“चुनावी व्यवस्था में होगा क्रांतिकारी बदलाव”, जानें ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ पर क्या-क्या बोले पीएम मोदी

इस निर्णय के बाद राजनीतिक दलों और विशेषज्ञों के बीच विभिन्न प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. कुछ लोग इसे देश की चुनावी व्यवस्था के लिए एक आवश्यक सुधार मानते हैं, जबकि अन्य इस पर चिंताओं का इज़हार कर रहे हैं कि इससे लोकतंत्र की विविधता पर असर पड़ सकता है.
PM Modi

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

One Nation One Election: पीएम मोदी की कैबिनेट ने आज एक ऐतिहासिक निर्णय लेते हुए ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. इस प्रस्ताव के तहत, देश की कुल 543 लोकसभा सीटों और सभी राज्यों की 4130 विधानसभा सीटों पर एक साथ चुनाव कराने की तैयारी की जाएगी. इस फैसले ने देश की राजनीति में हलचल मचा दी है और इसके संभावित प्रभावों पर व्यापक चर्चा हो रही है.

प्रधानमंत्री मोदी का बयान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस महत्वपूर्ण निर्णय के बाद अपने बयान में कहा, “यह लंबे समय से लोगों की मांग रही है और हम इसे जनता के हित में लाए हैं. इसमें कोई राजनीतिक मकसद नहीं है.” मोदी ने स्पष्ट किया कि इस पहल का मुख्य उद्देश्य देश की चुनावी प्रक्रिया को व्यवस्थित करना और शासन व्यवस्था को सुधारना है. उन्होंने कहा, “हमारा उद्देश्य है कि लोगों को वन नेशन वन इलेक्शन के लाभों के बारे में जानकारी दी जाए. लगातार चुनावों के कारण शासन, कानून व्यवस्था और अन्य महत्वपूर्ण पहलुओं पर असर पड़ता है, जो किसी भी देश के लिए अच्छा नहीं है.”

वन नेशन, वन इलेक्शन का क्या मतलब है?

‘वन नेशन,वन इलेक्शन’ का मतलब है कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ होंगे, जिससे चुनावी चक्र को सुव्यवस्थित किया जा सके. इससे चुनावी खर्चों में कमी आ सकती है, और प्रशासनिक बोझ भी घट सकता है. इससे चुनावी माहौल में स्थिरता आएगी और बार-बार चुनावों की वजह से बाधित होने वाले कार्यकाल को कम किया जा सकेगा.

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कैबिनेट की बैठक और उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशें

कैबिनेट की बैठक में इस प्रस्ताव के पक्ष में एक महत्वपूर्ण फैसला लिया गया, जिसमें उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों को मंजूरी दी गई. इस समिति की अध्यक्षता पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने की थी. मोदी ने कोविंद की सराहना करते हुए कहा, “मैं इस प्रयास की अगुआई करने और विभिन्न हितधारकों से परामर्श करने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को धन्यवाद देता हूं. यह हमारे लोकतंत्र को और भी अधिक जीवंत और सहभागी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.”

संसद में आगामी चर्चा

प्रधानमंत्री मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ की जरूरत पर कोई बहस नहीं होनी चाहिए. केंद्र सरकार अब इस प्रस्ताव को शीतकालीन सत्र में संसद से पास कराने की योजना बना रही है. यदि यह बिल पारित हो जाता है, तो यह कानून का रूप ले लेगा और चुनावी प्रक्रिया में एक नई दिशा प्रदान करेगा.

राजनीतिक प्रतिक्रिया

इस निर्णय के बाद राजनीतिक दलों और विशेषज्ञों के बीच विभिन्न प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. कुछ लोग इसे देश की चुनावी व्यवस्था के लिए एक आवश्यक सुधार मानते हैं, जबकि अन्य इस पर चिंताओं का इज़हार कर रहे हैं कि इससे लोकतंत्र की विविधता पर असर पड़ सकता है. इस फैसले का वास्तविक प्रभाव और इसकी संभावनाएं समय के साथ स्पष्ट होंगी, लेकिन यह निश्चित है कि यह निर्णय देश की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है.

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