1900 डिग्री तापमान, 7 मिनट तक ब्लैकआउट…हर चुनौती को मात देकर धरती पर ऐसे लौटीं सुनीता विलियम्स

जब कोई स्पेसक्राफ्ट अंतरिक्ष से धरती के वायुमंडल में प्रवेश करता है, तो उसकी गति लगभग 28,000 किलोमीटर प्रति घंटे होती है. इस उच्च गति से वायुमंडल के साथ रगड़ पैदा होती है, जिससे कैप्सूल का तापमान बढ़कर खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है.
NASA Astronauts Sunita Williams

सुनीता विलियम्स

NASA Astronauts Sunita Williams: आखिरकार, नौ महीने तक अंतरिक्ष में समय बिताने के बाद सुनीता विलियम्स और उनके साथी सुरक्षित रूप से धरती पर लौट आए हैं. बुधवार तड़के, स्पेसएक्स का ड्रैगन कैप्सूल फ्लोरिडा के समुद्र में लैंड किया. ये 17 घंटे लंबी यात्रा एक तरह से जीवन-मृत्यु का खेल बन गई थी, खासकर जब कैप्सूल पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश कर रहा था.

इस दौरान, कैप्सूल का तापमान 1900 डिग्री सेल्सियस से भी अधिक बढ़ गया था, और सबसे डरावना हिस्सा था 7 मिनट का ब्लैकआउट. इस समय नासा का स्पेसक्राफ्ट से कोई संपर्क नहीं हो सका, और यह उन पलों में से एक था, जब अंतरिक्ष मिशन में जान जोखिम में होती है.

ब्लैकआउट क्यों होता है?

जब कोई स्पेसक्राफ्ट अंतरिक्ष से धरती के वायुमंडल में प्रवेश करता है, तो उसकी गति लगभग 28,000 किलोमीटर प्रति घंटे होती है. इस उच्च गति से वायुमंडल के साथ रगड़ पैदा होती है, जिससे कैप्सूल का तापमान बढ़कर खतरनाक स्तर तक पहुंच जाता है. यह वही क्षण होता है जब संपर्क टूट जाता है और स्पेसक्राफ्ट पूरी तरह से काले पर्दे के पीछे छिप जाता है, यानी कम्युनिकेशन ब्लैकआउट.

यह ब्लैकआउट सामान्य होता है, लेकिन इसकी वजह से किसी भी स्पेसक्राफ्ट का नियंत्रण मुश्किल हो सकता है. 2003 में यही ब्लैकआउट एक बड़े हादसे का कारण बना था जब नासा का अंतरिक्ष यान कोलंबिया धरती पर लौटते वक्त क्रैश हो गया था, जिसमें प्रसिद्ध अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला की जान चली गई थी.

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7 मिनट का लम्हा

उस दौरान, सात मिनट का वो पल सुनीता विलियम्स और उनके साथियों के लिए किसी भी अंतरिक्ष यात्रा का सबसे डरावना समय था. इन सात मिनटों में नासा को इस बात का कोई अंदाजा नहीं था कि कैप्सूल सुरक्षित है या नहीं. फिर, अचानक, 3.20 बजे सुबह, संपर्क फिर से बहाल हुआ, और सबने राहत की सांस ली.

इसके बाद, ड्रैगन कैप्सूल ने समुद्र में सफलतापूर्वक लैंड किया और एक-एक कर सभी अंतरिक्षयात्री बाहर निकाले गए. इस तरह, अंतरिक्ष में 286 दिन बिताने के बाद सुनीता और उनके साथी सुरक्षित धरती पर लौटे, जहां उन्हें अंतरिक्ष के बाद पहली बार धरती की गुरुत्वाकर्षण का अहसास हुआ.

7 मिनट का ब्लैकआउट, 1900 डिग्री का तापमान और लाखों किलोग्राम दबाव—इन्हीं खतरों के बीच से सुनीता विलियम्स ने एक और इतिहास रचा. यही वो क्षण है, जहां अंतरिक्ष की सीमाओं से वापस धरती तक का सफर जीवन और मृत्यु के बीच का अंतर महसूस कराता है.

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