजरीवाल की पार्टी और कांग्रेस के बीच गठबंधन है. इसके तहत आप दिल्ली के चार और कांग्रेस तीन सीटों पर लोकसभा चुनाव में बीजेपी को टक्कर देती नजर आ सकती है. आम आदमी पार्टी पहले ही दिल्ली के चारों सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है और अब कांग्रेस ने भी अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर दिया है. ऐसे में अब दिल्ली की सियासत में सरगर्मी तेज हो गई है. क्योंकि दिल्ली के एक सीट पर कन्हैया कुमार बनाम मनोज तिवारी होने जा रहा है.
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योगी आदित्यनाथ के खिलाफ पहली बार लड़े चुनाव
भोजपुरी गायक और अभिनेता के रूप में अपनी पहचान बना चुके मनोज तिवारी वर्तमान समय में बीजेपी सांसद है. इससे पहले वह दिल्ली बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं. अगर उनके राजनीतिक सफर की बात करे तो सबसे पहले उन्होंने साल 2009 में यूपी के गोरखपुर लोकसभा सीट से समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ा था. हालांकि उन्हें यहां से बीजेपी उम्मीदवार योगी आदित्यनाथ से चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था. इसके बाद वह अन्ना हज़ारे द्वारा शुरू किए गए भ्रष्टाचार विरोधी अभियान में भी सक्रिय रहे. इसके बाद मनोज तिवारी 2014 के लोकसभा चुनाव में उत्तर-पूर्वी दिल्ली लोक सभा सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़ा और जीतकर पहली बार लोकसभा पहुंचे.
इस चुनाव में मनोज तिवारी ने आम आदमी पार्टी के आनंंद कुमार को हराया था. 2014 के लोकसभा चुनाव में मनोज तिवारी को कुल 5,96,125 वोट मिले थे, जबकि आप के आनंद कुमार को 4,52,041 वोट मिले थे. इसके बाद बीजेपी ने 2019 के लोकसभा चुनाव में भी उनपर भरोसा जताते हुए उन्हें उम्मीदवार बनाया. इस दौरान भी उन्होंने दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस प्रत्याशी शीला दीक्षित को 3 लाख 66 हजार 102 वोटों से हराकर दूसरी बार सांसद बने. इस चुनाव में मनोज तिवारी को 7 लाख 87 हजार 799 वोट मिले थे. जबकि शीला दीक्षित को 4 लाख 21 हजार 697 वोट ही मिले थे.
जेएनयू से मशहूर हुए कन्हैया कुमार
कन्हैया कुमार अखिल भारतीय छात्र परिषद (AISF) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के नेता रह चुके हैं और वर्तमान समय में वह कांग्रेस के नेता हैं. साल 2015 में कन्हैया कुमार जेएनयू (जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय) छात्रसंघ के अध्यक्ष पद के लिए चुने गए थे. फरवरी 2016 में जेएनयू में एक कश्मीरी अलगाववादी, 2001 में भारतीय संसद पर हमले के दोषी, मोहम्मद अफजल गुरु को फांसी के खिलाफ एक छात्र रैली में राष्ट्रविरोधी नारे लगाने के कथित आरोप में देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया था.
इस मामले में दिल्ली पुलिस ने कन्हैया कुमार को गिरफ्तार किया था. हालांकि, 2 मार्च 2016 को उन्हें अंतरिम जमानत पर रिहा कर दिया गया था, क्योंकि राष्ट्र विरोधी नारों में कन्हैया के भाग लेने से संबंधित कोई भी सबूत पुलिस पेश नहीं कर पाई थी. छात्र राजनीतिक के बाद कन्हैया ने भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के साथ मुख्य धारा की राजनीति में कदम रखा. जिसके बाद उन्होंने 2019 में सीपीआई के टिकट पर बिहार के बेगूसराय से लोकसभा का चुनाव लड़ा. हालांकि उन्हें यहां बीजेपी के वरिष्ठ नेता गिरीराज सिंह से हार का सामना करना पड़ा. इस चुनाव में गिरिराज सिंह को कुल 6 लाख 92 हजार 193 वोट मिले थे, जबकि कन्हैया कुमार को 2 लाख 69 हजार 976 वोट मिले थे.
सीपीआई को छोड़ थामा कांग्रेस का हाथ
2019 लोकसभा चुनाव के दो साल बाद कन्हैया कुमार सितंबर 2021 में कांग्रेस का हाथ थाम लिया. राहुल गांधी ने खुद उन्हें कांग्रेस की सदस्यता दिलाई. इन्हें भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी के साथ भी देखा गया था. कांग्रेस पार्टी ने कन्हैया कुमार को भारतीय राष्ट्रीय छात्र संघ का प्रभारी नियुक्त किया है. इसके अलावा उन्हें कांग्रेस वर्किंग कमेटी में भी जगह मिली. अब आगामी लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने कन्हैया कुमार को दिल्ली के नॉर्थ-ईस्ट दिल्ली से बीजेपी के मनोज तिवारी के खिलाफ चुनावी मैदान में उतारने का फैसला किया है.