क्या शिंदे से किनारा चाहती है BJP? महाराष्ट्र की राजनीति में नया खेल शुरू!

शिंदे ने जो मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना और आनंदाचा सिद्धा योजना शुरू की थी. उसे रोक दिया गया है. इन योजनाओं का उद्देश्य बुजुर्गों को तीर्थ यात्रा पर मुफ्त यात्रा का लाभ देना और त्योहारों के दौरान सस्ते दरों पर राशन मुहैया कराना था. इन फैसलों से शिंदे को यह संकेत मिल सकता है कि बीजेपी अब उन्हें पूरी तरह से सहयोग नहीं दे रही है.

एकनाथ शिंदे और देवेंद्र फडणवीस

Maharashtra Politics: महाराष्ट्र की राजनीति इस समय किसी पहेली से कम नहीं है. यह राज्य हमेशा ही अपनी राजनीतिक उलझनों और घटनाओं के लिए जाना जाता है, और अब एक बार फिर महाराष्ट्र राजनीति पूरे देश में चर्चा का विषय बन चुकी है. महाराष्ट्र में हाल ही में हुए राजनीतिक घटनाक्रमों ने यह साबित कर दिया है कि यहां के नेताओं की नीयत और रणनीति को समझना उतना आसान नहीं है. महाविकास अघाड़ी को हराकर महायुति गठबंधन ने सरकार बनाई थी, लेकिन अब यह सवाल उठने लगा है कि क्या बीजेपी एकनाथ शिंदे से छुटकारा पाना चाह रही है? तो आइए, महाराष्ट्र के इस जटिल राजनीतिक परिदृश्य के बारे में विस्तार से जानते हैं.

एकनाथ शिंदे और बीजेपी के बीच बढ़ता हुआ तनाव

अभी से दो महीने पहले जब महाविकास अघाड़ी को सत्ता से बाहर किया गया और महायुति गठबंधन ने महाराष्ट्र में सरकार बनाई, तो इस सरकार के भीतर एकनाथ शिंदे को डिप्टी सीएम की भूमिका निभाने के लिए मनाना काफी मुश्किल था. शिंदे को डिप्टी सीएम बनने के लिए राजी करना बीजेपी के लिए एक चुनौती था. लेकिन फिर भी उन्होंने सरकार के साथ अपनी सहभागिता निभाई.

हालांकि, यह साफ है कि शिंदे को डिप्टी सीएम की भूमिका में संतोष नहीं है. उनका अनमना व्यवहार और सरकार से दूरी बनाना अब यह साबित करने लगा है कि शायद उनका दिल पूरी तरह से सरकार में नहीं है. शपथ ग्रहण समारोह के बाद से ही उनके व्यवहार में बदलाव आ चुका है. कई बार उन्हें कैबिनेट की बैठकों से गायब पाया गया और हाल ही में, वे प्री-बजट चर्चा से भी नदारद रहे.

यह स्थिति इस ओर इशारा करती है कि शिंदे और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के बीच रिश्ते ठीक नहीं चल रहे हैं. इसके साथ ही, ऐसी खबरें भी सामने आ रही हैं कि बीजेपी अब शिंदे से छुटकारा पाने के तरीके तलाश रही है.

फडणवीस की शिवसेना यूबीटी नेताओं से मुलाकातें

यह कहना बहुत जरूरी है कि जब महाराष्ट्र में राजनीतिक हलचल बढ़ी, तो मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अचानक कुछ नई और अहम मुलाकातें शुरू कर दीं. फडणवीस ने सोमवार को राज ठाकरे, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) के प्रमुख से उनके घर जाकर मुलाकात की. यह घटना बहुत ही असामान्य है क्योंकि राज्य के मुख्यमंत्री द्वारा किसी विपक्षी नेता से इस प्रकार की मुलाकातें करना एक अप्रत्याशित कदम है.

