2024 चुनाव को लेकर BJP की बड़ी तैयारी, ‘मोहन’ के कंधे पर यूपी-बिहार के बाद अब हरियाणा की जिम्मेदारी, जानें क्या है रणनीति

यूपी में अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी और बिहार में लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल को अब तक यादवों का एकमात्र प्रतिनिधि माना जाता रहा है, जबकि हरियाणा में यादव वोट कांग्रेस, इंडियन नेशनल लोकदल और बीजेपीके बीच बंटे हुए हैं.
Cm Mohan Yadav

सीएम मोहन यादव

Lok Sabha Election 2024: लोकसभा चुनाव से पहले बीजेपी हर मोर्चे पर वोटर्स को साधने में जुट गई है. मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी गई है. आज सीएम मोहन यादव हरियाणा के दौरे पर हैं, जहां वो महेंद्रगढ़, गुरुग्राम और फरीदाबाद क्लस्टर के कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे. मोहन यादव यहां के कलस्टर के कार्यकर्ताओं को जीत का मंत्र भी देंगे. राजनीति के जानकारों का मानना है कि बीजेपी ने मोहन के कंधे पर यादव मतदाताओं को साधने की जिम्मेदारी दी है.

यादव वोट बैंक को साधने की कोशिश

मोहन यादव को मध्य प्रदेश की कमान सौंपकर बीजेपी ने न सिर्फ वहां के पिछड़े मतदाताओं को लुभाया है, बल्कि उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान और हरियाणा के यादव वोट बैंक में भी सेंध लगाने की कोशिश की है. एमपी में एक आम यादव नेता को सीएम बनाकर नरेंद्र मोदी-अमित शाह की टीम ने यूपी, बिहार, हरियाणा समेत अन्य राज्यों की क्षेत्रीय पार्टियों को बड़ा झटका दिया है. इससे समुदाय को उम्मीद है कि मुलायम और लालू परिवार के बाहर का कोई यादव बड़ा नेता बनकर उभर सकता है और सीएम का पद संभाल सकता है.

इस लिए महेंद्रगढ़ पहुंचे हैं मोहन यादव!

जाट और यादव मतदाताओं के प्रभाव बाली हरियाणा की भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट बेहद खास मानी जाती है. भिवानी ने देश को कई बेहतरीन खिलाड़ी दिए हैं. भिवानी-महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट के अंतर्गत भिवानी, दादरी, बादड़ा, तोशाम, लोहारु, अटेली, महेंद्रगढ़, नारनौल और नांगल चौधरी समेत 9 विधानसभा क्षेत्र है. भिवानी जिले में जहां जाट मतदाताओं की संख्या अधिक है, यहीं महेंद्रगढ़ जिले के यादव मतदाताओं की संख्या ज्यादा है. मध्य प्रदेश के सीएम मोहन यादव को महेंद्रगढ़ भेज कर बीजेपी ने यादव वोट बैंक पर सेंध लगाने की चाल चल दी है.

बता दें कि यूपी में अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी और बिहार में लालू प्रसाद यादव की राष्ट्रीय जनता दल को अब तक यादवों का एकमात्र प्रतिनिधि माना जाता रहा है, जबकि हरियाणा में यादव वोट कांग्रेस, इंडियन नेशनल लोकदल और बीजेपीके बीच बंटे हुए हैं. राजस्थान में भी यादव मतदाता बीजेपी और कांग्रेस के बीच बंटे हुए हैं. अब बीजेपी इसी प्रयास में है कि हरियाणा के यादव वोट को कैसे समेटा जाए.

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यूपी, बिहार और हरियाणा में यादवों की आबादी

आंकड़ों के मुताबिक, यूपी में करीब 10 से 12 फीसदी यादव वोटर हैं. राजनीतिक रूप से यादवों को अन्य पिछड़ी जातियों (OBC) में सबसे शक्तिशाली समूह माना जाता है, क्योंकि राज्य की दो दर्जन लोकसभा सीटों पर यादव मतदाताओं का वर्चस्व है. जहां उत्तर प्रदेश की आबादी में यादवों की हिस्सेदारी करीब 10-12 फीसदी है, वहीं बिहार में इनका प्रतिशत 14.26 और हरियाणा में करीब 10 फीसदी है.

साल 2001 में तत्कालीन मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह के कार्यकाल में गठित हुकुम सिंह कमेटी की रिपोर्ट के मुताबिक, यूपी में पिछड़ी जातियों में यादव जाति की संख्या सबसे ज्यादा है. इसलिए बीजेपी ने देश की हिंदी पट्टी में इसी जातीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए मोहन यादव पर दांव लगाया है. मोहन यादव जैसे व्यक्ति को नेतृत्व सौंपकर बीजेपीयादव मतदाताओं को यह संदेश दे सकती है कि चाहे वे सपा और राजद के साथ कितने भी करीब क्यों न जुड़े हों, इन पार्टियों में नेतृत्व अंततः उसी के पास जाएगा.

यूपी से सीएम मोदी यादव का परिवार कनेक्शन

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव अक्सर उत्तर प्रदेश आते रहते हैं क्योंकि उनकी पत्नी उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर से हैं जहां उनके ससुराल वाले रहते हैं. सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी ने लोकसभा चुनाव से पहले मोहन यादव को हरियाणा के साथ-साथ यूपी और बिहार में भी प्रचार की जिम्मेदारी दी है. अब देखना ये होगा कि मोहन यादव के सहारे बीजेपी यादवों को अपने पाले में करने में कामयाब होती है या नहीं.

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