सोमनाथ बुलडोजर एक्शन में नया मोड़, मुस्लिम संगठन का दावा जमीन उनकी, सरकार ने किया खारिज

Somnath Buldozer Action: सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान एक मुस्लिम संगठन ने कोर्ट में दावा किया है कि 1903 में यह जमीन उन्हें दे दी गई थी. मुस्लिम संगठन के इस दावे को गुजरात सरकार ने झूठा बताया है. सरकार ने कहा यह जमीन सोमनाथ ट्रस्ट की थी. ट्रस्ट उसे काफी पहले सरकार को सौंप चुका है.
Somnath Bulldozer Action

सितंबर महीने में सोमनाथ मंदिर के आसपास कथित अवैध निर्माण पर बुलडोजर चला था.

Somnath Buldozer Action: सोमनाथ में बुलडोजर एक्शन मामले में अब नया मोड़ आया है. शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान एक मुस्लिम संगठन ने कोर्ट में दावा किया है कि 1903 में यह जमीन उन्हें दे दी गई थी. मुस्लिम संगठन के इस दावे को गुजरात सरकार ने झूठा बताया है. सरकार ने कहा यह जमीन सोमनाथ ट्रस्ट की थी. ट्रस्ट उसे काफी पहले सरकार को सौंप चुका है. अब अवैध निर्माण को हटाने की कार्रवाई लंबे समय से चल रही है. याचिकाकर्ता झूठे दावे कर इसे सांप्रदायिक रूप देना चाहते हैं.

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार ने बताया कि फिलहाल जमीन को अपने पास ही रखेगी. इसे अभी किसी तीसरे पक्ष को नहीं दिया जाएगा. एससी ने सरकार के इस बयान को रिकॉर्ड पर लेते हुए कहा कि मामले में किसी अंतरिम आदेश की जरूरत नहीं है. कोर्ट ने कहा कि जो याचिकाएं गुजरात हाई कोर्ट में लंबित हैं, हाई कोर्ट उन लंबित मामलों पर सुनवाई जारी रखे.

अवमानना याचिका हुई थी दायर

इसी साल सितंबर महीने में सोमनाथ मंदिर के आसपास कथित अवैध निर्माण पर बुलडोजर चलाया गया था. कथित अवैध निर्माण पर इपटनी मुस्लिम समाज ने 1 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका दाखिल की थी. इस ​​अवमानना याचिका में इपटनी मुस्लिम समाज ने गिर सोमनाथ के कलेक्टर और अन्य अधिकारियों के खिलाफ ​​कार्रवाई की मांग की गई थी. इस याचिका में याचिका में दरगाह मंगरोली शाह बाबा, ईदगाह, प्रभास पाटन, वेरावल, गिर सोमनाथ में स्थित कई अन्य स्ट्रक्चर के कथित अवैध विध्वंस का हवाला दिया गया था.

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मुस्लिम समाज ने अपने अवमानना याचिका में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के बुलडोजर एक्शन पर रोक के आदेश के बाद बड़े पैमाने पर तोड़फोड़ की गई थी. इसके बाद 1 अक्टूबर को न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति के वी विश्वनाथन की पीठ ने बुलडोजर से विध्वंस के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई की थी. इस मुद्दे से सियासत भी गरमाई थी. एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सरकार की इस कार्रवाई की निंदा की थी.

 

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