डेढ़ घंटे इंतजार के बाद छगन भुजबल और शरद पवार की हुई मुलाकात, क्या भतीजे के गुट में सेंध लगाएंगे ‘चाचा’?
Maharashtra Politics: एनसीपी के अजीत पवार गुट ने कल बारामती में रैली की. इस सभा में बोलते हुए अजित पवार गुट के नेता छगन भुजबल ने शरद पवार की आलोचना की. मराठा आरक्षण को लेकर हुई सर्वदलीय बैठक से महाविकास अघाड़ी के नेता नदारद रहे. छगन भुजबल ने आरोप लगाया कि वह केवल शरद पवार के फोन के कारण अनुपस्थित थे. हालांकि, कल छगन भुजबल ने शरद पवार की आलोचना की और आज वह शरद पवार से मिलने के लिए ‘सिल्वर ओक’ पहुंच गए. इससे प्रदेश की सियासत में चर्चा छिड़ गई है.
अचानक शरद पवार से क्यों मिले छगन भुजबल
छगन भुजबल अचानक शरद पवार से क्यों मिलने गए? क्या छगन भुजबल अलग फैसला लेने की तैयारी में हैं? ऐसी चर्चाएं अब राजनीतिक गलियारों में हैं. छगन भुजबल और शरद पवार की मुलाकात को लेकर राजनीतिक नेताओं की प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. अब इस पर एनसीपी के अजित पवार गुट के नेता अमोल मिटकारी ने प्रतिक्रिया दी है और सांकेतिक बयान दिया है. उन्होंने कहा कि बारामती की सभा में हम सब ठीक थे. तब तक कोई चर्चा नहीं हुई थी.”
भुजबल ने चर्चाओं पर लगाया विराम
हालांकि, अब इन चर्चाओं पर विराम लगाते हुए छगन भुजबल ने कहा कि मुझे पता चला कि शरद पवार मुंबई में हैं, इस लिए मैं उनसे मिलने पहुंचा. पार्टी की तरफ से एक विधायक के रूप में मैं उनसे मिला. भुजबल ने कहा कि महाराष्ट्र की स्थिति बहुत खराब है. मराठा, ओबीसी के दुकान में नहीं जा रहे हैं. मैंने शरद पवार से कहा कि आप राज्य के बड़े नेता हैं. आपको इस में आगे आकर कुछ करना चाहिए. झगड़े को तत्काल खत्म किया जाना चाहिए.
भुजबल ने आगे कहा कि सीएम से शरद पवार बात करेंगे. पवार साहब ने मुझे कहा कि सरकार की मनोज जरांगे से क्या बातचीत हुई, मुझे जानकारी नहीं है. पवार साहब ने कहा कि मैं एक दो दिनों में सीएम से बातचीत कर बैठक करूंगा. इतना ही नहीं छगन भुजबल ने कहा कि मुझे पवार से मुलाकात के लिए करीब डेढ़ घंटे इंतजार करना पड़ा. जब मैं उनके पास गया तो वो सो गए थे. जब वह उठे तो मुझसे मुलाकात की.
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एक बार फिर मराठा आरक्षण का मुद्दा गर्माया
बताते चलें कि महाराष्ट्र में एक बार फिर मराठा आरक्षण का मुद्दा गर्मा गया है, इस बार सत्ता पक्ष ने किया विधानसभा में हंगामा किया, इधर OBC नेताओं की सर्वदलीय बैठक का विपक्ष ने बहिष्कार किया. राज्य में आरक्षण के लिए पिछले दिनों कई रैलियां निकाली गईं. दावा किया जा रहा है कि मराठा लोग अब ओबीसी के दुकानों से सामान नहीं खरीद रहे हैं.