भारत-चीन के बीच LAC पर बनी नई सहमति, पेट्रोलिंग का रास्ता हुआ साफ, देपसांग क्षेत्र में कम होगा तनाव
India-China Relation: भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर पेट्रोलिंग को लेकर एक नई सहमति बनी है. यह समझौता विशेष रूप से देपसांग और डेमचोक क्षेत्रों से संबंधित है. भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने इस नई सहमति की जानकारी देते हुए बताया कि यह कदम दोनों देशों के सैनिकों की वापसी और पेट्रोलिंग को फिर से प्रारंभ करने के उद्देश्य से उठाया गया है.
उन्होंने कहा, “पिछले कई हफ्तों से भारत और चीन के बीच राजनयिक और सैन्य वार्ता चल रही है. हमारी सहमति के अनुसार, सैनिकों की वापसी और स्थिति के समाधान के लिए पेट्रोलिंग की व्यवस्था की गई है.”
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से पहले की तैयारी
बता दें कि दोनों देशों का यह फैसला 22-23 अक्टूबर को होने वाले 16वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से पहले हुआ है, जिसमें पीएम मोदी रूस की यात्रा करेंगे. इस सम्मेलन के दौरान पीएम मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच द्विपक्षीय वार्ता की भी संभावना है.
तनाव कम करने की उम्मीद
विदेश सचिव ने कहा कि समझौते के बाद पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर तनाव कम होने की उम्मीद है. उन्होंने बताया कि पिछले कुछ हफ्तों में दोनों देशों के अधिकारियों के बीच संपर्क स्थापित हुआ है, जिससे समस्याओं को सुलझाने की दिशा में प्रगति हो रही है.
इस सहमति से यह स्पष्ट हो गया है कि भारत और चीन अपने मतभेदों को हल करने के लिए गंभीरता से प्रयास कर रहे हैं. क्षेत्रीय स्थिरता और शांति के लिए यह एक सकारात्मक संकेत है, और दोनों देशों के लिए आगे बढ़ने का एक सुनहरा अवसर भी.
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देपसांग और डेमचोक को लेकर विवाद क्यों?
देपसांग एक खुला प्लेन इलाका है, लेकिन इसकी ऊंचाई लगभग 16,000 से 17,000 फीट है, जो इसे सामरिक रूप से अत्यंत महत्वपूर्ण बनाती है. इस ऊंचाई पर नियंत्रण रखना न केवल सैन्य शक्ति को बढ़ाता है, बल्कि क्षेत्रीय सुरक्षा को भी सुनिश्चित करता है.
भारत पिछले तीन साल से पूर्वी लद्दाख में सीमा विवाद को सुलझाने के लिए देपसांग और डेमचोक में सैनिकों की वापसी के लिए प्रयासरत है. चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने भारतीय सैनिकों को यहां के पारंपरिक गश्ती केंद्रों तक पहुंचने से रोका है, जिससे स्थिति और भी जटिल हो गई है.
‘बॉटलनेक’ क्षेत्र की समस्याएं
चीन ने देपसांग के ‘बॉटलनेक’ या ‘वाई-जंक्शन’ क्षेत्र में भारतीय सैनिकों की गतिविधियों पर रोक लगा दी है. यहां के कई महत्वपूर्ण गश्ती केंद्र (पीपी 10, 11, 11A, 12, और 13) भारत के अपने क्षेत्र में लगभग 18 किलोमीटर अंदर स्थित हैं.
चीन इस क्षेत्र में 972 वर्ग किलोमीटर का दावा करता है, जो तिब्बत को शिनजियांग से जोड़ने वाले महत्वपूर्ण जी-219 राजमार्ग के निकट है. यह सड़क चीन के लिए बेहद महत्वपूर्ण है.