फडणवीस की तारीफ कर उद्धव ने छेड़ी सियासी तान, क्या बदलने वाला है महाराष्ट्र का साउंडट्रैक? समझिए गुणा-गणित
Maharashtra Politics: महाराष्ट्र की राजनीति को लेकर हमेशा से अटकलें चलती रहती हैं. यह राज्य राजनीतिक रूप से बहुत ही हलचल भरा रहा है, जहां हर पल कुछ नया होता है. कभी भाजपा और उद्धव ठाकरे की शिवसेना अच्छे दोस्त थे, लेकिन समय के साथ दोनों दलों के रिश्तों में काफी खटास आ गई. भाजपा का साथ छोड़ने के बाद उद्धव ठाकरे की शिवसेना को वह सफलता नहीं मिली, जिसकी उम्मीद थी. इसका उदाहरण महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में भी देखने को मिला, जहां उद्धव की शिवसेना को कांग्रेस और शरद पवार की एनसीपी के साथ गठबंधन के बावजूद भारी हार का सामना करना पड़ा.
लेकिन अब एक बार फिर से महाराष्ट्र की सियासत में उलटफेर के संकेत मिल रहे हैं. एक ओर जहां उद्धव ठाकरे की शिवसेना भाजपा को लेकर विरोधी रुख अपनाए हुए थी, वहीं अब उसी शिवसेना ने भाजपा नेता और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की तारीफ की है. यह अचानक हुआ बदलाव कई सवाल खड़े कर रहा है, क्या उद्धव ठाकरे और भाजपा के बीच रिश्ते सुधारने की दिशा में कुछ बड़ा हो सकता है?
‘सामना’ में फडणवीस की तारीफ
महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की शिवसेना का मुखपत्र ‘सामना’ हमेशा ही अपनी कटु टिप्पणियों और भाजपा के खिलाफ सख्त रुख के लिए जाना जाता है. लेकिन नए साल के अवसर पर, सामना में देवेंद्र फडणवीस की सराहना की गई. यह तारीफ गढ़चिरौली जिले में फडणवीस के दौरे और वहां की नक्सल समस्या से निपटने के लिए उठाए गए कदमों को लेकर थी. सामना में यह लिखा गया कि फडणवीस ने गढ़चिरौली में कई महत्वपूर्ण विकास योजनाओं का उद्घाटन किया, जिनसे नक्सल प्रभावित इस इलाके में बदलाव आने की संभावना है.
सामना के संपादकीय में कहा गया कि अगर फडणवीस ने जो वादा किया है, वह सच में लागू होता है, तो यह केवल गढ़चिरौली के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे महाराष्ट्र के लिए एक सकारात्मक कदम होगा. इसमें यह भी लिखा गया कि गढ़चिरौली में गरीबी के कारण नक्सलवाद बढ़ा था और अब अगर मुख्यमंत्री फडणवीस इस स्थिति को बदलने का प्रयास करते हैं तो उनकी तारीफ की जानी चाहिए.
सामना के संपादकीय में यह भी माना गया कि गढ़चिरौली में नक्सलवाद के कारण वहां के लोग लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं. युवा शिक्षा की बजाय आतंकवाद की ओर आकर्षित हो रहे थे, और इस संघर्ष में कई निर्दोष लोग मारे गए. अब, यदि फडणवीस गढ़चिरौली में विकास की दिशा में कुछ नया कदम उठाते हैं, तो यह न केवल उस क्षेत्र के लिए, बल्कि पूरे राज्य के लिए एक बड़ी उम्मीद बन सकता है.
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राजनीतिक हलचल
इस तारीफ के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या महाराष्ट्र की सियासत में कुछ बड़ा होने वाला है? कुछ राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह बदलाव उद्धव ठाकरे की शिवसेना और भाजपा के बीच रिश्तों में सुधार का संकेत हो सकता है. महाराष्ट्र की राजनीति में अटकलों का बाजार गर्म है, खासकर शरद पवार और उनके भतीजे अजित पवार के रिश्तों को लेकर. कहा जा रहा है कि दोनों के बीच सुलह हो सकती है, और वे एक बार फिर से एकजुट हो सकते हैं.
इसके अलावा, यह भी खबरें हैं कि उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के बीच भी कोई समझौता हो सकता है. कुछ सूत्रों के मुताबिक, उद्धव ठाकरे को इंडिया गठबंधन में कुछ मुद्दों पर नाराजगी है, और वे भाजपा के साथ रिश्ते सुधारने की कोशिश कर सकते हैं. क्या उद्धव फिर से अपने पाले को बदलेंगे? यह सवाल अब राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है.
बीएमसी चुनाव से पहले सियासी तस्वीर
महाराष्ट्र की सियासत में आने वाले बीएमसी (Brihanmumbai Municipal Corporation) चुनाव भी एक अहम मोड़ साबित हो सकते हैं. ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या उद्धव ठाकरे और भाजपा के बीच करीबी रिश्ते देखने को मिलेंगे? क्या शिवसेना फिर से भाजपा से जुड़ने के बारे में सोचेगी? यह सवाल इसलिए अहम है क्योंकि महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के बाद से ही कांग्रेस और शरद पवार के नेतृत्व में उद्धव ठाकरे की शिवसेना को करारी हार का सामना करना पड़ा है. अब देखना यह होगा कि उद्धव ठाकरे और शरद पवार की पार्टी इस हार से उबरने के लिए किस रास्ते पर आगे बढ़ते हैं.
इस समय हर किसी की निगाहें महाराष्ट्र की सियासत पर टिकी हुई हैं, क्योंकि राजनीति में कभी भी कुछ भी बदल सकता है, और महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य में तो यह बदलाव और भी ज्यादा प्रभावशाली हो सकते हैं.