इसके बाद, उसी दिन फडणवीस ने शिवसेना यूबीटी (उद्धव गुट) के तीन नेताओं से मुलाकात की. ये मुलाकातें इस ओर इशारा करती हैं कि बीजेपी शायद शिंदे को तवज्जो देना बंद कर रही है और अब अपने अन्य विकल्पों को तलाशने में जुटी है. इस दौरान फडणवीस का उद्देश्य यह संदेश देना था कि बीजेपी के पास शिंदे के अलावा भी विकल्प हैं और वह राज्य की राजनीति में नई दिशा में कदम बढ़ाने के लिए तैयार है.

क्या शिंदे को जानबूझकर परेशान किया जा रहा है?

एकनाथ शिंदे के साथ बीजेपी के भीतर तनाव और विरोध की एक और अहम वजह यह हो सकती है कि उन्हें जानबूझकर सरकार के महत्वपूर्ण फैसलों से बाहर रखा जा रहा है. कुछ दिन पहले, उद्योग मंत्री और शिंदे गुट के नेता उदय सामंत का एक पत्र सामने आया, जिसमें उन्होंने अपने विभाग के अधिकारियों को बिना उनकी जानकारी के कोई भी निर्णय न लेने का निर्देश दिया था.

शिंदे ने जो मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा योजना और आनंदाचा सिद्धा योजना शुरू की थी. उसे रोक दिया गया है. इन योजनाओं का उद्देश्य बुजुर्गों को तीर्थ यात्रा पर मुफ्त यात्रा का लाभ देना और त्योहारों के दौरान सस्ते दरों पर राशन मुहैया कराना था. इन फैसलों से शिंदे को यह संकेत मिल सकता है कि बीजेपी अब उन्हें पूरी तरह से सहयोग नहीं दे रही है.

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शिंदे का मुख्यमंत्री बनने की उम्मीदों का टूटना

कुछ दिन पहले, उद्धव ठाकरे की शिवसेना ने आरोप लगाया था कि बीजेपी शिंदे के फोन टैप करवा रही है और वे इस समय शून्य की स्थिति में हैं. उनका दावा था कि शिंदे अब पूरी तरह से टूट चुके हैं और मुख्यमंत्री बनने की अपनी उम्मीदों को लेकर दुखी हैं. यह आरोप शिवसेना के संजय राउत ने लगाया, जिनका कहना है कि शिंदे के पार्टी के एक विधायक ने उन्हें बताया कि शिंदे अब मानसिक रूप से टूट चुके हैं और वे मुख्यमंत्री बनने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

बीजेपी के लिए सिरदर्द?

दिल्ली में आयोजित 98वें अखिल भारतीय मराठी साहित्य सम्मेलन में शरद पवार ने एकनाथ शिंदे को महादजी शिंदे राष्ट्र गौरव पुरस्कार से सम्मानित किया. पवार ने शिंदे के मुख्यमंत्री रहते उनके द्वारा किए गए कार्यों की तारीफ की और उनकी नीतियों को सराहा. यह घटनाक्रम इस समय महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा उलटफेर कर सकता है. शरद पवार का शिंदे की तारीफ करना, खासकर उस समय जब शिंदे और बीजेपी के बीच खींचतान बढ़ रही है, बीजेपी के लिए सिरदर्द बन सकता है.

वैसे एक बात तो साफ हो गई है कि बीजेपी और शिंदे के बीच का संबंध अब तल्ख हो चुका है. फडणवीस की मुलाकातें, शिंदे की योजनाओं का रोका जाना, और उनके मनोबल का गिरना यह संकेत दे रहा है कि बीजेपी जल्द ही शिंदे से अपनी दूरी बना सकती है.

क्या शिंदे बीजेपी से खुद को अलग करेंगे, या फिर वे अपनी उम्मीदों को लेकर मुख्यमंत्री पद के लिए संघर्ष जारी रखेंगे? यह सवाल अब महाराष्ट्र की राजनीति के लिए महत्वपूर्ण बन चुका है. आने वाले दिनों में यह देखने वाली बात होगी कि क्या एकनाथ शिंदे बीजेपी के साथ बने रहते हैं या फिर वे अपने रास्ते अलग कर लेते हैं.

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