Lok Sabha Election 2024: अखिलेश ने चाचा शिवपाल को ही क्यों बदायूं सीट से बनाया उम्मीदवार? जानें पर्दे के पीछे की कहानी

बदायूं से शिवपाल का नामांकन पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए आश्चर्य की बात नहीं है क्योंकि 1996 से इस सीट पर सपा का कब्जा है. हालांकि, 2019 में स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी भाजपा की संघमित्रा मौर्य ने यहां जीत हासिल की थी.
शिवपाल सिंह यादव

शिवपाल सिंह यादव

Lok Sabha Election 2024:  समाजवादी पार्टी ने लोकसभा चुनाव के लिए अपने उम्मीदवारों की तीसरी सूची जारी कर दी. पार्टी ने बदायूं से शिवपाल यादव को मैदान में उतारा है. फिलहाल शिवपाल जसवन्तनगर से विधायक हैं. पार्टी ने सूची में चार अन्य उम्मीदवारों के नाम भी शामिल किए हैं. शिवपाल की उम्मीदवारी इललिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव का क्षेत्र रहा है. राजनीति के जानकारों का कहना है कि पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव का बदायूं लोकसभा सीट से टिकट काटकर सपा ने पूर्व सांसद सलीम शेरवानी और पूर्व विधायक आबिद रजा को साधने की कोशिश की है.

कन्नौज और आज़मगढ़ के प्रभारी बने धर्मेंद्र

फिलहाल, सपा ने धर्मेंद्र को कन्नौज और आज़मगढ़ लोकसभा सीट का प्रभारी बनाया है. धर्मेंद्र ने सपा उम्मीदवार के रूप में आज़मगढ़ उपचुनाव लड़ा था और भाजपा के निरहुआ लाल यादव से हार गए थे. इससे पहले धर्मेंद्र यादव 2019 में सपा के टिकट पर बदायूं सीट से चुनाव लड़ रहे थे. माना जा रहा था कि 2024 में भी पार्टी धर्मेंद्र पर ही दांव लगाएगी, लेकिन एसपी की तीसरी लिस्ट के साथ ही साफ हो गया कि शिवपाल यादव यहां से ताल ठोकते नजर आएंगे. खासकर तेजी से बदलती राजनीतिक परिस्थितियों में एसपी के इस कदम के राजनीतिक निहितार्थ भी तलाशे जा रहे हैं.

यूपी में सीट बंटवारे को लेकर सपा और कांग्रेस के बीच बातचीत चल रही है, लेकिन गठबंधन टूटने की अटकलें भी चल रही हैं. स्वामी प्रसाद मौर्य ने भी खुद को सपा से अलग कर लिया है. राजनीतिक पंडितों का कहना है कि स्वामी प्रसाद मौर्य के पार्टी छोड़ने की वजह से अखिलेश इस बार रिश्क नहीं लेना चाहते. इसलिए उन्होंने बदायूं से मजबूत उम्मीदवार को उतारा है. हालांकि, कहा ये भी जा रहा है कि अखिलेश चाचा शिवपाल को किनारे लगाने की रणनीति के तहत बदायूं से टिकट दिया है.

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स्वामी प्रसाद मौर्य की वजह से लिया फैसला?

स्वामी प्रसाद मौर्य के समाजवादी पार्टी से जाने को भी इस बदलाव की एक वजह के तौर पर देखा जा रहा है. दरअसल, सपा की पहली सूची जब जारी की गई तो उसमें बदायूं सीट के उम्मीदवार के तौर पर धर्मेंद्र यादव का नाम था. हालांकि, तब मौर्य ने पार्टी छोड़ने का ऐलान नहीं किया था. बता दें किस्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी संघमित्रा मौर्य बदायूं लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर 2019 के लोकसभा चुनाव में उतरी थीं. उन्होंने इस सीट पर समाजवादी पार्टी उम्मीदवार धर्मेंद्र यादव को मात दे दी थी. कहा जा रहा है कि पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए अखिलेश ने धर्मेंद्र का टिकट बदायूं से काट दिया है.

1996 से सपा का गढ़ बदायूं

वहीं बदायूं से शिवपाल का नामांकन पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए आश्चर्य की बात नहीं है क्योंकि 1996 से इस सीट पर सपा का कब्जा है. हालांकि, 2019 में स्वामी प्रसाद मौर्य की बेटी भाजपा की संघमित्रा मौर्य ने यहां जीत हासिल की थी. शिवपाल की बदायूं से उम्मीदवारी निश्चित रूप से भाजपा के लिए एक चुनौती है.

तीसरी सूची में अन्य उम्मीदवार कैराना से इकरा हसन, बरेली से प्रवीण सिंह एरन, हमीरपुर से अजेंद्र सिंह राजपूत और वाराणसी से सुरेंद्र सिंह पटेल हैं.पार्टी ने धर्मेंद्र के अलावा लोकसभा चुनाव के लिए तीन और प्रभारी नियुक्त किए हैं. महबूब अली और रामवतार सैनी जहां अमरोहा का प्रभार संभालेंगे, वहीं मनोज चौधरी को बागपत का प्रभार सौंपा गया है.

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